12-04-2015, 03:06 AM | #1 |
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शाकाहार
मगध के सम्राट श्रेणिक ने एक बार अपनी राजसभा में पूछा, 'देश की सबसे सस्ती खाद्य वस्तु क्या है?' सभी सदस्य सोच में पड़ गए. चावल गेंहू आदि तो प्रकृति का पूरा सहयोग मिलने पर भी काफी मेहनत से ही मिल पाते हैं. शिकार के शौक़ीन एक दरबारी ने सोचा कि मांस ही ऐसी चीज़ है जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. उसने यही बात मुस्कुराते हुए कही, तो सबने उसकी हाँ में हाँ मिला दी, लेकिन मगध का प्रधानमंत्री अभय कुमार चुप रहा. श्रेणिक ने उसे भी अपना विचार प्रकट करने को कहा. अभय कुमार ने कहा, 'मैं इससे सहमत नहीं. मैं कल अपने विचार आपके समक्ष रखूँगा.' रात होने पर प्रधानमन्त्री सीधा सामंत के महल पर पहुंचा, जिसने सबसे पहले अपना प्रस्ताव रखा था. उसने द्वार खटखटाया. सामंत ने दरवाज़ा खोला. इतनी रात को प्रधानमंत्री को देखकर वह घबरा गया. प्रधानमंत्री ने कहा, 'शाम को महाराज श्रेणिक बीमार हो गए हैं. उनकी स्थिति ीक नहीं है. राजवैद्य ने कहा की किसी बड़े आदमी के ह्रदय का दो तोला मांस मिल जाये तो उनके प्राण बच सकते हैं. आप महाराज के विश्वासपात्र हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके ह्रदय का दो तोला मांस लेने आया हूँ. इसके लिए आप जो भी मूल्य लेना चाहें, ले सकते हैं. कहे तो लाख स्वर्ण मुद्रा भी दे सकता हूँ.' यह सुनते ही सामंत के होश फाख्ता हो गए. उसने समझा, अब तो मेरी मृत्यु तय है. उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ के कहा, 'मुझे क्षमा कर दें, ऐसा कैसे संभव है? आप एक काम करें मुझसे एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ ले जाएँ और किसी दुसरे सामंत के ह्रदय का मांस खरीद लीजिए.' मुद्राएँ लेकर प्रधान मंत्री बारीबारी सभी सामंतो के द्वार पहुंचा. उसने सबसे राजा के लिए ह्रदय का दो टोला मांस माँगा, लेकिन कोई भी राजी नहीं हुआ. सबने अपने बचाव के लिए एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ दे दी. सवेरे होने पर प्रधानमन्त्री राजा के पास गया, उसने धन से भरी थैली राजा के सामने रख दी. लाखों स्वर्ण मुद्राएँ देख श्रेणिक ने पुछा, 'ये कहाँ से आयीं?' प्रधान मंत्री ने उन्हें सारी बात बताई फिर कहा, 'देखा आपके सामंत अपना जीवन बचाने के लिए किस तरह धन खर्च करने तैयार हैं. अब आप सोच सकते हैं कि मांस कितना सस्ता है? हर प्राणी खुद के जीवन को तो अनमोल समझता है, लेकिन दुसरे के जीवन की कीमत नहीं समझता.' श्रेणिक ने प्रधानमंत्री अभय कुमार को खूब शाबाशी दी और सही बात के लिए एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ भी दी. किसी भी जीव का मांस खाने के पहले कृपया सोचे – आप अपने हृदयका दो तोल मांस देसकते हैं क्या ? आज पूरी दुनिया में मांसाहार बढ़ते जा रहा है और लाखो पशुओं की बलि इंसानों के लिए दी जा रही है गौ हत्या तो पाप है ही किन्तु मेरा मानना है की जब किसी भी जीव को मारा जाता है तब जरुर उसे दर्द होता ही होगा तो क्यों निर्दोष जानवरों की जान लेकर खुद के पेट को श्मशान बनाना . हमें छोटी सी चोट लगती है तब कितना दर्द होता है न तो सोचिये जब किसी जानवर को काटा जाता होगा तब उसे कितना दर्द होता होगा? हम इन्सान तो चिल्ला सकते हैं अपने दुःख को सबको बता सकते हैं लेकिन जानवर बेचारे न बोल सकते है न समझा सकते है अपने दर्द को .. दुनिया में पेट भरने के लिए भगवान ने बहुत सारी चीज़े बनाई है तो हम उससे भी पेट भर सकते हैं न ? क्यूँ बेचारे एक अबोल मासूम प्राणी को मारकर थोड़े से स्वाद के लिए एक हत्या का पाप आपने सर लें ? कहानी का सार : शाकाहारी बने + सभी को शाकाहारी बनाये |
13-04-2015, 01:20 AM | #2 |
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Re: शाकाहार
आपका बहुत—बहुत धन्यवाद पुष्पाजी ! आपने मुक प्राणियों की वेदना को कहानी के रूप में प्रस्तुत किया और शाकाहारी बनने के लिए प्रेरणा दी ! मैं आपकी बात का भरपुर समर्थन करता हूं !!
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13-04-2015, 10:15 AM | #3 | |
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Re: शाकाहार
Quote:
दिन ब दिन बढ़ते पशु हत्या और मांसाहांर के बढ़ते उपयोग से त्रसित मन ने ये लेख लिखने को प्रेरित किया था मुझे. गौ माता के मांस को किस प्रकार से निकाला जाता है उस लेख क पढ़ने के बाद ह्रदय द्रवित हो गया . आभार अरविन्द जी Last edited by soni pushpa; 14-04-2015 at 12:06 AM. |
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14-04-2015, 09:57 AM | #4 |
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Re: शाकाहार
इस रचना पर टिप्पणी अन्यत्र लगाई जा चुकी है।
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01-06-2015, 10:04 PM | #5 |
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Re: शाकाहार
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02-06-2015, 02:02 PM | #6 |
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Re: शाकाहार
कहानी मनोरंजक भी है और शिक्षाप्रद भी. इसे हम सब के साथ शेयर करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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03-06-2015, 05:19 PM | #7 |
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Re: शाकाहार
आज के समाज में खानपान के बदलाव को देखते यह ब्लॉग लिख डाला कहानी के साथ शायद कुछ पशुवों की जाने बच पाय ..टिपण्णी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी ...
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04-06-2015, 09:21 PM | #8 |
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Re: शाकाहार
धन्यवाद, पुष्पाजी। सूत्र में ऎसी और भी कहानियां प्रस्तुत कर इसे आगे बढ़ाएं, मसलन - सबसे बड़ा उदाहरण गांधीजी प्रस्तुत करते हैं, जब वे डॉक्टर्स के कहने पर भी लन्दन के सर्द माहौल में मांसाहारी सूप ग्रहण करने से इंकार कर देते हैं। उनके बाद जॉर्ज बर्नार्ड शॉ, जो कहते हैं, मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं है, मैं घास-फूस खाकर ही संतुष्ट हूं। खोजें, अनेकानेक उदाहरण मिलेंगे।
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04-06-2015, 09:25 PM | #9 |
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Re: शाकाहार
इस सदी का सबसे बड़ा उदाहरण देख्नना हो, तो हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। नवरात्र के व्रत के दिनों में उन्होंने अमेरिका की यात्रा की और कई दिन निराहार रह कर वह सब कुछ किया, जो उनसे पहले के कई पीएम भरे पेट भी नहीं कर पाए थे। धन्यवाद।
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05-06-2015, 09:43 PM | #10 |
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Re: शाकाहार
[QUOTE=Dark Saint Alaick;551484]इस सदी का सबसे बड़ा उदाहरण देख्नना हो, तो हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। नवरात्र के व्रत के दिनों में उन्होंने अमेरिका की यात्रा की और कई दिन निराहार रह कर वह सब कुछ किया, जो उनसे पहले के कई पीएम भरे पेट भी नहीं कर पाए थे। धन्यवाद।[/QUOT
Dark Saint Alaickजी , सबसे पहले तो आपने जो सलाह दी है वो मेरे लिए आगे लेख लिखने में बहुत सहायक होगी बहुत अच्छा लगा आपसे मिली इस टिपण्णी को पढ़कर जी सही कहा आपने इस विषय पर और भी आगे लिखा जा सकता है . मैं चाहूंगी की आप सब इस सूत्र को अपने अपने उदाहरण द्वारा आगे बढ़ाएं और मांसाहार के कम करने में सहायक बने मैं भी और कहानियों द्वारा अपना प्रयास जारी रखूंगी . आपकी सभी रचनाएँ बेहद अछि होती हैं ..... बहुत बहुत आभारी हूँ धन्यवाद संत जी |
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