03-04-2011, 02:22 PM | #1 |
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मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
मधुबाला अपनी दिलकश अदाओं से रूपहले पर्दे को रौशन करने वाली महान अदाकारा मधुबाला की मुगल-ए-आजम, हावडा ब्रिज, कालापानी तथा चलती का नाम गाडी जैसी फिल्में आज भी सिनेप्रेमियों के दिल के काफी करीब है। सिने जगत में मधुबाला के नाम से मशहूर महान अभिनेत्री मुमताज बेगम देहलवी का जन्म दिल्ली शहर के मध्य वर्गीय मुस्लिम परिवार में 14 फरवरी 1933 को हुआ था। उनके पिता अताउल्लाह खान दिल्ली में एक कोचमैन के रूप मे कार्यरत थे। मधुबाला के जन्म के कुछ समय बाद उनका परिवार दिल्ली से मुंबई आ गया। बचपन के दिनों से ही मधुबाला अभिनेत्री बनने का सपना देखा करती थी। सबसे पहले वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार बेबी मुमताज के नाम से फिल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। बेबी मुमताज के अभिनय से प्रभावित होकर हिन्दी फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी ने उनसे अपने बैनर बाम्बे टाकीज की फिल्म ज्वार भाटा में काम करने की पेशकश की लेकिन मधुबाला उस फिल्म मे काम नही कर सकी। मधुबाला को फिल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फिल्म नीलकमल से मिली इस फिल्म के असफल होने से भले हीे वह कुछ खास पहचान नही बना पायीं लेकिन बतौर अभिनेत्री उनका सिने कैरियर अवश्य शुरू हो गया। वर्ष 1949 तक उनकी कई फिल्में प्रदर्शित हुई लेकिन इनसे मधुबाला को कुछ खास फायदा नही हुआ। वर्ष 1949 मे बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनी फिल्म महल की कामयाबी के बाद मधुबाला फिल्म इंडस्ट्री मे बनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं। इस फिल्म का एक गीत आयेगा आने वाला.. सिने दर्शक आज भी नही भूल पाये है। वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयीं। लेकिन वर्ष 1958 में उनकी फागुन, हावडा ब्रिज, कालापानी तथा चलती का नाम गाड़ी की सफलता ने एक बार फिर मधुबाला को शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया। फिल्म हावड़ाब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की भूमिका अदा कर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 में हीं प्रदर्शित फिल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया।
मधुबाला के सिने कैरियर मे उनकी जोड़ी अभिनेता दिलीप कुमार के साथ काफी पसंद की गयी। बी.आर.चोपड़ा की फिल्म नया दौर में पहले दिलीप कुमार के साथ नायिका की भूमिका के लिये मधुबाला का चयन किया गया और मुंबई में ही इस फिल्म की शूटिंग की जानी थी। लेकिन बाद मे फिल्म के निर्माता को लगा कि इसकी शूटिंग भोपाल में भी करनी जरूरी है। मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने अपनी बेटी को मुंबई से बाहर जाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। उन्हें लगा कि मुंबई से बाहर जाने पर मधुबाला और दिलीप कुमार के बीच का प्यार और परवान चढ़ेगा और वह इसके लिए राजी नही थे। बाद में बी.आर.चोपडा को मधुबाला की जगह वैजयंतीमाला को लेना पड़ा। अताउल्लाह खान बाद में इस मामले को अदालत में ले गये और इसके बाद उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार के साथ काम करने से मना कर दिया और यहीं से दिलीप कुमार और मधुबाला की जोड़ी अलग हो गयी। बाद मे मधुबाला ने फिल्म अभिनेता और पा*र्श्वगायक किशोर कुमार के साथ शादी कर ली। पचास के दशक मे स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान मधुबाला को यह अहसास हुआ कि वह हृदय की बीमारी से ग्रसित हो चुकी है। इस दौरान उनकी कई फिल्में निर्माण के दौर में थी। मधुबाला को लगा यदि उनकी बीमारी के बारे में फिल्म इंडस्ट्री को पता चल जायेगा तो इससे फिल्म निर्माता को नुकसान होगा इसलिये उन्होंने यह बात किसी को नही बतायी। के.आसिफ की फिल्म मुगले आजम के निर्माण मे लगभग दस वर्ष लग गये। इस दौरान मधुबाला की तबीयत काफी खराब रहा करती थी फिर भी उन्होंने फिल्म की शूटिंग जारी रखी क्योंकि मधुबाला का मानना था कि अनारकली के किरदार को निभाने का मौका बार-बार नहीं मिल पाता है। वर्ष 1960 में जब मुगले आजम प्रदर्शित हुयी तो फिल्म में मधुबाला के अभिनय को देख दर्शक मुग्ध हो गये। हालांकि बदकिस्मती से इस फिल्म के लिये मधुबाला को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार नही मिला लेकिन सिने दर्शक आज भी ऐसा मानते है कि मधुबाला उस वर्ष फिल्म फेयर पुरस्कार की हकदार थी। साठ के दशक में मधुबाला ने फिल्मों मे काम करना काफी हद तक कम कर दिया था। चलती का नाम गाड़ी और झुमरू के निर्माण के दौरान ही मधुबाला किशोर कुमार के काफी करीब आ गयी थीं। मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार को सूचित किया कि मधुबाला इलाज के लिये लंदन जा रही है और लंदन से आने के बाद ही उनसे शादी कर पायेगी। लेकिन मधुबाला को यह अहसास हुआ कि शायद लंदन में हो रहे आपरेशन के बाद वह जिंदा नहीं रह पाये और यह बात उन्होंने किशोर कुमार को बतायी इसके बाद मधुबाला की इच्छा को पूरा करने के लिये किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी कर ली। शादी के बाद मधुबाला की तबीयत और ज्यादा खराब रहने लगी हालांकि इस बीच उनकी पासपोर्ट (1961), झुमरू (1961) ब्वॉय फ्रेंड (1961), हाफ टिकट (1962) और शराबी (1964) जैसी कुछ फिल्में प्रदर्शित हुई। वर्ष 1964 में एक बार फिर से मधुबाला ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया। लेकिन फिल्म चालाक के पहले दिन की शूटिंग में मधुबाला बेहोश हो गयी और बाद में यह फिल्म बंद कर देनी पड़ी। अपनी दिलकश अदाओं से लगभग दो दशक तक सिने प्रेमियों को मदहोश करने वाली महान अभिनेत्री मधुबाला 23 फरवरी 1969 को इस दुनिया को अलविदा कह गयी। |
03-04-2011, 02:27 PM | #2 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
हिंदी फ़िल्म जगत की सब से ख़ूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माए गए गीता रॉय के गाए एक गीत की। गीत का ज़िक्र हम थोड़ी देर में करेंगे, पहले मधुबाला से जुड़ी कुछ बातें हो जाए! मधुबाला का असली नाम था मुमताज़ जहाँ बेग़म दहल्वी। उनका जन्म दिल्ली में एक रूढ़ी वादी पश्तून मुस्लिम परिवार में हुआ था। ११ बच्चों वाले परिवार की वो पाँचवीं औलाद थीं। अपने समकालीन नरगिस और मीना कुमारी की तरह वो भी हिंदी सिनेमा की एक बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में जानी गईं। अपने नाम की तरह ही उन्होने चारों तरफ़ अपनी की शहद घोली जिसकी मिठास आज की पीढ़ी के लोग भी चखते हैं। मधुबाला की पहली फ़िल्म थी ‘बसंत’ जो बनी थी सन् ‘४२ में। इस फ़िल्म में उन्होने नायिका मुमताज़ शांति की बेटी का किरदार निभाया था। उन्हे पहला बड़ा ब्रेक मिला किदार शर्मा की फ़िल्म ‘नीलकमल’ में जिसमें उनके नायक थे राज कपूर, जिनकी भी बतौर नायक वह पहली फ़िल्म थी। ‘नीलकमल’ आई थी सन् ‘४७ में और इसी फ़िल्म से मुमताज़ बन गईं मधुबाला। उस समय उनकी आयु केवल १४ वर्ष ही थी। इसी फ़िल्म में गायिका गीता रॉय ने राजकुमारी और मुकेश के साथ साथ कई गीत गाए लेकिन इनमें से गीता जी का गाया हुआ कोई भी गीत मधुबाला के होठों पर नहीं सजे। अपने परिवार की आर्थिक अवस्था को बेहतर बनाने के लिए मधुबाला ने पहले ४ सालों में लगभग २४ फ़िल्मो में अभिनय किया था। यह सिलसिला जारी रहा और बाद में उन्हे इस बात का अफ़सोस भी रहा कि मजबूरी में उन्हे बहुत सारी ऐसी फ़िल्में भी करनी पड़ी जो उन्हे नहीं करनी चाहिए थी। क्वांटिटी की ख़ातिर उन्हे क्वालिटी के साथ समझौता करना पड़ा था। आज गीता रॉय की आवाज़ में मधुबाला पर फ़िल्माया हुआ जो गीत हम आप तक पहुँचा रहे हैं वह है फ़िल्म ‘संगदिल’ का गीत “दर्शन प्यासी आई दासी जगमग दीप जलाए”। भारतीय आदर्श नारी के किरदार में मधुबाला का अभिनय ‘संगदिल’ में सराहनीय था। ‘संगदिल’ Charlotte Bronte की क्लासिक Jane Eyre पर आधारित थी। कहानी कुछ इस तरह की थी कि बचपन के दो साथी बिछड़ जाते हैं और अलग अलग दुनिया में बड़े होते हैं। नायिका बनती है एक पुजारन और नायक जायदाद से बेदखल हुआ ठाकुर। क़िस्मत दोनों को फिर से पास लाती है। सब कुछ ठीक होने लगता है लेकिन क्या होता है जब नायिका को पता चलता है नायक के काले गहरे राज़, यही है इस फ़िल्म की कहानी। इस फ़िल्म का निर्देशन किया था राय चंद तलवार ने और संगीत दिया सज्जाद हुसैन साहब ने। इस फ़िल्म से तलत साहब का गाया “ये हवा ये रात ये चांदनी” आप इस महफ़िल में सुन चुके हैं। गीता रॉय ने सज्जाद साहब के लिए १९४७ की फ़िल्म ‘मेरे भगवान’ में दो गीत और उसी साल ‘क़सम’ फ़िल्म में कुल ५ एकल गीत गाये। फ़िल्म ‘क़सम’ की रिलीज़ को लेकर थोड़ा सा संशय रहा है। १९५० की फ़िल्म ‘खेल’ में सज्जाद साहब ने गीता जी से गवाया था “साजन दिन बहुरे हमारे”। ‘संगदिल’ में आख़िरी बार गीता जी और सज्जाद साहब का साथ हुआ। इस फ़िल्म में आशा भोसले के साथ गीता रॊय ने गाया था “धरती से दूर गोरे बादलों के पार आजा, आजा बसा लें नया संसार”। |
03-04-2011, 02:55 PM | #3 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य के मूर्ति
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03-04-2011, 02:58 PM | #4 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य के मूर्ति
फिल्म मुग़ल-ए-आज़म जो ५ अगस्त १९६० को रिलीज हुई थी ।
के अब्बास द्वारा निर्देशित यह फिल्म १.५ करोड़ में बन कर तैयार हुई थी और शोले से पहले तक हिंदी फिल्म जगत की सबसे बहुचर्चित और कामयाब फिल्म मानी जाती रही है । इस फिल्म की विशेषता थी -- पृथ्वीराज कपूर और मधुबाला की अदाकारी मधुबाला और दिलीप कुमार की प्रेम जोड़ी के आसिफ का शानदार निर्देशन फिल्म के लिए बनाया गया शीशमहल का सैट युद्ध का बड़े पैमाने पर चित्रण , हाथी घोड़े , कॉस्टयूम , आभूषण और हथियार आदि । लेकिन शायद सबसे ज्यादा मुख्य आकर्षण रहा मधुबाला का डांस --जब प्यार किया तो डरना क्या --गाने पर । इसके अलावा इस फिल्म के कुछ मधुर गाने हैं : * बेकस पे करम कीजिये , सरकारे मदीना -- * जब रात है ऐसी मतवाली , फिर सुबह का आलम क्या होगा -- * मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गयो रे -- * मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोये -- * तेरी महफ़िल में किस्मत आजमाकर हम भी देखेंगे -- * जिंदाबाद , जिंदाबाद , ऐ मुहब्बत जिंदाबाद -- मधुबाला : हिंदी फिल्मों की सबसे खूबसूरत अभिनेत्री । उनके बाद अगर कोई उनके जैसी थोड़ी सी भी दिखी तो वो माधुरी दीक्षित थी । इस रूप को देखकर तो यही गाना याद आता है : नव कल्पना , नव रूप से , रचना रची जब नार की सत्यम शिवम् सुन्दरम से , शोभा बढ़ी संसार की । बेशक उपर वाले ने उन्हें बड़ी फुर्सत में बनाया होगा । जीवनपरिचय : मधुबाला का जन्म १४फ़रवरी१९३३ को दिल्ली में एक पश्तून मुस्लिम परिवार में हुआ । उनका बचपन का नाम था --मुमताज़ ज़हां बेग़म दहलवी जो अपने मात पिता की पांचवीं संतान थी । महज़ ९ साल की उम्र में १९४२ में उन्हें फिल्म बसंत में काम करने का अवसर मिला । उन्होंने कुल मिलकर ७० फिल्मों में काम किया । उनके एक टॉमबॉय के रूप में ज्यादा सराहा गया । उनके कुछ गाने तो आज भी दिल को छू जाते हैं : * फिल्म महल --१९४९ --आएगा , आएगा , आएगा आने वाला--इस गाने से लता जी का नाम हिंदी फिल्म जगत में चमका था । * फिल्म हावड़ा ब्रिज --आइये मेहरबान ---बहुत ही शोख अदाकारी थी । * फिल्म चलती का नाम गाड़ी --इक लड़की भीगी भागी सी ---किशोर कुमार के साथ जोड़ी बड़ी अच्छी लगी थी । * लेकिन सबसे ज्यादा कमाल का रहा --जब प्यार किया तो डरना क्या । लेकिन शायद उपर वाले को भी इस चाँद में दाग लगाने से रहा नहीं गया । उनके दिल में एक ऐसा छेद छोड़ दिया , जो अंत में उनके लिए जान लेवा साबित हुआ । मुग़ले आज़म १९५० में बननी शुरू हुई थी और १९६० में रिलीज हुई । जिस वक्त यह फिल्म बन रही थी , उस वक्त मधुबाला की हालत काफी बिगड़ चुकी थी । मधुबाला ने अपने फ़िल्मी जीवन में कई अभिनेताओं के साथ काम किया । दिलीप कुमार के साथ उनका रोमांस कई साल तक चला ।लेकिन उनके पिता ने लालच में आकर दोनों की शादी नहीं होने दी । आखिरउन्होंने१९६०में पहले से शादीशुदा किशोर कुमार से शादी कर ली । लेकिन सबकी चहेती इस अदाकारा को न पति का प्यार मिल पाया , न बच्चों का । क्योंकि फिल्म पूरी होते होते उनकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी । इलाज के लिए इंग्लैण्ड गई , पर डॉक्टरों ने ऑप्रेशन करने से मना कर दिया । क्योंकि इसमें उनकी जान जाने की पूरी सम्भावना थी । आखिर २३ फ़रवरी१९६९को , गुमनामी के अँधेरे में , बिल्कुल अकेले , उन्होंने यह निष्ठुर संसार छोड़ दिया । मधुबाला महज़ ३६ साल की उम्र में हमें विदा कर गई । इसलिए उनके सभी फोटो ज़वानी की चरम सीमा पर लिए गए ही उपलब्ध हैं । Last edited by sagar -; 03-04-2011 at 03:07 PM. |
03-04-2011, 03:13 PM | #5 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
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03-04-2011, 03:14 PM | #6 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
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03-04-2011, 03:18 PM | #7 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
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03-04-2011, 04:01 PM | #8 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
बहुत ही अच्छा सूत्र है सागर जी. इसमें आपने मधुबाला के विषय में बढ़िया जानकारियां प्रस्तुत की है!
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03-04-2011, 04:47 PM | #9 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
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04-04-2011, 05:40 PM | #10 |
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Re: मधुबाला सोंदर्य की मूर्ति
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