24-11-2018, 01:14 PM | #1 |
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तीन मुक्तक (शादी, फैशन, काला)
●●●●●●●●●●●●●●●● (1) शादी कुँवारा जबतलक है खुल के मेरा यार दौड़ेगा गले में हार के पड़ते ही लेकर हार दौड़ेगा हुई शादी हुए बच्चे तो समझो उम्र जाने तक बेचारा देखना कैसे हुए लाचार दौड़ेगा (2) फैशन बहू ही तो नहीं केवल दिखे अब सास फैशन में भले सूरत हो कैसी भी दिखे है खास फैशन में लगाकर पेंट खुशबूदार निकले जब सड़क पे वो कि ढलती उम्र का होता नहीं अहसास फैशन में (3) काला मुझे अपना बना लो तुम मुहब्बत में मैं आला हूँ हँसों ना देखकर सूरत भले कौवे से काला हूँ मेरे जैसा ही काला तिल तेरे गालों पे है जानम नज़र में ही मुझे रखना नज़र का मैं उजाला हूँ रचना- आकाश महेशपुरी ●●●●●●●●●●●●●●●● वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाईल- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 24-11-2018 at 08:43 PM. |
24-11-2018, 09:42 PM | #2 |
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Re: तीन मुक्तक (शादी, फैशन, काला)
ग़ज़ब है तीनों कवितायें. बहुत रोचक मुक्तक हैं. धन्यवाद, आकाश जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
25-11-2018, 03:40 AM | #3 |
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Re: तीन मुक्तक (शादी, फैशन, काला)
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16-08-2022, 05:49 PM | #4 |
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Re: तीन मुक्तक (शादी, फैशन, काला)
तीसरा मुक्तक संपादन के बाद
मुझे अपना बना लो तुम मुहब्बत में मैं आला हूँ हँसों ना देखकर सूरत भले कौवे से काला हूँ तुम्हारे गाल पर है तिल मेरे जैसा ही जानेमन नज़र में ही मुझे रखना नज़र का मैं उजाला हूँ - आकाश महेशपुरी |
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