15-12-2014, 05:05 PM | #11 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
मुझको छू कर मधुघट छलके, प्याले मधु पीने को ललके , मालिक जागा मल कर पलकें, अँगड़ाई ले कर उठ बैठी चिर सुप्त विमूर्च्छित मधुशाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
15-12-2014, 05:06 PM | #12 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
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प्यासे आए, मैंने आँका, वातायन से मैंने झाँका, पीनेवालों का दल बाँका, उत्कंठित स्वर से बोल उठा, 'कर दे पागल, भर दे प्याला!' मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:06 PM | #13 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
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खुल द्वार गए मदिरालय के, नारे लगते मेरी जय के, मिट चिह्न गए चिंता भय के, हर ओर मचा है शोर यही, 'ला-ला मदिरा ला-ला'!, मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:06 PM | #14 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
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हर एक तृप्ति का दास यहाँ, पर एक बात है खास यहाँ, पीने से बढ़ती प्यास यहाँ, सौभाग्य मगर मेरा देखो, देने से बढ़ती है हाला! मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:06 PM | #15 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
13
चाहे जितना मैं दूँ हाला, चाहे जितना तू पी प्याला, चाहे जितना बन मतवाला, सुन, भेद बताती हूँ अन्तिम, यह शांत नही होगी ज्वाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:07 PM | #16 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
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मधु कौन यहाँ पीने आता, है किसका प्यालों से नाता, जग देख मुझे है मदमाता, जिसके चिर तंद्रिल नयनों पर तनती मैं स्वप्नों का जाला। मैं मधुशाला की मधुबाला!
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15-12-2014, 05:07 PM | #17 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
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यह स्वप्न-विनिर्मित मधुशाला, यह स्वप्न-रचित मधु का प्याला, स्वप्निल तृष्णा, स्वप्निल हाला, स्वप्नों की दुनिया में भूला फिरता मानव भोलाभाला। मैं मधुशाला की मधुबाला
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15-12-2014, 05:08 PM | #18 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
यदि प्रयास सार्थक लगे तो उत्साह वर्धन करे मित्रो
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16-12-2014, 12:36 PM | #19 |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
ये कविता कई बार पढ़ी है देवराज जी , किन्तु जब पढो अच्छी लगती है. बहुत बहुत धन्यवाद इस कविता को शेयर करने के लिए .हरिवंश् राय बच्चन जी की सभी कविताये एक से बढ़कर एक हैं .. यदि हो सके तो सारी कवितायेँ आप इसी सूत्र में रखियेगा ताकि और ज्यदा लोगऔर जिन्होंने कभी नही पढ़ी उनकी कवितायेँ वो लोग भी उनकी कविताओं को पढ़ सके .
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16-12-2014, 06:16 PM | #20 | |
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Re: मधुबाला : हरिवंश राय बच्चन :देवराज के साथ
Quote:
:i agree: :i agree: धन्यवाद ....सोनी जी ...मैं ...आपकी बात का विशेष ध्यान रखूंगा ... मेरे भी प्रिय कवियों में से हरिवंश राय बच्हन जी एक हैं ... मेरे पास उनकी बहुत सी कवितायें हैं ... कोशिश करूंगा सब पोस्ट कर सकू ... धन्यवाद देवराज
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