07-03-2014, 03:38 PM | #31 |
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Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
शब्बीर हसन खां ‘जोश’ और मौलाना आज़ाद
** यह उन दिनों की बात है जब जोश मलीहाबादी अभी पाकिस्तान जा कर नहीं बसे थे.
जोश साहिब मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के अच्छे दोस्त थे तथा वह प्राय: आज़ाद साहिब से मिलने जाते रहते थे। एक बार जब वह मौलाना से मिलने गए, तो वह अनेक सियासी लोगों में घिरे हुए थे। दस-बीस मिनट इंतज़ार के बाद जोश साहिब ने यह शेर कागज़ पर लिखकर उनके सचिव को दिया और उठकर चल पड़े— नामुनासिब है ख़ून खौलाना फिर किसी और व़क्त मौलाना जोश अभी बाहरी गेट तक भी नहीं पहुंचे थे कि सचिव भागे भागे आए और रुकने को कहा। जोश साहिब ने मुड़कर देखा। मौलाना कमरे के बाहर खड़े मुस्कुरा रहे थे।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 07-03-2014 at 03:50 PM. |
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