26-02-2015, 03:18 PM | #21 |
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Re: आक्षेप का पटाक्षेप
उपरोक्त अनुच्छेदों (१ से ७ तक) के प्रमाणों से कुकी जी का आग्रह 'सकारात्मक लिखिए' स्वतः धराशाई नहीं हो जाता? क्योंकि जब सब कुछ नकारात्मक हो तो सकारात्मक कैसे लिखा जा सकता है?
उपरोक्त अनुच्छेदों के प्रमाणों से पवित्रा जी द्वारा लगाया गया- 'देवी-देवताओं के गलत चित्रण' का आक्षेप और आरोप भी निराधार हो जाता है। सोनी पुष्पा जी का तर्क कि अपने लेखन के लिए स्वत: लेखक ही जिम्मेदार है तो हमने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत कर दिया है। अतएव यह स्पष्ट है- दोष हमारी रचनाओं में नहीं, हिंदू धर्म ग्रंथों में है। हमने तो सिर्फ़ धर्म ग्रंथों में पूर्वस्थापित तथ्यों का हास्य-व्यंग्य के उद्देश्य से आधुनिकीकरण ही किया है।
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