12-03-2011, 05:32 PM | #11 |
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Re: अपूर्ण
जरुरत किसको नहीं होती
एतबार की जरुरत किसको नहीं होती, एक यार की जरुरत किसको नहीं होती, मिलता नहीं कोइ हमसफर साथ निभाने के लिये, वरना प्यार की जरुरत किसको नहीं होती|
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
12-03-2011, 05:43 PM | #12 |
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Re: अपूर्ण
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12-03-2011, 08:10 PM | #13 |
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Re: अपूर्ण
बहुत ख़ूबसूरत ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो । |
13-03-2011, 04:36 AM | #14 |
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Re: अपूर्ण
नफरत को मोहबत मे बदल दे
ऐ खुदा नफरत को मोहबत मे बदल दे मुझे तकलीफ दे मगर मेरे प्यार के आयाम को शक्ल दे|
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Gaurav kumar Gaurav Last edited by Bholu; 13-03-2011 at 04:38 AM. |
16-03-2011, 12:01 PM | #15 |
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Re: अपूर्ण
खुदा ये कैसा फैसला तेरा
खुदा ये कैसा फैसला तेरा, क्या मेरी मोहब्बत थी झुठी, उनको उनका प्यार मिला, मुझसे किस्मत क्यों रूठी, वो नही मिले क्यों मुझको? इस पर जवाब खुदा का आया, तुने सच्चे दिल से उसकी खुशीयाँ माँगी, तभी तो उसे उसका प्यार मिल पाया.
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
16-03-2011, 02:29 PM | #16 |
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Re: अपूर्ण
वाह वाह ......
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
16-03-2011, 04:07 PM | #17 |
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Re: अपूर्ण
करिशमा
मागी थी मौत तो जिन्दगी दे दी हमे अन्धेरो मै भी रोशनी दे दी मैने पुछा खुदा से की क्या नायाब चीज है आपके पास तो खुदा ने हमको आपकी दोस्ती दे दी|
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Gaurav kumar Gaurav |
16-03-2011, 04:56 PM | #18 | |
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Re: अपूर्ण
Quote:
बस भाषा पर थोडा और ध्यान देना होगा जैसे करिशमा की जगह "करिश्मा" मागी की जगह "मांगी" हमे अन्धेरो मै की जगह "हमें अंधेरो में" क्योंकि कभी कभी एक छोटी सी गलती भी अर्थ का अनर्थ कर देती है पर "गलती भी तो उसी से होती है जो कोशिश करता है" इसलिए कोशिश करते रहिएगा धन्यवाद
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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16-03-2011, 07:08 PM | #19 |
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Re: अपूर्ण
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
26-03-2011, 06:43 PM | #20 |
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Re: अपूर्ण
गर मेरे इश्क का पता तेरी यादों को लग जाये
दर्द कितना हो पर आंखे आंसूओ को रोने नहीं देतीं मेरी बेखुदी मेरे इश्क की खबर तेरी यादों को भी होने नहीं देतीं गर मेरे इश्क का पता तेरी यादों को लग जाये तो परेशान हो जाये तू क्युकी फिर ये हिचकियाँ रात भर तुझे सोने नहीं देतीं
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल Last edited by ndhebar; 26-03-2011 at 06:46 PM. |
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