20-10-2014, 12:45 PM | #1 |
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'पेंच-समुदाय'
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20-10-2014, 01:23 PM | #2 |
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Re: 'पेंच-समुदाय'
टिप्पणी- इस सूत्र के अंश को मेरे सूत्र वार्तालाप की अनुज्ञप्ति/Conversation License http://myhindiforum.com/showthread.php?t=13821 से उद्घृत किया गया है.
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20-10-2014, 02:06 PM | #3 |
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Re: 'पेंच-समुदाय'
बहुत से बड़े पेंचदार जिन्हें सरपेंचदार की उपाधि मिली हुयी है वे आपके पास नहीं आयेंगे, बल्कि अपनी authenticity बनाए रखने के लिए आपको ही उनके पास जाना पड़ेगा. उदाहरण के तौर पर श्री दीनानाथ बत्रा का नाम लिया जा सकता है जिन्होंने वेंडी डोनिगर की पुस्तक में कई गंभीर पेंच निकाल दिये और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति वाले प्रकाशक 'पेंग्विन' को कोर्ट में ले जा कर खड़ा कर दिया. पेंग्विन वाले चार वर्ष तक कोर्ट में खड़े रहे. आखिरकार थकहार कर वह बैठ गये. लेकिन बैठने से पहले उन्होंने बत्रा के सामने घुटने टेक दिये. उन्होंने कोर्ट केस के ख़तम होने का भी इंतज़ार नहीं किया. इस प्रकार बत्रा जी को आप कंसलटेंट रख सकते हैं.
मुझे भी इस लाइन में काफी तजुर्बा है और सौभाग्य से आजकल मैं available भी हूँ. मेरा कुछ पता नहीं कब absurd नाटक मंडली वाले मुझे बुला कर ले जायें. एक बात पहले ही स्पष्ट कर दूँ. मुझे उप-पेंचदार से नीचे का पद स्वीकार नहीं है.
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20-10-2014, 04:39 PM | #4 |
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Re: 'पेंच-समुदाय'
आप बिल्कुल न घबराइए, रजनीश जी. अब आपकी तरक्की का वक्त आ चुका है. कब तक आप ‘उप-पेंचदार’ बने रहेंगे? मैं बनाऊँगा आपको ‘सर पेंचदार’. फिर तो आप पेंच फँसाने के मामले में बत्रा को भी धूल चटा देंगे!
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