27-02-2011, 10:57 AM | #1 |
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अपूर्ण
किसी कोने में
ऐसा नहीं की अब सब कुछ बदल गया पर हाँ हमने खुद को जरुर बदल डाला है कुछ हासिल नहीं होता छटपटाने से सो खुद से ही खुद को संभाला है ऐसा नहीं की अब आग बुझ चुकी है वो तो आज भी सुलगती है किसी कोने में हाथ से खोजते थे उसमे जाने क्या खोया हुआ और ये हाथ अक्सर तब जल जाता था बुझाने को फूंकते थे जब भी हम उसको चेहरा एक बार फिर से झुलस जाता था अब बस यही आदत बदल डाली है तबसे जाते ही नहीं अब कभी उस कोने में पर सुबह अपनी आँखे नम मिलने पे समझ आता है आज क्या ख्वाब देखा है हमने सोने में ?
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
28-02-2011, 08:59 AM | #3 |
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Re: अपूर्ण
माँ
कभी-कभी खुद अपनी तरक्की से भी हो जाता नाराज हूँ मैं इसी भाग दौड़ में खुद अपनों से दूर हो गया आज हूँ मैं जिस आंचल के साये में रह के किसी लायक बन पाया उस माँ से ही मिलने को चन्द छुट्टी का मोहताज हूँ मैं
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01-03-2011, 02:27 PM | #4 |
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Re: अपूर्ण
हालात
हालातो ने सुनहरे ख्वाब खोने ही नहीं दिया, उन इश्क यादों ने फिर कभी सोने ही नहीं दिया, उम्र गुजार देते उनके साथ बिताये कुछ लम्हों के सहारे, पर किस्मत ने हमें साथ जी भर के रोने भी नहीं दिया|
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03-03-2011, 06:12 PM | #5 |
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Re: अपूर्ण
क्यों सोचता हूँ मै
हर कोई हर किसी के लिये इतना खास नहीं होता, हर कोई हर किसी के इतना पास नहीं होता, क्यों सोचता हूँ मै तुझे हर पल, हर वक्त, क्या इससे भी तुझे कुछ एहसास नहीं होता | खैऱ एहसास को ना होने दो, मेरे दिल को तो अपने पास रहने दो, चाहे तोड दो अब तो ये तुम्हारा है, पर टुकडो को तो अपने साथ रहने दो|
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04-03-2011, 11:39 AM | #6 |
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Re: अपूर्ण
गर आँसू तेरी आँख का होता
गर आँसू तेरी आँख का होता, गिरता गाल को चुमते हुए, फिर गिर के तेरे होठों पर, फना हो जाता वहीं हॅसते हुए, पर जो तुम होती मेरी आँख का आसु, भले गुजरती उम्र गम सह-सह कर, तुझे खो ना दूं कही, इस डर से मै ना रोता ज़िदगी भर|
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06-03-2011, 09:17 AM | #7 |
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Re: अपूर्ण
कोशिश कर के हार गए
दिल में दर्द दबाने की आँखों में नमी छुपाने की हर कोशिश कर के हार गए हम तेरी याद भूलाने की तेरी चाहत में हमने हर दर्द को समझा थोड़ा था उस रोज बिखर गए टूट के हम जब तुमने भी भी मुंह मोडा था रोते रहे थे रात भर बाकी फिर भी समंदर था जाने कितना दर्द अभी भी इस सीने के अंदर था फिर आदत हो गयी दिल को वक़्त गम के साथ बिताने की हर कोशिश कर के हार गए हम तेरी याद भूलाने की
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09-03-2011, 08:35 AM | #8 |
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Re: अपूर्ण
जीने का बहाना
तुमसे मिल के खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता, तेरे दिल के सिवा मेरा कहीं आशियानां नहीं होता, ये दुबारा मिलना कि उम्मीद है जो मुझे जिन्दा रखती है, वरना तुझसे बिछड के जीने का कोई बहाना नहीं होता|
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09-03-2011, 04:51 PM | #9 |
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अपूर्ण
ढेबर जी! बहुत अच्छी रचनाएं हैं|
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
12-03-2011, 09:27 AM | #10 |
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Re: अपूर्ण
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