17-04-2011, 08:06 PM | #1 |
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मुनव्वर राना की शायरी
कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नहीं देखा तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा ये सोच कर के तेरा इंतजार लाजिम है तमाम उम्र घडी की तरफ नहीं देखा यहाँ तो जो भी है आबे-रवा का आशिक है किसी ने खुश्क नदी की तरफ नहीं देखा वो जिसके वास्ते परदेस जा रहा हु मै बिछडते वक़्त उसी की तरफ नहीं देखा न रोक ले हमें रोता हुआ कोई चेहरा चले तो मुड़ के गली की तरफ नहीं देखा बिछडते वक़्तबहुत मुतमइन थे हम दोनों किसी ने मुड़ के किसी की तरफ नहीं देखा रवीश बुजुर्गो की शामिल है मेरी घुट्टी में जरुरतन भी सखी की तरफ नहीं देखा मायने लाजिम=जरुरी, आबे-रवा=बहता पानी, मुतमइन=संतुष्ट, रवीश=आचरण, सखी=दानदाता |
17-04-2011, 08:12 PM | #2 |
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Re: मुनव्वर राना की शायरी
बहुत अच्छे मित्र
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09-11-2012, 10:38 PM | #3 |
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Re: मुनव्वर राना की शायरी
प्रिय बंधु, मुनव्वर राना की शायरी आज दुनिया भर में बड़े अदब और एहतराम से सुनी व पढ़ी जाती है. वाकई उनके स्तर के शायर अधिक नहीं होंगे. उनकी खासियत यह है कि जटिल से जटिल बात भी वह सीधी सादी भाषा में कह देते हैं.
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09-11-2012, 10:44 PM | #4 |
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Re: मुनव्वर राना की शायरी
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा .....................................
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मुनव्वर राना, munwwar rana |
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