28-04-2012, 10:38 PM | #7121 |
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लंदन। भोपाल गैस हादसे के एक पीड़ित ने भारत से लंदन ओलंपिक का बहिष्कार करने को कहा है क्योंकि इसके आयोजन को डाउ केमिकल्स प्रायोजित कर रही है। दो दिसंबर 1984 की रात हुए भोपाल गैस हादसे में अपने माता-पिता सहित परिवार के सात सदस्यों को खो चुके संजय वर्मा ने इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन, यूरोप के सदस्यों से शुक्रवार शाम यहां कहा कि भारत सरकार को लंदन ओलंपिक का बहिष्कार करना चाहिए और यह खिलाड़ियों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे इसमें शामिल हों या नहीं। भारत में कार्यकर्ताओं का मानना है कि 1984 के भोपाल गैस हादसे को लेकर डाउ के भी उत्तरदायित्व हैं क्योंकि इसने बाद में यूनियन कारबाइड को खरीद लिया था जो दुर्घटना के समय संयंत्र की मालिक थी। हादसे के 17 साल बाद यूनियन कारबाइड को खरीदने वाली डाउ का कहना है कि उसके सभी दायित्व 1989 में पीड़ितों के साथ हुए मुआवजा समझौते के साथ पूरे हो गए थे। संजय वर्मा का जन्म भोपाल में हादसे से पांच महीने पहले हुआ था। उनका परिवार जयप्रकाश नगर में रहता था। उन्होंने कहा कि डाउ केमिकल्स ने हजारों लोगों को मार दिया। उसके हाथ खून से रंगे हैं और अब यह खून लंदन ओलंपिक तक जा रहा है। डाउ केमिकल्स के साथ अब कोई सौदा नहीं होना चाहिए। वर्मा ने कहा कि लंदन ओलंपिक आयोजन समिति के अध्यक्ष लॉर्ड सेबेस्टियन को समिति के अन्य सदस्यों के साथ भोपाल जाना चाहिए और देखना चाहिए कि डाउ केमिकल्स ने वहां क्या किया । प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर संजय वर्मा ने कहा कि मैं चाहूंगा कि गैस हादसे के पीड़ितों का पुनर्वास हो और उन्हें उचित उपचार मिले। लेकिन डाउ केमिकल्स और लंदन ओलंपिक 2012 में इसके प्रायोजन के खिलाफ प्रचार कर रहे लेबर फ्रेंड्स आफ इंडिया के अध्यक्ष बैरी गार्डिनर ने कहा कि भारत को ओलंपिक खेलों का बहिष्कार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों के लिए खिलाड़ियों को लंबे समय तक प्रशिक्षण दिया जाता है और मुझे नहीं लगता कि खेलों के बहिष्कार से मदद मिलेगी। बहिष्कार पूरी तरह गलत होगा। मैं ओलंपिक समर्थक हूं, मेरे पिता ओलंपियन थे। गार्डिनर ने कहा कि यदि प्रदर्शन होते हैं, तो मैं नहीं चाहता कि वे खिलाड़ियों के लिए बाधा खड़ी करें। वे आयोजकों को निशाना बना सकते हैं।
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28-04-2012, 10:39 PM | #7122 |
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भारतीय व्यवस्था महिलाओं के लिए अच्छी और निष्पक्ष : राव
वाशिंगटन। अमेरिका में भारत की शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि भारतीय व्यवस्था महिलाओं के योगदान को स्वीकार करने के मामले में विश्व में सबसे बेहतर और निष्पक्ष है। फलोरिडा विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में अमेरिका में भारत की राजदूत निरूपमा राव ने कहा कि यह इस बात से साफ साबित हो जाता है कि वह महिला होकर भी कूटनीति के सबसे ऊंचे पद तक पहुंची। उन्होंने कहा कि जब से मैं एक राजनयिक बनी हूं तब से भारत के सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की स्थिति मजबूत से और अधिक मजबूत होती गई है। उदाहरण के लिए मुझे वर्ष 2009 से 2011, दो वर्षों तक भारत की विदेश सचिव के रूप में विदेश सेवा की प्रमुख होने का अधिकार मिला । हर दृष्टि से यह एक अनूठा अनुभव रहा। राव ने कहा कि लोक सेवा में और राष्ट्र के लिए महिलाओं के योगदान के मामले में भी प्रदर्शित होता है कि हमारी व्यवस्था विश्व की एक बेहतर व्यवस्था है। राजनय के जिस क्षेत्र से राव संबंध रखती हैं उसके बारे में उन्होंने कहा कि इस सेवा में लंबे समय से पुरुषों का वर्चस्व था और जब 1973 में वह विदेश सेवा अधिकारी बनीं उस समय भी यह काफी स्पष्ट था। कुछ दशक पहले तक संप्रभु देशों के बीच विदेश संबंधों में महिलओं का दखल बिल्कुल नई बात थी। राव ने कहा कि बेशक यह तथ्य कि उस समय हमारी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक महिला थीं और यह भारत के लिए ही नहीं बल्कि समूचे विश्व के लिए एक क्रांतिकारी घटना थी। इसने समाज में महिलाओं के ऊंचाई पर पहुंच सकने के विचार को और अधिक स्वीकार्य बनाया। राव ने कहा कि कई साल पहले, सीबी मुथम्मा नाम की एक पहली भारतीय विदेश सेवा अधिकारी हुई थीं जिन्होंने लोक सेवा की परीक्षा दी और भारतीय विदेश सेवा में आई। उन्होंने व्यवस्था में सुधार करने के लिए जबरदस्त संघर्ष किया और उन्हीं के प्रयासों से उनके बाद आने वाली पीढ़ियों को असाधारण अवसर मिले। भारतीय राजदूत ने कहा कि आज भारतीय विदेश सेवा अपनी महिला राजदूतों और उच्चायुक्तों समेत वरिष्ठ महिला अधिकारियों पर भरोसा और गर्व करती है, जो विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और लगातार देश की विदेश नीति को संवारने और आगे बढ़ाने में योगदान कर रही हैं। राव ने कहा कि भारत आज ऐतिहासिक बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं क्योंकि वे अब गरीबी से उबर रहे हैं और देश की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था इसे दुनिया की अगुवा आर्थिक ताकतों में से एक बना रही है। भारतीय राजदूत ने कहा कि हम अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। हमारा लोकतंत्र मजबूत, जीवंत और लचीला है।
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28-04-2012, 10:39 PM | #7123 |
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पेट्रोलियम पदार्थों के दाम तर्कसंगत बनाने की जरुरत : मनमोहन
बठिंडा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम के असर से आम आदमी को बचाते हुए देश में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम तर्कसंगत बनाने की जरुरत है। प्रधानमंत्री ने यहां 20,000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार गुरु गोविंद सिंह रिफाइनरी को देश को समर्पित करते हुए कहा कि देश में कच्चे तेल की कुल खपत में 80 फीसद हिस्सा आयात से पूरा होता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत से पेट्रोलियम आयात बिल पर दबाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हमें कीमत को तर्कसंगत बनाने की जरुरत है साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि गरीब और जरुरतमंद इसके असर से बचें रहे। सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों ने कच्चे तेल और दूसरे जरुरी सामान की लागत में भारी वृद्धि के बावजूद डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की कीमत पिछले एक साल से नहीं बढ़ाई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आम आदमी को तेल की बढ़ती कीमतों के असर से बचाने के लिए सरकार डीजल, केरोसिन और रसोई गैस की कीमत बाजार मूल्य से कम रखकर बड़ा बोझ वहन कर रही है। सिंह ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में हम बड़ी भयानक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कच्चे तेल और गैस के घरेलू संसाधन हमारे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं। सरकार ने जून 2010 में पेट्रोल की कीमत को नियंत्रण मुक्त किया था लेकिन सरकारी तेल कंपनियां राजनैतिक दबाव में कीमत नहीं बढ़ा सकीं। पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 65.64 रुपए प्रति लीटर है जो उसकी लागत से नौ रुपए कम है। डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की कीमत पर सरकार का नियंत्रण है। तेल कंपनियां डीजल लागत से 16.16 रुपए कम पर बेचती हैं जबकि केरोसिन की बिक्री पर उन्हें 32.59 रुपए प्रति लीटर का नुकसान होता है। रसोई गैस के 14.2 किलो के एक सिलिंडर को मूल लागत से 570.50 रुपए कम कीमत पर बेचा जाता है। इंडियन आयल कार्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को लागत से कम कीमत पर डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री के कारण 2011-12 में 1,38,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। चालू वित्त वर्ष के दौरान अनुमान है कि इन कंपनियों को 2,08,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
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28-04-2012, 10:40 PM | #7124 |
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भविष्य में दोगुनी होगी बठिंडा रिफाइनरी की शोधन क्षमता : मित्तल
अरबपति उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल ने कहा कि बठिंडा रिफाइनरी की शोधन क्षमता भविष्य में दोगुनी होकर 1.8 करोड़ टन सालाना की जाएगी। 90 लाख टन सालाना क्षमता वाले इस संयंत्र से देश की ऊर्जा सुरक्षा और पंजाब को पेट्रोरसायन का बड़ा केंद्र बनाने में मदद मिलेगी। विश्व की सबसे बड़े इस्पात निर्माता समूह आर्सेलर मित्तल के अध्यक्ष एलएन मित्तल का तेल विपणन क्षेत्र में यह पहला निवेश है। मित्तल एनर्जी ने सरकारी स्वामित्व वाले तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के साथ गठजोड़ किया है जिसका नाईजीरिया में अपतटीय तेल उत्खनन ब्लाक है। मित्तल ने कहा कि रिफाइनरी से उत्तर भारत के किल्लत झेल रहे बाजार की जरुरत पूरी होगी। मित्तल एनर्जी इन्वेस्टमेंट्स और सरकारी कंपनी हिंदस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के संयुक्त उद्यम एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) ने 42 महीनों में रिफाइनरी का निर्माण किया। एचपीसीएल और मित्तल एनर्जी इन्वेस्टमेंट प्राईवेट लिमिटेड, सिंगापुर - लक्ष्मी मित्तल समूह की कंपनी प्रत्येक की संयुक्त उद्यम में 49 फीसद हिस्सेदारी है जबकि दो प्रतिशत हिस्सेदारी वित्तीय संस्थानों के पास है। इस रिफाइनरी से देश की कुल तेल शोधन क्षमता बढ़कर 21.3 करोड़ टन सालाना हो गई जबकि पहले यह 19.8 करोड़ टन थी।
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28-04-2012, 10:41 PM | #7125 |
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अमेरिका और तालिबान की बातचीत बहाल
इस्लामाबाद। अफगानिस्तान में दशकों से जारी संघर्ष के राजनीतिक समाधान के लिए अफगान तालिबान और अमेरिका ने कतर में फिर से अपनी बातचीत बहाल की है। हालांकि, अब तक दोनों पक्ष किसी भी तरह की प्रगति में नाकाम रहे हैं। ‘द न्यूज डेली’ ने अज्ञात तालिबान नेताओं के हवाले से कहा कि दोनों पक्ष एक दूसरे के सामने कड़ी शर्तें रख रहे हैं। तालिबान ने तीन जनवरी को कतर में अपना कार्यालय खोला और इसे अमेरिका से बातचीत के लिए अपना ‘राजनयिक कार्यालय’ बताया। तालिबान नेताओं ने कहा कि अफगान तालिबान के सर्वोच्च कमांडर मुल्ला मोहम्मद उमर के रिश्तेदार और प्रवक्ता तैयब आगा की अगुवाई वाला एक पांच-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल तीन हफ्ते पहले कतर गया था और अमेरिकी अधिकारियों के साथ दो दौर की बातचीत की थी । सऊदी अरब में तालिबान के पूर्व दूत मौलवी शहाबुद्दीन दिलावर प्रतिनिधिमंडल के एक और सदस्य हैं। बहरहाल, तालिबान नेताओं ने कहा कि वह मौजूदा वार्ता में तत्काल किसी सफलता की उम्मीद नहीं कर रहे।
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28-04-2012, 10:42 PM | #7126 |
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बाजवा होंगे पाक सेना के मुख्य प्रवक्ता
मेजरल जनरल असीम सलीम बाजवा पाकिस्तानी सेना के नए मुख्य प्रवक्ता होंगे। 111 ब्रिगेड के पूर्व कमांडर रहे बाजवा की पिछले सैन्य तख्तापलट में महत्वपूर्ण भूमिका थी। मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि बाजवा इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के निदेशक के रूप में जून में मेजर जनरल अतहर अब्बास की जगह लेंगे जो सेवानिवृत होने जा रहे हैं। आतंकवादियों के प्रभाव वाले कबाइली क्षेत्र के अंतर्गत वना में कमांडर रहे बाजवा को सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने सेना की मीडिया इकाई में भेजने का फैसला किया है। पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के स्टाफ अफसर के रूप में कार्य करने के दौरान बाजवा ने किताब ‘इन द लाइन आफ फायर’ लिखने में मुशर्रफ की मदद की।
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28-04-2012, 10:44 PM | #7127 |
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सरकोजी ने मेरा राजनीतिक कैरियर बर्बाद कर दिया-स्ट्रास काह्न
लंदन। आईएमएफ के पूर्व प्रमुख डोमेनिक स्ट्रास काह्न ने यौन प्रकरण में अपना नाम उछलने के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने राष्ट्रपति चुनावों में अपनी राह आसान करने के लिए उन्हें बदनाम कर दिया। ब्रिटिश दैनिक गार्जियन को दिए विशेष साक्षात्कार में कान ने कहा कि न्यूयार्क के सोफ्टिेल होटल के उनके कमरे से शुरू हुए विवाद ने उनके कैरियर को बर्बाद करके रख दिया। काह्न ने बताया कि होटल के कमरे में अश्वेत महिला के साथ दुराचार करने के मामले को जो एक बड़ा रूप दिया गया, उसमें उनके राजनीतिक विरोधियों का हाथ था। उन्होंने कहा कि उस महिला का मेरे कमरे में आना और उसके साथ मैने जो कुछ भी किया मैं नहीं मानता मेरे विरोधियों ने उस सबकी साजिश तैयार की होगी, लेकिन मेरा मानना है कि घटना के बाद बड़े आपराधिक मामले की शक्ल दिया जाना दरअसल एक राजनीतिक खेल था। काह्न ने फ्रांस की खुफिया एजेंसियों को भी इस दौरान आड़े हाथों लेते हुए कहा कि न्यूयार्क वाले मामले से कई सप्ताह पहले से सरकोजी के इशारे पर उन पर नजर रखी जा रही थी और उनके फोन टैप किये जा रहे थे। उन्होंने बताया कि इस दौरान यकीनन खुफ्यिा एजेंटों को ऐसा कुछ भी नहीं मिला होगा, जो उन्हें राष्ट्रपति चुनावों में सोशलिस्ट पार्टी की ओर से खड़ा होने से रोक सके। काह्न ने कहा कि मुझे कभी नहीं लगा कि वे मुझे रोकने के लिए इस हद तक जा सकते हैं। काह्न का यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब फ्रांस में राष्ट्रपति चुनावों का पहला चरण संपन्न हो चुका है और उसमें सरकोजी सोशलिस्ट पार्टी के ही एक अन्य उम्मीदवार फ्रांसुआ होल्लांद से पिछड गए हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे चरण में होल्लांद के 54 फीसदी मतों के साथ जीत जाने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है। राष्ट्रपति चुनावों में स्ट्रास काह्न सोशलिस्ट पार्टी की ओर से प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। इस प्रकरण के सामने आने के बाद उन्हें आईएमएफ के अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उनका राजनीतिक कैरियर भी लगभग समाप्त हो गया था। क्रिस्टीन लेगार्द ने आईएमएफ में उनकी जगह ली और होल्लांद राष्ट्रपति चुनावों में सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बनकर उभरे।
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28-04-2012, 10:45 PM | #7128 |
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चीन का नेत्रहीन मानवाधिकार कार्यकर्ता रहस्यमय ढंग से फरार
बीजिंग। चीन में नजरबंद चल रहे नेत्रहीन मानवाधिकार कार्यकर्ता चेन गुआंगचेन अपने घर से रहस्यमढंग से फरार हो गए हैं और उनके बीजिंग में ही अमेरिकी दूतावास में होने की अटकलें हैं। चीन में जबरन गर्भपात के खिलाफ अभियान चलाने वाले चेन को सितंबर 2010 में जेल से रिहा होने के बाद पूर्वी प्रांत शेनडोंग के लिनयी में उनके गांव में नजरबंद रखा गया था। इसके अलावा उनके परिजनों पर लगातार नजर रखी जा रही थी। चीन सरकार के इस कदम की दुनियाभर में कड़ी आलोचना हुई थी। अमेरिका के टैक्सास से संचालित और धार्मिक एवं राजनीतिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन चाइनाएड के अध्यक्ष बाब फू ने एक बयान में दावा किया कि चेन बीजिंग में ही हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी अटकलें हैं कि वह बीजिंग में अमेरिकी दूतावास में हैं। हालांकि अमेरिका और चीन के विदेश मंत्रालयों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग ने बार-बार कुरेदे जाने के बावजूद इस मामले में टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने कहा कि इस मामले में मेरे पास आपको देने के लिए कोई जानकारी नहीं है। इस बीच यूट्यूब पर जारी एक वीडियो में चेन ने नजरबंदी से बच निकलने की पुष्टि की है और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से स्थानीय अधिकारियों द्वारा उनके और उनके परिजनों के साथ किए गए दुर्व्यवहार की जांच करने की मांग की है। चेन ने कहा कि मेरे लिए वहां से बच निकलना आसान नहीं था, लेकिन मैं किसी तरह वहां से निकल आया। इंटरनेट पर मेरी प्रताड़ना के बारे में जो कुछ कहा गया था, वह सही था। उन्होंने यह नहीं बताया कि वह कहां हैं और उनकी आगे की क्या योजना है। एक अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता ही पीरोंग ने कहा कि चेन ने उनसे बात की थी। पीरोंग ने कहा कि उनका मनोबल ऊंचा है, लेकिन बहुत कमजोर हो गए हैं और उनका खून भी बह रहा था। उनके हाथ भी कांप रहे थे। वह अपनी मां, बीवी और बच्चे को लेकर काफी चिंतित थे। उन्हें आशंका है कि उनके भागने का बदला उनके परिजनों से लिया जाएगा।
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28-04-2012, 10:45 PM | #7129 |
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हमारी मदद बिना लादेन को ठिकाने लगाना नहीं था मुमकिन-आईएसआई
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (आईएसआई) का कहना है कि ओसामा बिन लादेन को ढूंढ निकालने और मार गिराने का सारा श्रेय अकेले ले लेने वाले अमेरिका में उसकी मदद के बगैर ऐसा कर पाने का कतई सामर्थय नहीं था। अमेरिकी दैनिक वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार आईएसआई से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि दरअसल आईएसआई ने ही अमेरिका को लादेन के ऐबटाबाद में छिपे होने की जानकारी दी थी। इस आईएसआई अधिकारी ने यह भी कहा है कि अमेरिका को विश्व के किसी भी कोने में कुख्यात आतंकवादी संगठन अलकायदा के ठिकानों पर अगर हमला करने में कामयाबी हासिल हुई तो इसका श्रेय भी आईएसआई को ही जाता है। उसने कहा ..हमारी मदद के बगैर अमेरिका ऐसा कभी भी नहीं कर पाता। आईएसआई के ही एक अन्य अधिकारी ने बताया कि लादेन तक पहुंचने के लिये अमेरिकी खुफ्यिा एजेंसी (सीआईए) के एजेंटों ने जिस शख्स अबू अहमद अल कुवैती का पीछा किया उसका फोन नंबर भी आईएसआई ने ही उन्हें दिया था। कुवैती का फोन नंबर सीआईए को सौंपते वक्त आईएसआई को यह जानकारी नहीं थी कि यह नंबर किसका है, लेकिन सीआईए ने यह पता लगते ही कि लादेन संभावित तौर पर ऐबटाबाद में ही छिपा है, आईएसआई से नाता तोड़ लिया और अकेले दम ही आपरेशन नेप्चयून स्पीयर को अंजाम दिया। आईएसआई ने इसे बड़ा धोखा करार दिया है। अमेरिकी अधिकारियों ने हालांकि पाकिस्तान के इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनके पास इस अभियान को अंजाम देने के लिए पर्याप्त सामर्थय मौजूद था और महज एक फोन नंबर का पता लगाने के लिए आईएसआई पर उनकी निर्भरता नहीं थी। उल्लेखनीय है कि एक मई 2011 की रात को पाकिस्तान के एक छोटे से कस्बे एबटाबाद में स्थित एक हवेली पर अमेरिकी नौसेना के नेवी सील कमांडो दस्ते ने हमला बोला था। इस हमले में अमेरिका द्वारा सबसे वांछित आतंकवादी ओसामा बिन लादेन, कुवैती, एक महिला और लादेन के एक अन्य साथी की मौत हुई थी। हमले के बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध भी तल्ख हुए थे। पाकिस्तान सरकार ने इस हमले को खुद की संप्रभुता का हनन बताया था।
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28-04-2012, 10:46 PM | #7130 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
इबोबी मंत्रिमंडल का विस्तार
इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने शनिवार को अपने 43 दिन पुराने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में आठ नए मंत्री शामिल किए हैं। राज्यपाल गुरवाचंद जगत ने नए कैबिनेट मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई उनमें हेमचंद्र सिंह, के गोविंदास, एम ओकेन, एनगामथांग हाओकिप, फ्रांसिस एनगाजोकपा, के. रतनकुमार, एके मीराबाई और मोहम्मद नासिर शामिल हैं। शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह, वरिष्ठ पुलिस एवं नागरिक प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे।
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