03-04-2011, 09:43 AM | #1 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
सब्जियों और फलों के गुण
दोस्तों इस सूत्र में हम आपको फलों और सब्जियों के गुणों के बारे में बतायेगे
कोन सा फल और सब्जी कितनी गुणकारी हे हमारे जीवन के लिए |
03-04-2011, 09:51 AM | #2 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
जाने संतरा कितना गुणकारी हे हमारे स्वस्थ के लिए संतरा एक स्वास्थ्यवर्धक फल है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है। लोहा और पोटेशियम भी काफी होता है। संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें विद्यमान फ्रुक्टोज, डेक्स्ट्रोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना प्रारंभ कर देते हैं। संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है। प्रस्तुत है इसके कुछ प्रयोग- * संतरे का एक गिलास रस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान एवं तनाव दूर करता है, हृदय तथा मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से भर देता है। * पेचिश की शिकायत होने पर संतरे के रस में बकरी का दूध मिलाकर लेने से काफी फायदा मिलता है। * संतरे का नियमित सेवन करने से बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है। रक्तस्राव को रोकने की इसमें अद्भुत क्षमता है। * तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से तापमान कम हो जाता है। इसमें उपस्थित साइट्रिक अम्ल मूत्र रोगों और गुर्दा रोगों को दूर करता है। * दिल के मरीज को संतरे का रस शहद मिलाकर देने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है। * संतरे के सेवन से दाँतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं। * छोटे बच्चों के लिए तो संतरे का रस अमृततुल्य है। उन्हें स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिए दूध में चौथाई भाग मीठे संतरे का रस मिलाकर पिलाने से यह एक आदर्श टॉनिक का काम करता है। * जब बच्चों के दाँत निकलते हैं, तब उन्हें उल्टी होती है और हरे-पीले दस्त लगते हैं। उस समय संतरे का रस देने से उनकी बेचैनी दूर होती है तथा पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है। * पेट में गैस, अपच, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, गठिया, बेरी-बेरी रोग में भी संतरे का सेवन बहुत कुछ लाभकारी होता है। * गर्भवती महिलाओं तथा यकृत रोग से ग्रसित महिलाओं के लिए संतरे का रस बहुत लाभकारी होता है। इसके सेवन से जहाँ प्रसव के समय होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है, वहीं प्रसव पीड़ा भी कम होती है। बच्चा स्वस्थ व हृष्ट-पुष्ट पैदा होता है। * संतरे का सेवन जहाँ जुकाम में राहत पहुँचाता है, वहीं सूखी खाँसी में भी फायदा करता है। यह कफ को पतला करके बाहर निकालता है। * संतरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर आधे घंटे तक लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ, सुंदर और कांतिमान हो जाता है। कील मुँहासे-झाइयों व साँवलापन दूर होता है। * संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसका रस सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बढ़ते हैं और उसका कालापन बढ़ता है। * संतरे के छिलकों से तेल निकाला जाता है। शरीर पर इस तेल की मालिश करने से मच्छर आदि नहीं काटते। * बच्चे, बूढ़े, रोगी और दुर्बल लोगों को अपनी दुर्बलता दूर करने के लिए संतरे का सेवन अवश्य करना चाहिए। * संतरे के मौसम में इसका नियमित सेवन करते रहने से मोटापा कम होता है और बिना डायटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं। इस तरह संतरा सेहत को ही नहीं, हमारी खूबसूरती को भी संवारता है। हमेशा पके व मीठे संतरे का ही सेवन करना चाहिए। गर्मियों में संतरे की फसल अपने पूरे शबाब पर होती है। |
03-04-2011, 10:04 AM | #3 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
अमरुद
अमरुद का लेटिन नाम सीडीयम गुयायावा है। कोई-कोई इसे जामफ; भी कहते हैं। अमरुद खाने से मानसिक चिन्ताएँ भी दूर होती है। कफ युक्त खांसी हो तो एक अमरुद को आग में भून कर खाने से लाभ होता है। अमरुद के पत्तों को चबाने से दाँतों की पीड़ा दूर होती है। अमरुद खाने से आँतों में तरावट आती है और कब्ज़ दूर होती है। इसे रोटी खाने से पहले खाना चाहिये। कब्ज़ वालों को नाश्ते में अमरुद लेना चाहिये। इसे सेंधे नमक के साथ खाने से पाचन-शक्ति बढ़ती है।
|
03-04-2011, 10:14 AM | #4 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
आवला
आंवला हमारी नस नस में समाया हुआ फल है. हर खासो-आम इसका मुरीद है, लड़कियों के बाल धुलने से लेकर दादी नानी के चटपटे हाज़मा चूर्ण तक में इसकी गहरी पैठ है. बुजुर्ग लोग आज भी कार्तिक का महीना आते ही आंवले का पेड़ खोजने लगते हैं ताकि दिन भर उसी के नीचे बैठकी जमे. बहुत शुभ और गुणकारी माना जाता है कार्तिक के महीने में आंवले का सेवन. इसके पेड़ की छाया तक में एंटीवायरस गुण हैं और गज़ब की जीवनी शक्ति है. कार्तिक के महीने में इस पेड़ के ये दोनों गुण चरम पर होते हैं, अगर आप श्वास की किसी भी बीमारी से परेशान है तो सिर्फ इसके पेड़ के नीचे खड़े होकर ५ मिनट गहरी गहरी श्वासें लीजिये,१०-१५ दिन में ही बीमारी आपका पीछा छोड़ देगी. इसे अमर फल भी कहते हैं.कहीं कहीं धात्रीफल और आदिफल के नाम से भी जानते हैं . इसका वैज्ञानिक नाम है-एम्ब्लिका आफीसिनेलिस. इस आमले/आंवले के फल और बीज दोनों ही उपयोगी हैं. इसके फल में प्रोटीन,कर्बोहाईड्रेट , रेशा, वसा,विटामिन-सी,विटामिन बी-१,एस्कार्बिक एसिड , निकोटेनिक एसिड, टैनिन्स, ग्लूकोज, फ्लेविन, गेलिक एसिड और इलैजिक एसिड पाए जाते हैं.इसके बीजों में आलिक एसिड लिनोलिक एसिड और लिनोलेनिक एसिड पाए जाते हैं. ये एक आंवला हजार बीमारियों को भगाता है, लेकिन वहीँ आंवले का मुरब्बा अगर चूने के पानी में उबाल कर बनाया गया है तो सिर्फ सुस्वादु ही हो सकता है, गुणकारी नहीं . इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि हरा आंवला ही ज्यादा प्रयोग किया जाए. ये चार महीने बाजार में उपलब्ध रहता है. अगर हम चार महीने इसका सेवन कर लें तो शेष आठ महीने तक तो रोग रहित होकर जीवनयापन कर ही सकते हैं. इसके सेवन का बिलकुल सामान्य और आयुर्वेदिक तरीका कुछ यूं है-- --- आप १ किलोग्राम हरा आंवला लीजिये साथ ही २०० ग्राम हरी मिर्च. दोनों को धो लीजिये .आंवले को काट कर गुठलियाँ बाहर निकाल दीजिये, अब दोनों को ग्राईडर में दरदरा पीस लीजिये (बिना पानी डाले).अब इसमें १०० ग्राम सेंधा नमक मिला दीजिये . इसे परिवार का प्रत्येक सदस्य चटपटी चटनी की तरह मजे से खायेगा .इसी को आप धूप में सुखा कर पूरे वर्ष के लिए सुरक्षित भी रख सकते हैं.जब इच्छा हो दाल या सब्जी में ऊपर से डाल कर खा सकते हैं. हरी मिर्च (कच्ची) हीमोग्लोविन बढाती है और आंवले के साथ उसका मिश्रण सोने में सुहागा हो जाता है. इसका प्रयोग शरीर में एक्टिवनेस को तो २४ घंटे में ही बढ़ा देता है अनगिनत लाभ हैं इससे .लीवर मजबूत हो जाता है. ल्यूकोरिया के लिए आंवले के बीजों का पावडर बना लीजिये. एक चम्मच पावडर में आधा चम्मच शहद और थोड़ी सी मिश्री मिला कर सवेरे खाली पेट खाएं. १५ दिनों तक बुढापा दूर करने के लिए १०० ग्राम आंवले का पावडर और १०० ग्राम काले तिल का पावडर मिलाये. अब इसमें ५० ग्राम शहद और १०० ग्राम देसी घी मिलाएं . एक चम्मच प्रतिदिन सुबह सिर्फ एक महीने तक खाना है ज्वर दूर करने के लिए दो चम्मच हरे आंवले का रस और दो ही चम्मच अदरक का रस मिश्री मिलाकर दिन में दो बार . बस मूत्र त्याग में दर्द के लिए १५० ग्राम आंवले का रस लीजिये ,बिना कुछ मिलाये पी जाएं , बस दो दिनों तक खांसी में सूखे आंवले के एक चम्मच पावडर में थोड़ा घी मिला कर पेस्ट बना लीजिये, दिन में दो बार चाटिये सुगर के मरीजों के लिए आंवला और हल्दी का पावडर बराबर मात्रा में लीजिये ,अच्छी तरह मिक्स कीजिए.जितनी बार भी भोजन करें उसके बाद एक चम्मच पावडर पानी से निगल लीजिये.सुगर कभी परेशान नहीं करेगी हकलाहट हो तो १०० ग्राम गाय के दूध में एक चम्मच सूखे आंवले का पावडर मिला कर लगातार १५ दिन पीयें, आवाज बराबर से निकलेगी और कंठ सुरीला भी होगा छाती(सीने) में जलन के लिए सूखे आंवले का एक चम्मच पावडर शहद मिला कर सुबह चाटिये या एक चम्मच पावडर में दो चम्मच चीनी और दो ही चम्मच घी मिलाकर चाटिये. पीलिया(जांडिस) में एक गिलास गन्ने के रस में तीन बड़े चम्मच हरे आंवले का रस और तीन ही चम्मच शहद मिला कर दिन में दो बार पिलाए. १० दिन तक पिलाना बेहतर रहेगा जबकि रोग तो तीन दिन में ही ख़त्म हो जाएगा |
03-04-2011, 12:13 PM | #5 |
Diligent Member
|
Re: सब्जियों और फलों के गुण
अच्छी जानकारियाँ ! धन्यवाद सागर जी !
__________________
( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
03-04-2011, 01:16 PM | #6 |
Special Member
|
Re: सब्जियों और फलों के गुण
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी है सागर भाई
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
03-04-2011, 02:49 PM | #7 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
दही
दही में प्रोटीन की क्वालिटी सबसे अच्छी होती हैं। दही जमाने की प्रक्रिया में बी विटामिनों में विशेषकर थायमिन, रिबोफ्लेवीन और निकोटेमाइड की मात्रा दुगुनी हो जाती है। दूध की अपेक्षा दही आसानी से पच जाता है। दही पांच प्रकार की होती है। 1. मन्द 2. स्वादु 3. स्वाद्वम्ल 4. अम्ल 5. अत्यम्ल 1. मन्द दही : जो दही दूध की तरह अस्पष्ट रस वाला अर्थात आधा जमा हो और आधा न जमा हो, वह मन्द (कच्चा दही) कहलाता है। मन्द (कच्चे दही) का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके सेवन से विष्ठा तथा मूत्र की प्रवृत्ति, वात, पित्त, कफ तथा दाह (जलन) आदि रोग पैदा होते हैं। 2. स्वादु दही : जो दही अच्छी तरह से जमा हुआ हो, मधुर खट्टापन लिए हुए हो उसे स्वादु दही कहा जाता है। स्वादु दही नाड़ियों को अत्यन्त रोकने वाला और रक्तपित्त को साफ करने वाला होता है। 3. स्वाद्वम्ल दही : जो दही अच्छी तरह जमा हुआ मीठा और कषैला होता है। वह `स्वाद्वम्ल` कहलाता है। `स्वाद्वम्ल` दही के गुण साधारण दही के गुणों के जैसे ही होते हैं। 4. अम्ल दही : जिस दही में मिठास नहीं होती है और खट्टापन ज्यादा होता है। वह दही अम्ल यानि खट्टा दही कहलाता है। अम्ल दही (खट्टा दही) अग्नि को प्रदीप्त (पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला) करने वाला पित्त रक्त को बिगाड़ने वाला और रक्तपित्त तथा कफ (बलगम) को बढ़ाने वाला होता है। 5. अत्यम्ल दही : जिस दही को खाने से दांत खट्टे हो जाएं, रोंगटे खडे़ हो जाए और कंठ आदि में जलन हो, वह दही अत्यम्ल कहलाता है। यह दही अग्नि को प्रदीप्त (पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला) करने वाला, रक्त को बिगाड़ने वाला एवं वायु (गैस) तथा पित्त (गर्मी) को पैदा करता है। रंग : दही का रंग सफेद रंग का होता है। स्वाद : यह खट्टा और मीठा होता है। स्वरूप : दूध को गर्म करने के बाद उसे ठण्डा करके उसमें कुछ जमाने वाला पदार्थ डालकर दही बनता है। दही भी कई प्रकार का होता है, जैसे- मीठा दही, खट्टा दही, ज्यादा खट्टा दही। स्वभाव : दही खाने से शरीर को ठण्डक और शीतलता महसूस होती है। हानिकारक : खट्टा दही पित और बलगम को पैदा करता है। ज्यादा खट्टा दही खाने से दांत खट्टे होते हैं और शरीर के रोये खड़े हो जाते हैं, पेट में जलन भी होती है। परहेज : दमा, श्वांस, खांसी, कफ, सूजन, रक्तपित्त तथा बुखार आदि रोगों में दहीं नहीं खाना चाहिए। रात को दही नहीं खाना चाहिए। दही में चीनी या शहद डालकर खाने से इसके गुण बढ़ जाते हैं। दोषों को खत्म करने के लिए : दही में नमक, जीरा और गोलमिर्च मिलाकर खाना ज्यादा लाभदायक है। गुण : गर्म दिमाग वालों के लिए दही बहुत गुणकारी है। दही प्यास को रोकता है, दही की मलाई को सिर पर मसाज करने से वही फायदा मिलता जो घिया, लौकी के बीज से मिलता है। दही को अगर चेहरे पर लगाया जाये तो चेहरे की झांई, रूखापन और कालापन दूर होता है। Last edited by sagar -; 03-04-2011 at 02:52 PM. |
03-04-2011, 02:55 PM | #8 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
आलू
आलू शुष्क और गर्म होता है। यह रोटी से जल्दी पचता है। यह सम्पूर्ण आहार है। आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन बी तथा फासफोरस बहुतायत में होता है। आलू खाते रहने से रक्तवाहिनियाँबड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पाती। इसलिये आलू खाकरलम्बी आयु प्राप्त की जा सकती है। कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगायैं। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अल्पपित्त को रोकता है। एक या दोनों गुर्दों में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर लाभ होता है।पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ आसानी से निकल जाती है। |
03-04-2011, 03:05 PM | #9 |
Exclusive Member
Join Date: Feb 2011
Posts: 5,528
Rep Power: 41 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
प्याज
आपने सुना ही होगा कि प्याज के छिलके निकालने से क्या फायदा। परंतु शायद कम ही लोग जानते हैं कि प्याज के इन्हीं छिलकों में स्वास्थ्य और स्वाद का खजाना छिपा हुआ है। दिखने में साधारण-सा प्याज एक बेहतरीन सब्जी भी है और एक बेजोड़ औषधि भी। प्याज में केलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें 11 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है और इसकी गंध एन-प्रोपाइल-डाय सल्फाइड के कारण आती है। यह पदार्थ पानी में घुलनशील अमीनों अम्लों पर एन्जाइम की क्रिया के कारण बनता है। यही कारण है कि प्याज को काटने पर ही आँसू आते हैं। हम प्याज का सलाद एवं सब्जी के रूप में तो उपयोग करते ही हैं, यह एक बेहतरीन औषधि भी है। प्याज अजीर्ण और पतले दस्त में लाभकारी है। यह जीवाणुरोधी, तनावरोधी व दर्द निवारक,मधुमेह नियंत्रक, प्रदाह निवारक, पथरी हटाने वाला और गठियारोधी भी है। कहा तो यह भी गया है कि त्वचा पर घिसने से यह बालों में वृद्धि करता है। लू-लपट में घर से निकलने के पूर्व जेब में प्याज रखकर निकलने की हिदायत तो बुजुर्ग देते ही रहते हैं। प्याज का रस बड़ा ही गुणकारी है। आप इन नुस्खों को आजमायें- * मच्छर भगाने के लिये बिस्तर पर प्याज का रस छिड़क दें तुरंत मच्छर भाग जायेगा। * गठिया रोग में, प्याज के रस में जरा सा राई का तेल मिलाकर मालिश करें गठिया रोग में लाभ होगा। *चेहरे पर झांई मुंहासे हो तो मुंहासे पर प्याज का रस लगायें, झांई हो तो प्याज का बीज पीसकर उसमें शहद मिलाकर लगायें। * अगर कही पर आप जल जाय तो, प्याज को कुचलकर जले पर लगायें। तुरंत आराम मिलेगा। * कुत्ते के काटने पर, प्याज पीसकर लगा दें। प्याज का रस पिला दें खतरा नहीं रहेगा। * सांप के काटने पर, अधिक प्याज का रस पिला दें, विष उतर जायेगा। * जुकाम प्याज का रस सूंघने से ठीक हो जायेगा। * नकसीर (गर्मियों में नाक से खून आना) प्याज का रस सूंघने से ठीक हो जाता है। * अधिक पसीना (पसीने की बदबू) आता हो, तो कच्चा प्याज खायें। |
03-04-2011, 11:43 PM | #10 |
Senior Member
Join Date: Feb 2011
Location: खानाबदोश
Posts: 669
Rep Power: 26 |
Re: सब्जियों और फलों के गुण
बेहतरीन प्रस्तुति सागर जी ...............
__________________
ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
|
Bookmarks |
|
|