14-12-2010, 05:27 AM | #1 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34 |
~!!शेखचिल्ली!!~
~!!शेखचिल्ली!!~ निरंतर घुमक्कड़ी का जीवन जीने के कारण शेखचिल्ली पढ़ न सके। हाँ, आये दिन की परेशानियों और अभावों ने इनको आवश्यकता से अधिक हवाई किलेबाजी अता फरमा दी। बचपन ही से शेखचिल्ली चमत्कारों की तलाश में पीर-फकीरों के दीवाने रहे। घुमक्कड़ी का जीवन इन्हें रास नहीं आया। रात-दिन ऐशो-आराम के साधन पा लेने के सपने और तुनकमिजाज अधिकारियों और सामंतों की तरह अपने को पेश करने के हवाई पुल बांधना इनकी नियति बनती गई। वह जमाना ही अंधविश्वासों, झाड-फूंक और गंडे-तावीजों का था। फिर जिस कबीलियाई परिवेश में शेखचिल्ली गोदी से उतर धरती पर चलने लायक बने, उसमें तो अंधविश्वासों की जडें दिमाग के हर कोने में जमी थीं। अभावों में पलता भावुक बाल शेखचिल्ली इन्हीं अंधविश्वासों की परिणति में काल्पनिक चमत्कारों के रंग भरना सीख गया। एक किवदंती के अनुसार शेखचिल्ली क़ी इन बे-सिर-पैर की हरकतों से तंग आकर एक रात उसके कबीले वाले किसी 'सूखे करेजे' (सूखी झाड़ियों का झुण्ड) के पास इन्हें सोता छोड़कर आगे निकल गए। शेखचिल्ली के जीवन का यह एक नया मोड़ था। अब वह नितांत अकेला रह गया था। |
Bookmarks |
Tags |
sheikh chilli, sheikh chilli stories, sheikhchilli |
|
|