05-04-2011, 04:33 PM | #11 |
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Re: " कबीर के दोहे "
चार जातकी मिले भय्या बनी खाटकी धोरीरे ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु फुकदिया जैसी फागकी होरीरे ॥
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