12-07-2014, 05:47 PM | #141 |
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Re: अकबर - बीरबल..
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18-07-2014, 10:17 PM | #142 |
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Re: अकबर - बीरबल..
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11-08-2014, 09:54 PM | #143 |
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Re: अकबर - बीरबल..
अकबर बीरबल
तोते की मौत एक बहेलीये को तोतों में बडी ही दिलचस्पी थी| वह उन्हें पकडता, सिखाता और तोते के शौकीन लोगों को ऊँचे दामों में बेच देता था| एक बार एक बहुत ही सुन्दर तोता उसके हाथ लगा| उसने उस तोते को अच्छी-अच्छी बातें सिखायीं उसे तरह-तरह से बोलना सिखाया और उसे लेकर अकबर के दरबार में पहुँच गया| दरबार में बहेलिये ने तोते से पूछा – बताओ ये किसका दरबार है? तोता बोला, “यह जहाँपनाह अकबर का दरबार है”| सुनकर अकबर बडे ही खुश हुए| वह बहेलिये से बोले, “हमें यह तोता चाहिये, बोलो इसकी क्या कीमत माँगते हो”| बहेलीया बोला जहाँपनाह – सब कुछ आपका है आप जो दें वही मुझे मंजूर है| अकबर को जवाब पसंद आया और उन्होंने बहेलिये को अच्छी कीमत देकर उससे तोते को खरीद लिया| महाराजा अकबर ने तोते के रहने के लिये बहुत खास इंतजाम किये| उन्होंने उस तोते को बहुत ही खास सुरक्षा के बीच रखा| और रखवालों को हिदायत दी कि इस तोते को कुछ नहीं होना चाहिये| यदि किसी ने भी मुझे इसकी मौत की खबर दी तो उसे फाँसी परलटका दिया जायेगा| अब उस तोते का बडा ही ख्याल रखा जाने लगा| मगर विडंबना देखिये कि वह तोता कुछ ही दिनों बाद मर गया| अब उसकी सूचना महाराज को कौन दे? रखवाले बडे परेशान थे| तभी उनमे से एक बोला कि बीरबल हमारी मदद कर सकता है| और यह कहकर उसने बीरबल को सारा वृतांत सुनाया तथा उससे मदद माँगी| बीरबल ने एक क्षण कुछ सोचा और फिर रखवाले से बोला, “ठीक है, तुम घर जाओ| महाराज को सूचना मैं दूँगा| बीरबल अगले दिन दरबार में पहुँचे और अकबर सेकहा,“हुज़ूर आपका तोता…” अकबर ने पूछा – “हाँ-हाँ क्या हुआ मेरे तोते को?” बीरबल ने फिर डरते-डरते कहा – “आपका तोता जहाँपनाह…” हाँ-हाँ बोलो बीरबल क्या हुआ तोते को? “महाराज आपका तोता…|” बीरबल बोला | “अरे खुदा के लिये कुछ तो कहो बीरबल, मेरे तोते को क्या हुआ”, अकबर ने खीजते हुए कहा| “जहाँपनाह, आपका तोता ना तो कुछ खाता है ना कुछ पीता है, ना कुछ बोलता है ना अपने पँख फडफडाता है, ना आँखे खोलता है और ना ही…” राजा ने गुस्से में कहा, “अरे सीधा-सीधा क्यों नहीं बोलते कि वो मर गया है”| बीरबल तपाक से बोला, “हुज़ूर मैंने मौत की खबर नहीं दी बल्कि ऐसा आपने कहा है, मेरी जान बख्शी जाये”| और महाराज निरूत्तर हो गये| **
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16-08-2014, 10:52 PM | #144 |
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Re: अकबर - बीरबल..
जल्दी बुलाकर लाओ! :.......... बादशाह अकबर एक सुबह उठते ही अपनी दाढ़ी खुजलाते हुए बोले, ‘‘अरे, कोई है ?’’ तुरन्त एक सेवक हाजिर हुआ। उसे देखते ही बादशाह बोले-‘‘जाओ, जल्दी बुलाकर लाओ, फौरन हाजिर करो।’’ सेवक की समझ में कुछ नहीं आया कि किसे बुलाकर लाए, किसे हाजिर करें ? बादशाह से पटलकर सवाल करने की तो उसकी हिम्मत ही नहीं थी। उस सेवक ने यह बात दूसरे सेवक को बताई। दूसरे ने तीसरे को और तीसरे ने चौथे को। इस तरह सभी सेवक इस बात को जान गए और सभी उलझन में पड़ गए कि किसे बुलाकर लाए, किसे हाजिर करें। बीरबल सुबह घूमने निकले थे। उन्होंने बादशाह के निजी सेवकों को भाग-दौड़ करते देखा तो समझ गए कि जरूर बादशाह ने कोई अनोखा काम बता दिया होगा, जो इनकी समझ से बाहर है। उन्होंने एक सेवक को बुलाकर पूछा, ‘‘क्या बात है ? यह भाग-दौड़ किसलिए हो रही है ?’’ सेवक ने बीरबल को सारी बात बताई, ‘‘महाराज हमारी रक्षा करें। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि किसे बुलाना है। अगर जल्दी बुलाकर नहीं ले गए, तो हम पर आफत आ जाएगी।’’ बीरबल ने पूछा, ‘‘यह बताओ कि हुक्म देते समय बादशाह क्या कर रहे थे ?’’ बादशाह के निजी सेवक, जिसे हुक्म मिला था, उसे बीरबल के सामने हाजिर किया तो उसने बताय-‘‘जिस समय मुझे तलब किया उस समय तो बिस्तर पर बैठे अपनी दाढ़ी खुजला रहे थे।’’ बीरबल तुरन्त सारी बात समझ गए और उनके होंठों पर मुस्कान उभर आई। फिर उन्होंने उस सेवक से कहा-‘‘तुम हाजाम को ले जाओ।’’ सेवक हज्जाम को बुला लाया और उसे बादशाह के सामने हाजिर कर दिया। बादशाह सोचने लगे, ‘‘मैने इससे यह तो बताया ही नहीं था कि किसे बुलाकर लाना है। फिर यह हज्जाम को लेकर कैसे हाजिर हो गया ?’’ बादशाह ने सेवक से पूछा, ‘‘सच बताओ। हज्जाम को तुम अपने मन से ले आए हो या किसी ने उसे ले आने का सुझाव दिया था ?’’ सेवक घबरा गया, लेकिन बताए बिना भी तो छुटकारा नहीं था। बोला, ‘‘बीरबल ने सुझाव दिया था, जहांपनाह !’’ बादशाह बीरबल की बुद्धि पर खुश हो गया' :..........
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18-08-2014, 10:56 PM | #145 |
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Re: अकबर - बीरबल..
अकबर-बीरबल की नई कहानियाँ लगातार प्रस्तुत करने के लिये आपका धन्यवाद, डॉ साहब.
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31-08-2014, 11:31 PM | #146 | |
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07-09-2014, 01:11 PM | #147 |
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Re: अकबर - बीरबल..
गधों का बोझ ! :.......... एक बार बादशाह अकबर अपने दो बेटों के साथ नदी के किनारे गए। साथ में बीरबल भी थे। दोनों बेटों ने अपने कपडे़ उतारे और नदी में नहाने उतर गए। बीरबल को उन्होंने अपने कपड़ों की रखवाली करने के लिए कहा। बीरबल नदी किनारे बैठ कर उन दोनों के आने का इंतजार करने लगे। कपडे़ उन्होंने अपने कंधों पर रखे हुए थे। बीरबल को इस अवस्था में खडे़ देख बादशाह अकबर के मन में शरारत सूझी। उन्होंने बीरबल को कहा, "बीरबल तुम्हें देख कर ऐसा लग रह है जैसे धोबी का गधा कपडे़ लाद कर खडा़ हो।" बीरबल ने झट से जवाब दिया, "महाराज धोबी के गधे के पास केवल एक गधे का ही बोझ होता है, किंतु मेरे पास तो तीन-तीन गधों का बोझ है।" बीरबल के मुंह से जवाब सुनकर बादशाह अकबर निरूत्तर हो गए' :..........
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07-09-2014, 02:18 PM | #148 |
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Re: अकबर - बीरबल..
सबसे चालाक कौन?
बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “बताओ बीरबल, हिन्दुस्तान की सब जातियों में सबसे चालाक जाति कौन सी है?” बीरबल ने कहा, “बनिया.” “कैसे?” “सबूत मैं कल तक हुज़ूर के सामने पेश कर दूंगा.” इसके बाद बीरबल ने बाजार से बड़े व्यापारी को बुलाया और धमकाया कि मुझे खबर मिली है कि तुमने अपने यहाँ देने के बाट (तोलने के वजन) कोई और रखे हैं तथा लेने के बाट कोई और. बनिया कांपने लगा क्योंकि बीरबल जो कह रहा था वह सच था. बीरबल ने कहा, इस जुर्म में तुम्हें सूली दी जायेगी या फाँसी. तुम इन दोनों सजाओं में से जो चाहे चुनाव कर सकते हो. व्यापारी ने कुछ क्षण सोचने के उपरांत उत्तर दिया, “महाराज, जिसमे मेरा अधिक फायदा हो.” बीरबल ने बादशाह अकबर को देखा जो उस व्यापारी की बात सुन कर और बीरबल को देख कर मुस्कुरा रहे थे. उन्हें अपने प्रश्न का उत्तर व समाधान मिल चुका था. उन्होंने उस व्यापारी को उचित परामर्श दे कर छोड़ दिया.
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08-09-2014, 08:13 PM | #149 |
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Re: अकबर - बीरबल..
अकबर बीरबल के मजेदार वाकये
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09-09-2014, 02:31 PM | #150 |
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Re: अकबर - बीरबल..
एक दिन अकबर ने बीरबल से पुछा ,बीरबल जरा बताओ तो इस दुनिया में किसकी संख्या अधिक है,जो देख सकते है या जो अंधे है
बीरबल बोले ,इस समय तुरंत तो आपके इस सवाल का जवाब देना मेरे लिए संभव नहीं है,लेकिन मेरा विश्वास है की अन्धो की संख्या अधिक होगी बजाय देख सकने वालो के बादशाह ने कहा की तुम्हे अपनी बात सिद्ध करके दिखानी होगी ,बीरबल ने चुनौती स्वीकार कर ली ! अगले दिन बीरबल बीच बाजार में एक बिना बुनी हुई चारपाई लेकर बैठ गए और उसे बुनना शुरू कर दिया! उसके अगल-बगल दो आदमी कागज-कलम लेकर बैठें हुए थे !थोड़ी ही देर में वहां भीड़ इक्कठी हो गई यह देखने के लिए की क्या हो रहा है ,वहां मौजूद हर व्यक्ति ने बीरबल से एक ही सवाल पूछा "बीरबल तुम क्या कर रहे हो" बीरबल के अगल-बगल बैठें दोनों आदमी ऐसा सवाल करने वालो का नाम पूछ पूछ लिखते जा रहे थे , जब बादशाह के कानो तक ये बात पहुंची कि बीच बाजार बीरबल चारपाई बून रहे तो वो भी वहां जा पहुचे और वही सवाल किया ! "यह तुम क्या कर रहे हो " कोई जवाब दिए बिना बीरबल अपने बगल में बैठें एक आदमी से बादशाह अकबर का भी नाम लिखने को कहा तभी बादशाह ने आदमी के हाथ में थमा कागज का पुलिंदा ले लिया उस पर लिखा था "अंधे लोगो की सूची " बादशाह ने पुछा, इसमे मेरा नाम क्यों लिखा है बीरबल ने कहा 'जहाँपनाह ,आपने देखा भी मै चारपाई बुन रहा हूँ ,फिर भी आपने सवाल पूछा कि मै क्या कर रहा हूँ बादशाह ने देखा उन लोगो की सूची में एक भी नाम नहीं था जो देख सकते थे लेकिन अंधे लोगो की सूची का पुलिंदा बेहद भरी था ! बीरबल ने कहा "हुजूर ,अब तो आप मेरी बात से सहमत हो की दुनिया में अंधे की संख्या अधिक है बीरबल की इस चतूराई पर बादशाह मंद मंद मुस्करा दिए
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