01-04-2012, 08:00 AM | #1 |
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रामसेतु की महिमा
रामसेतु (तमिल: இராமர் பாலம் रामर पालम , मलयालम: രാമസേതു, रामसेतु, अंग्रेजी: Adam's Bridge; आदम का पुल), तमिलनाडु, भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य चूना पत्थर से बनी एक शृंखला है। भौगोलिक प्रमाणों से पता चलता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू मार्ग से आपस में जोड़ता था।[1] |
01-04-2012, 08:00 AM | #2 |
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Re: रामसेतु की महिमा
यह पुल ३० किलोमीटर (१८ मील) लम्बा है।[2] तथा मन्नार की खाड़ी (दक्षिण पश्चिम) को पाक जलडमरूमध्य (उत्तर पूर्व) से अलग करता है। कुछ रेतीले तट शुष्क हैं तथा इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल ३ फुट से ३० फुट (१ मीटर से १० मीटर) जो नौगमन को मुश्किल बनाता है।[1][3][4] यह कथित रुप से १५ शताब्दी तक पैदल पार करने योग्य था जब तक कि तूफानों ने इस वाहिक को गहरा नहीं कर दिया। मन्दिर के अभिलेखों के अनुसार रामसेतु पूरी तरह से सागर के जल से ऊपर स्थित था, जब तक कि इसे १४८० ई० में एक चक्रवात ने तोड़ नहीं दिया।
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01-04-2012, 08:03 AM | #3 |
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Re: रामसेतु की महिमा
आकाश से रामसेतु का दृश्य |
01-04-2012, 08:03 AM | #4 |
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Re: रामसेतु की महिमा
रामसेतु की महिमा
भारत के दक्षिण में रामेश्वरम नामक स्थान से श्री लंका तक समुद्र की एक उथली भूभाग की छोटे छोटे द्वीपों की रेखा चली गयी है,पुराने जमाने से ही लोगों की मान्यता रही है कि किसी भी विज्ञान को याद करने के लिये उसकी कहानी बनायी जाती थी,लेकिन कहानी का हकीती जीवन में जो मूल्य होता है,वह स्थान व्यक्ति या समुदाय से कोई अपना आस्तित्व नही रखता है,जिस प्रकार से जीवन में कर्म के तीन अर्थ माने गये है,मनसा,वाचा और कर्मणा,मन का सोचा जाना है,वाचा से कहा जाना है,लेकिन वाचा एक ही प्रकार की नही होती है,जीभ से बोलकर बात की जाती है,गले से आवाज निकालकर आवाज दी जाती है,नाक से गुनगुनाकर बात की जाती है,आंखों से इशारे से बात के जाती है,शरीर से हाथ का इशारा दिया जाता है,पैर से भी लात दिखाकर बात की जाती है,पेट को हिलाकर और पीठ को दिखाकर भे बात की जाती है,कन्धों को मटकाकर,बाजुओं को लहराकर,और चाल को थिरकर चेहरे से हाव भाव बनाकर भी बात की जाती है,यह कल्पना अधिकतर नृत्य आदि मे देखी जा सकता है,उसी प्रकार से कर्म करने के लिये शरीर से काम किया जाता है,पूरे शरीर से काम करने के लिये मन,बुद्धि और ज्ञान का सहारा लिया जाता है,यह बात समझने के लिये संसार के अन्दर जितने भी सहायक कारण है उनका भी प्रयोग किया जाता है,घर परिवार,दोस्त,और समाजिकता से जितने भी लोग जुडे होते है,किसी न किसी प्रकार से सहायता करते है,उसी तरह से जो कहानी वेदों में लिखी गयी है,उनका उद्देश्य केवल शरीर और शरीर से जुडे कार्यों का विवेचन करना ही मान जा सकता है,बाकी सब मानसिक कल्पना से बनायी गई तस्वीरों से अधिक और कुछ नही होता है, |
01-04-2012, 08:03 AM | #5 |
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Re: रामसेतु की महिमा
हिन्दी के जितने भी अक्षर है,उनको अगर सजाकर और संवारकर अगर लिखा जावे तो जो भी देवता है,सबके रूप सामने आ आजाते है,अक्षर ’अ’ को ही देख लीजिये,उसको अगर सजाया जाये तो हाथ में धनुष लिये हुए ’राम’का रूप बन जाता है,अक्षर ’शं’ को अगर संवारा जाये तो श्रीकृष्ण का रूप बन जाता है,अक्षर ’श्र’को लिखा सजाया जाये तो लक्षमी का रूप बन जाता है,उसी प्रकार से अक्षर ’श’ के ऊपर अगर छोटी ’इ’ की मात्रा लगाये जावे तो अक्षर ’शि’ का रूप बन जाता है,जिसे अक्सर भगवान ’शिव’ के लिये प्रयोग किया जाता है,जिसमे कल्पना की जाती है कि उनके सिर से गंगा की धारा निकलती है,और शब्द ’शव’ जो कि एक मुर्दे के रूप मे है उसके ऊपर चोटी ’इ’ की मात्रा लगाते ही शब्द ’शिव’ बनजाता है,जिसमे छोटी ’इ’ को शक्ति का रूप दिया गया है,इसी लिये अक्षर इ और ई को शक्ति का कारक कहा जाता है,शब्द ’जव’जो कि छिलका चढा हुआ,एक अनाज है और उसे अगर भूमि के अन्दर डालकर प्राक्रुतिक कारकों को समावेशित किया जाये,तो बडी ई की मात्रा लगाते ही वह शब्द ’जव’ शब्द ’जीव’ बन जाता है.
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01-04-2012, 08:04 AM | #6 |
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Re: रामसेतु की महिमा
छोटी ’इ’ और छोटा ’अ’ हर शब्द के अन्दर जो भी पुल्लिन्ग या स्त्रीलिन्ग है,और जीव से आच्छादित है,अपनी उपस्थिति प्रस्तुत करते है,और जो भी शब्द नपुसिन्गलिन्ग है,वे अपना इशारा भी इसी प्रकार से प्रस्तुत करते है,बडा ’आ’ और बडी ’ई’अपनी शक्ति की पूर्णता प्रदान करती है,बडे ’आ’ और बडी ’ई’ की मात्रा किसी भी शब्द को जोडने का काम करते है,शब्द ’रम’का अर्थ होता है,समाया हुआ,और बडे ’आ’ की मात्रा ही अक्षर ’र’और ’म’ को जोडकर शब्द ’राम’ का निर्माण करता है,जो कारक ’रम’ से ’राम’ को बनाने में सहायक हुआ है,वही ’रामसेतु’ कहलाता है.
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01-04-2012, 08:04 AM | #7 |
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Re: रामसेतु की महिमा
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राम ही विश्व का धरातल है </b> |
01-04-2012, 08:04 AM | #8 |
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Re: रामसेतु की महिमा
सतेलिते पिक्चर |
01-04-2012, 08:05 AM | #9 |
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Re: रामसेतु की महिमा
रामसेतु राष्ट्रीय धरोहर है या नहीं, 'सोचकर' बताएगी सरकार
नई दिल्ली। रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को और वक्त दे दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने या न देने के मुद्दे पर फैसले के लिए उसे और वक्त की जरूरत है। अडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल ने कोर्ट को कहा कि इस मुद्दे पर सक्षम अधिकारी के साथ मशविरे की जरूरत है। उन्होंने इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए और वक्त दिए जाने की मांग की। इस पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते दे दी मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। |
01-04-2012, 08:05 AM | #10 |
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Re: रामसेतु की महिमा
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रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने के लिए केंद्र को मोहलत </b> |
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