24-09-2024, 01:39 PM | #1 |
Diligent Member
|
ग़ज़ल- बेवफ़ा जब हुए आँखों में बसाने वाले
◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️ रोज़ मिलते हैं मुझे अपना बताने वाले हैं कहाँ लोग मगर साथ निभाने वाले कैसे मैं फिर से मोहब्बत पे भरोसा कर लूँ बेवफ़ा जब हुए आँखों में बसाने वाले भूलकर खूबियाँ इंसाँ की यहाँ जाने क्यूँ रोज कमियाँ ही गिनाते हैं ज़माने वाले रूठ कर जा रहे हो जाओ मगर ये सुन लो हम भी तुमको नहीं हैं रोज़ मनाने वाले खुद ही मंज़िल का पता ढूँढ़ना होगा तुमको बाज़ आयेंगे नहीं दोस्त गिराने वाले दिल को 'आकाश' तू पत्थर का बना ले वरना दिल दुखाएंगे सदा दिल को दुखाने वाले ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 19/09/2024 ◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 26-09-2024 at 03:48 AM. |
Bookmarks |
|
|