20-11-2010, 07:12 PM | #1 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: vadodara
Posts: 1,424
Rep Power: 22 |
अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
अर्थ :--सख्त मेहनत करना. |
20-11-2010, 07:24 PM | #3 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 43 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
|
20-11-2010, 07:47 PM | #4 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: vadodara
Posts: 1,424
Rep Power: 22 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
करत करत अभ्यास ते जरमति होत सूजान,
रसरी आवत जात ते शील पर पडत निशान, अर्थ:-- बार बार अभ्यास करने पर जर(मंद) बुध्धि वाला मनुष्य में भी बुध्धि का संचार हो जाता है. ठीक उसी तरह जिस तरह पत्थर पर रस्सी के बार बार घिसने पर पत्थर पर रस्सी के निशान पड़ जाते हैं. |
20-11-2010, 08:21 PM | #5 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 18 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
खिचड़ी कह रही है मुझे दांतों से खाओ
(सरल काम को करने के लिए अधिक मेहनत करना ) Last edited by munneraja; 20-11-2010 at 08:24 PM. |
20-11-2010, 08:22 PM | #6 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 18 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
कानी के ब्याह में कोतक ही कोतक (कोतुहल)
{किसी काम को लीक से हटकर करने पर रुकावटें} |
20-11-2010, 09:02 PM | #7 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
करता दीसै कीरतन, ऊँचा करि-करि तुंड
जानें-बूझै कुछ नहीं, यौंहीं आंधां रूंड अर्थ :-- हमने देखा ऐसों को, जो मुख को ऊँचा करके जोर-जोर से कीर्तन करते हैं । जानते-समझते तो वे कुछ भी नहीं कि क्या तो सार है और क्या असार । उन्हें अन्धा कहा जाय, या कि बिना सिर का केवल रुण्ड ? |
21-11-2010, 05:50 AM | #8 |
Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 175
Rep Power: 15 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
डंके की चोट पर
अर्थ : खुले आम सबके सामने |
21-11-2010, 12:27 PM | #9 |
Special Member
|
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
नाच ना जाने आँगन टेढ़ा
अर्थात : अपनी गलती को स्वीकार ना करते हुए दूसरो पर दोषारोपण करना
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
21-11-2010, 06:44 PM | #10 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: अन्ताक्षरी(मुहावरे और दोहे)
दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरो ।
श्री वल्लभ नख चंद्र छ्टा बिन, सब जग माही अंधेरो ॥ साधन और नही या कलि में, जासों होत निवेरो ॥ सूर कहा कहे, विविध आंधरो, बिना मोल को चेरो ॥ |
Bookmarks |
Tags |
अन्ताक्षरी, hindi, idioms, phrases |
|
|