09-01-2013, 08:06 PM | #21 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
ख्वाहिशों को जेब में रख कर ही निकलिए खर्चा बहुत होता है मंजिलों को पाने में !!
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 Last edited by jai_bhardwaj; 11-01-2013 at 08:09 PM. |
09-01-2013, 08:06 PM | #22 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
तस्वीर में ख़याल होना तो लाजमी सा है मगर एक तस्वीर है, जो ख्यालों में बनी है
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09-01-2013, 08:07 PM | #23 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
आँख रखते हो तो उसकी आँख की तहरीर पढो मुँह से इकरार न करना तो है आदत उसकी !!
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09-01-2013, 08:07 PM | #24 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
नया नया शौक उन्हें रूठने का लगा है
फिर खुद भी भूल जाते हैं कि रूठे थे किसलिए
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09-01-2013, 08:07 PM | #25 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
किसी भी दर्द की हद से ज़रा गुजरने तक
मैं खुद को जोड़ता रहता हूँ फिर से बिखरने तक
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09-01-2013, 08:08 PM | #26 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
खिलौनों की जगह दिल टूटता है कि गुडिया अब बड़ी होने लगी है
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09-01-2013, 08:09 PM | #27 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
अभी कमसिन हो, रहने दो, कहीं खो दोगी दिल मेरा
तुम्हारे ही लिए रखा है, ले लेना जवां हो कर ना कमसिन हूँ, न नादाँ हूँ, मुहब्बत को समझती हूँ तुम्हारा क्या भरोसा है, मुकर जाओ जवां होकर
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09-01-2013, 08:10 PM | #28 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
वो अक्सर मुझसे कहती थी
वफ़ा है जात औरत की मगर जो मर्द होते हैं बहुत बेदर्द होते हैं किसी भंवरे की सूरत में गुलों को दे जाते हैं गम सुनो, तुमको कसम मेरी रवायत तोड़ देना तुम ना तन्हा छोड़ के जाना ना ये दिल तोड़ के जाना मगर फिर यूं हुआ एकदिन मुझे अनजान रास्ते पर अकेला छोड़ कर उसने मेरा दिल तोड़ कर उसने मुहब्बत छोड़ दी उसने वफ़ा है जात औरत की रवायत तोड़ दी उसने
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10-01-2013, 06:39 PM | #29 |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
नज़र जहाँ से बचा के देखो ... जो फासलें है मिटा के डेको ...
यह ज़िन्दगी मुस्करा उठे गी ...किसी को अपना बना के देखो . उम्हारी चाहत में मिट चले हम ...कभी तो पलके उठा के देखो ... बना दे शायर जो किसी को ...वोह चोट ज़रा तुम भी खा के देखो . कोई भी अपना नहीं जहां में ...किसी को भी अजमा के देखो ... निकले ग सिर्फ नाम उसी का ...जो तार दिल के हिल के देखो . ऐना हूँ मैं मेरे सामने आके देखो खुद ही नज़र आओगे जो आँख मिला के द्केहो . मेरे गम में मेरी तकदीर नज़र आती है .. .डग्मगोगे जो मेरा दर्द उठा के देखो . यूँ तो आसान नज़र आता है मंजिल का सफ़र ... कितना मुश्किल है मेरी राह से जा के देखो . दिल तुम्हारा है , मैं यह जान भी दे दू तुम पर ... बस मेरे साथ ज़रा दिल से निभा के देखो . मौत बरहक़ है मगर तुमसे वादा है मेरा ... लौट आऊंगा तुम इक बार बुला के देखो .
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
10-01-2013, 06:40 PM | #30 | |
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Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
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