30-12-2012, 08:07 PM | #1 |
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महानायक का दर्द ....
समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएंगी.. श्रद्धा में डाले पुष्प, जलहीन मुरझा जाएंगे.. स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे.. किंतु निर्भयता की जलाई अग्नि हमारे हृदय को प्रज्जवलित करेगी.. जलहीन मुरझाए पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी... दग्ध कंठ से 'दामिनी' की 'अमानत' आत्मा विश्व भर में गूंजेगी.. स्वर मेरे तुम, दल कुचल कर पीस न पाओगे.. मैं भारत की मां बहन या या बेटी हूं, आदर और सत्कार की मैं हकदार हूं.. भारत देश हमारी माता है, मेरी छोड़ो अपनी माता की तो पहचान बनो !! |
30-12-2012, 08:27 PM | #2 |
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Re: महानायक का दर्द ....
उम्मीद करता हूँ कि हमारे समाज के कर्णधारों की मानसिकता पर फर्क पड़े
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-12-2012, 08:56 PM | #3 |
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Re: महानायक का दर्द ....
शोक सन्देश -mukesh kanuni (facebook)
अत्यंत पीड़ा,क्षोभ और दुःख से व्यक्त करता हूँ कि सामूहिक वीभत्स और पिचासिक कुकृत्य की शिकार वो पीड़ित युवती को विधाता ने इस पाशविक संसार से मुक्त कर अपनी गोद में बुला लिया है ताकि हमारी समस्त तथाकथित मानवता के अंहकारी श्रेष्टता पर एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया।।।क्या हमारी मानवजाति सचमुच अन्य पशुओं जंतु जगत से श्रेष्ट है आज मनुष्यों द्वारा किये जा रहे ऐसे कुकृत्य हमें तार्किक रूप में अन्य जीव जंतुओं से श्रेष्ट साबित करते है ,,,,मेरा मानना है कि बिलकुल नहीं ,,,,,क्या किसी अन्य जीव को अपनी मादा से या अपनी प्रजाति की अन्य मादा से जबरदस्ती संसर्ग करते हुए सुना या देखा है ....उत्तर होगा ..नहीं।।।।।बिलकुल ऐसा ही है कभी अन्य जंतु अपनी प्रजाति की मादा से संसर्ग जोर जबरदस्ती से नहीं करता जब तक वो मादा स्वयम्भ रूप से प्राकर्तिक तौर पर इसके लिए तैयार ना हो।।।अतः क्या हम ऐसे वीभत्स कुकृत्य कर यही सिद्ध कर रहे है कि हम पुरुष अपने तथाकथित पुरुषत्व को अपने हाथों में उठाये अपने दुष्कर्मों की पैचासिक लालसा में अपने को अन्य जंतुओं से सदैव हीन साबित कर रहे है ,,,,,क्या मानवजाति सचमुच अन्य जीव जन्तुं प्रजातियों से श्रेष्ट है।।बिलकुल नहीं ...जब तक हम मानव ऐसे कुकृत्यों में लिप्त रहेंगे ,,,,हम सदैव हीन है और रहेंगे ,,,,,,,,,,,अब तो जागिये,,,,, आईये अपनी उस बहन /बेटी की इस दर्दनाक आसामयिक मृत्यु पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए प्रण लेवें कि हम समाज में ऐसे पाशविक कुकृत्यों का विरोध ही नहीं करेंगे वरन यह प्रयास करेंगे कि इन कुकृत्यों की पुनरावर्ती ना हो।।।।।।।।। शोक में हूँ,,,, |
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