19-03-2012, 04:20 PM | #1 |
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ओछी राजनीति
कोई भी किसी सकारात्मक ,रचनात्मक काम की नहीं सोचता . कयोंकि समाज के विकास में दिलचस्पी किसे है . पागल थोड़े ही है नेता लोग !जब तक लोग नादाँ हैं तभी तक वोट बैंक है ! हिन्दू समाज के जिस किसी भले आदमी ने दलित लोगों के लिए प्रयास किया ( महात्मा गाँधी -संघ -आर्य समाज ) दलित नेताओं ने उनका अपमान किया . जब दलित समाज दोस्ती के हाथ को काटने दौड़ेगा तो उसका भला कैसे होगा ? कांग्रेस इस देश में मुस्लमान ,दलित और आदिवासिओं के एक मुस्त ४० प्रतिसत वोट ले के ६४ सालों से राज की है , सायद आगे भी करेगी . |
20-03-2012, 09:29 AM | #2 |
Special Member
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Re: ओछी राजनीति
Ek udaharan
Is desh ki sabse badi dalit netri( tatkalik) mayawati ki sampati pichhale das varshon men 4 se 100 karod ho gai aur janta ka wahi haal hai. is desh men bas vot ki rajniti hoti hai.
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
06-01-2013, 05:13 AM | #3 |
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Re: ओछी राजनीति
बिलकुल सच बात कही मित्र! दलितों और अल्प संख्यकों के सबसे बड़े दुश्मन तो उनकी अगुवाई करने वाले राजनीतिज्ञ ही हैं!
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