16-10-2023, 12:43 PM | #1 |
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ग़ज़ल- है हुस्न का सौदागर
■■■■■■■■■■■■ नज़रों में बसाएगा नज़रों से गिरा देगा यूँ टूट के मत चाहो इक रोज रुला देगा उससे न मिलो अपनी वो मस्त अदाओं से जिसकी न दवाई है वह रोग लगा देगा वादे से मुकर जाना फ़ितरत है ज़माने की जब रीत यही है तो क्या वो न दगा देगा तुम इश्क़ की नाकामी कहना न कभी जग से सब ज़ख़्म कुरेदेंगे कोई न दवा देगा 'आकाश' नहीं उसकी जुल्फों में उलझना तुम है हुस्न का सौदागर कंगाल बना देगा ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 10/10/2023 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 ______________________ मापनी- 221 1222 221 1222 |
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