21-12-2012, 04:00 PM | #1 |
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जानिये नरेन्द्र मोदी को
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21-12-2012, 04:04 PM | #2 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
नरेंद मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को वाडनगर में कस्बे में हुआ। यह इलाका अहमदाबाद से 100 किलोमीटर उत्तर में है। उनके पिता दामोदरदास मोदी छोटे दुकानदार थे। मोदी अकेले नहीं हैं। उनके चार भाई और एक बहन है, लेकिन इनके बारे में कुछ खास जानकारी नहीं है। वह अक्सर कहते हैं कि मेरा कोई दामाद नहीं है जिसे मैं आगे बढ़ाऊं। ऐसा कहते वक्त मोदी का इशारा रॉबर्ट वाड्रा की तरफ होता है। मोदी के इर्द-गिर्द उनका कोई परिजन भी नहीं दिखता। अक्टूबर 2001 में जिस वक्त मोदी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उनकी मां भीड़ में खो गई थीं। बाद में किसी ने उन्हें पहचाना और बैठाया। मोदी के सबसे छोटे भाई गुजरात सरकार के सूचना विभाग में क्लास 2 अफसर हैं, जबकि बड़े भाई कोटेदारों के संघ की अगुवाई करते हैं। इसका अक्सर सरकार से टकराव होता है। बीएन सिंह हाई स्कूल में मोदी को एनडी के नाम से बुलाया जाता था। स्कूल के बाद वह नियमित रूप से आरएसएस की शाखा जाया करते थे। 1963 में उन्होंने 'पीलू फूल' कहा जाने वाला एक लघु नाटक किया। मोदी पर किताब लिखने वाले किशोर मकवाना के मुताबिक, यह नाटक एक दलित महिला और उसके बीमार बेटे की बदहाली से जुड़ा हुआ था। मोदी तेल बनाने वाले घांची समुदाय (ओबीसी) से आते हैं। मोदी के साथ रहे लोग बताते हैं कि वाडनगर झील में मगरमच्छ होने के बावजूद वह उसमें जाया करते थे। Last edited by sony; 21-12-2012 at 04:24 PM. |
21-12-2012, 04:29 PM | #3 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
1975 में इमरजेंसी के दौरान मोदी छिप गए। इस दौरान वह लालकृष्ण आडवाणी के संपर्क में आए। आडवाणी उस वक्त जनसंघ के बड़े नेता थे। आडवाणी ने मोदी की सांगठनिक क्षमताओं को पहचाना। 25 वर्षीय नमो उस वक्त संघ प्रचारक थे। 1980 के दशक के मध्य में मोदी को बीजेपी में लाने में आडवाणी ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मोदी को गुजरात बीजेपी में संगठन सचिव बनाया। आडवाणी ने उन्हें हमेशा बढ़ावा दिया और हर संकट में साथ खड़े रहे। मोदी भी आडवाणी को समय-समय पर प्रभावित करते रहे। 1987 के नगर निकाय चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत के पीछे मोदी थे। यह पहली बार था जब बीजेपी ने गुजरात में सत्ता का स्वाद चखा। यह मोदी के करियर की दिशा तय करने वाला क्षण था। 1991 में मोदी ने आडवाणी को गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की सलाह दी। 1984 में वह नई दिल्ली से चुनाव हार गए थे। शायद मोदी कुछ और सोच रहे थे क्योंकि उस वक्त शंकर सिंह वाघेला गांधीनगर का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। |
21-12-2012, 04:30 PM | #4 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
मोदी स्कूल टीचर जसोदाबेन से अपनी तथाकथित शादी के बारे में कुछ नहीं कहते। सभी आधिकारिक दस्तावेजों में वह वैवाहिक स्थिति का कॉलम खाली छोड़ देते हैं। 1960 के दशक के आखिर में उन्होंने परिवार छोड़ दिया और चाय की दुकान चलाने में अपने भाई की मदद करने लगे। दुकान पर नियमित रूप से आने वालों में आरएसएस के नेता भी थे। वे वहां राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करते थे। उनसे प्रभावित मोदी पहले स्वयंसेवक और बाद में संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बने। प्रांत प्रचारक लक्ष्मणराव इनामदार ने मोदी को अपने संरक्षण में लिया। किताबी कीड़े और घूमने के शौकीन मोदी ने गुजरात यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्टग्रैजुएशन किया। |
21-12-2012, 04:31 PM | #5 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
राम जन्मभूमि आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा था। आडवाणी ने मोदी से सोमनाथ को एक प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल करने का विचार साझा किया। यह विचार जल्द ही रथयात्रा के रूप में सामने आया। इसने भारतीय राजनीति को हमेशा के लिए बदल डाला। मोदी को आडवाणी के सारथी के रूप में चुना गया। उन्होंने गुजरात में आडवाणी की रथयात्रा का खाका खींचा। बाद में मोदी ने मुरली मनोहर जोशी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकली एकता यात्रा (1992) की तैयारी में भी अहम भूमिका निभाई। |
21-12-2012, 04:32 PM | #6 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
1990 में बीजेपी चिमनभाई पटेल की अगुवाई में गुजरात की सत्ता में आई। लेकिन पार्टी ने जनता दल के साथ गठबंधन तोड़ दिया। बावजूद इसके कांग्रेस के समर्थन से सरकार चलती रही। 1995 के विधानसभा चुनाव बीजेपी ने अपने बूते लड़े और जीत हासिल की। उन चुनावों में मोदी की रणनीति, शंकर सिंह वाघेला की आक्रामकता और केशुभाई पटेल के जनाधार ने बीजेपी को जीत दिलाई। लेकिन कुछ वक्त बाद गुजरात की सबसे ताकतवर तिकड़ी (मोदी-वाघेला-केशुभाई) में दरार पड़ने लगी क्योंकि मोदी को 'सुपर सीएम' के रूप में देखा जाने लगा। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में केशुभाई से पिछड़ने वाले वाघेला ने बगावत कर दी। केशुभाई ने मोदी को गुजरात से बाहर कर दिया। उन्होंने नमो को बगावत के लिए जिम्मेदार ठहराया। 1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो-तिहाई बहुमत हासिल किया। इस बार केशुभाई ने कभी मोदी की छत्रछाया में रहे संजय जोशी को संगठन पर नियंत्रण के लिए चुना। वाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी कांग्रेस में शामिल हो गई। गुजरात से बाहर किए गए मोदी चुप नहीं बैठे। उन्होंने चुपचाप दिल्ली में संगठन में काम किया, बीजेपी की हिमाचल प्रदेश इकाई को संभाला। गुजरात के उनके गोपनीय दौरों पर केशुभाई और तत्कालीन गृह राज्यमंत्री हरेन पंड्या नजर रखते रहे। |
21-12-2012, 04:38 PM | #7 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
2002 के मध्य में मोदी के अंदर का नेता पूरी तरह से जाग उठा। उन्होंने गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की। चुनावों से पहले की इस कसरत में उन्होंने गुजराती अस्मिता का आह्वान किया। इस भीड़ जुटाने वाली यात्रा में मोदी ने गुजरात की खाक छानी और मुसलमानों पर खुलेआम निशाना साधा। एक भाषण में उन्होंने मुसलमानों में बहुविवाह और 'जनसंख्या विस्फोट' का जिक्र करते हुए 'हम पांच, हमारे पच्चीस' जैसी भड़काऊ टिप्पणी की। दिसंबर 2002 में हुए चुनावों में मोदी ने बीजेपी को भारी जीत दिलाई। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त जेम्स माइकल लिंगदोह का पूरा नाम लेकर और सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर निशाना साधा। |
21-12-2012, 04:39 PM | #8 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
गुजरात विधानसभा में शपथ लेने के एक हफ्ते बाद, गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई। इसके बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे। दंगों के दौरान मोदी सरकार की भूमिका आज भी संदेह के घेरे में है। आरोप है कि उन्होंने अधिकारियों को दंगाइयों को छुट्टा घूमने देने का आदेश दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी तक को मोदी से 'राजधर्म' का पालन करने के लिए कहना पड़ा। वाजपेयी ने उन्हें हटाने की भी कोशिश की। लेकिन गुजरात में बढ़ती लोकप्रियता और आडवाणी के आशीर्वाद की वजह से वह गद्दी बचाने में कामयाब रहे। गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आडवाणी ने मोदी का बचाव किया। |
21-12-2012, 04:39 PM | #9 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
एक के बाद एक सूखे, दो तूफानों और विनाशकारी भूकंप ने केशुभाई की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाया। बीजेपी उपचुनाव और बड़ी संख्या में नगर निकाय के चुनाव हारने लगी। मोदी ने परदे के पीछे केशुभाई के खिलाफ बगावत की जमीन तैयार की। नमो ने चिंतित आडवाणी को यह भरोसा दिलाया कि वह केशुभाई के सबसे बेहतर विकल्प हैं। सात अक्टूबर, 2001 को बीजेपी ने मोदी को मुख्यमंत्री की गद्दी संभालने के लिए भेजा। मोदी ने सबसे पहले संजय जोशी का बोरिया-बिस्तर समेटा। तब तक नमो ने एक भी चुनाव नहीं लड़ा था। उनकी नजर एलिसब्रिज पर थी। उस वक्त हरेन पंड्या इस विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। पंड्या मोदी का खेल समझ गए और उन्होंने सीट छोड़ने से इनकार कर दिया। 2002 में मोदी राजकोट-2 विधानसभा सीट से चुने गए। यह इलाका केशुभाई का गढ़ माना जाता है। तब मोदी ने कहा था कि वह यहां वन-डे क्रिकेट खेलने के लिए आए हैं क्योंकि चुनाव होने में साल से भी कम समय बचा था। |
21-12-2012, 04:40 PM | #10 |
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Re: जानिये नरेन्द्र मोदी को
मोदी ने महसूस किया कि सांप्रदायिकता का मुद्दा शायद बड़ा लक्ष्य हासिल करने में उनकी मदद नहीं करेगा। 2003 में वह डिवेलपमेंट मोड में आ गए। उन्होंने 'रिसर्जेंट गुजरात' बिजनेस समिट की शुरुआत की। यह वाइब्रेंट गुजरात समिट का शुरुआती अवतार था। इसके अलावा एक साल के शासन की उपलब्धियों का जश्न मनाने वह गुजरात सिद्धि यात्रा पर निकले। नमो ने रीपैकेजिंग कर कई पुरानी योजनाओं को नए रूप में पेश किया। वह सरकारी अधिकारियों की कार्यक्षमता में सुधार के लिए कर्मयोगी सिद्धांत लाए। मोदी की अगुवाई में एक बिजनेस डेलिगेशन ब्रिटेन गया जहां मानवाधिकार समूहों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। स्वास्थ्य सुरक्षा और शिक्षा जैसे सामाजिक सूचकों पर खराब प्रदर्शन के बावजूद कामयाब वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलनों ने ब्रैंड मोदी की मदद की। |
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