04-08-2013, 11:37 AM | #1 |
Diligent Member
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दो मुक्तक
आपने जो हमेँ यार इतना दिया हम हुए धन्य हैँ सोम जैसे पिया ये हमेँ तो बताएँ जरा आप ही एक अनजान से प्यार कैसे किया 2- आपने जो बताया कमीँ को जमीँ आ गयी देखिए आँख मेँ भी नमी हम नहीँ चाहते यूँ कि सम्मान हो हम कि टूटे हुए हैँ फटे आदमी रचना - आकाश महेशपुरी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश |
04-08-2013, 09:19 PM | #2 |
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Re: दो मुक्तक
आपने जो बताया कमीँ को जमीँ
आ गयी देखिए आँख मेँ भी नमी हम नहीँ चाहते यूँ कि सम्मान हो हम कि टूटे हुए हैँ फटे आदमी रचना - आकाश महेशपुरी बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति से युक्त एक सुन्दर मुक्तक |
08-08-2013, 05:05 PM | #3 |
Diligent Member
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Re: दो मुक्तक
आदरणीय रजनीश जी आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार।
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09-08-2013, 04:35 PM | #4 |
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Re: दो मुक्तक
न अपनी नज़र में तुम खुद को गिराओ
अगर गिर भी जाओ तो तत्क्षण उठाओ उठो 'जय' उठो और तब तक उठते रहो कि जमीं से गगन तक तुम्ही नज़र आओ
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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