25-09-2011, 09:37 AM | #11 |
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Re: भजन
देख्यौ चाहति कमलनैन कौ, निसि-दिन रहति उदासी।। आए ऊधै फिरि गए आँगन, डारि गए गर फांसी। केसरि तिलक मोतिन की माला, वृन्दावन के बासी।। काहू के मन को कोउ न जानत, लोगन के मन हांसी। सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ, करवत लैहौं कासी।।
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25-09-2011, 09:39 AM | #12 |
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Re: भजन
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो।
इस भव बंधन के भय से हमें उबारौ। तुम कृपा सिंधु रघुनाथ नाथ हो मेरे । मैं अधम पड़ा हूँ चरण कमल पर तेरे। हे नाथ। तनिक तो हमरी ओर निहारो। अब कृपा करो ... मैं पंगु दीन हौं हीन छीन हौं दाता । अब तुम्हें छोड़ कित जाउं तुम्हीं पितु माता । मैं गिर न कहीं प्रभु जाऊँ आय सम्हारो। अब कृपा करो ... मन काम क्रोध मद लोभ मांहि है अटका । मम जीव आज लगि लाख योनि है भटका । अब आवागमन छुड़ाय नाथ मोहि तारो। अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो ॥
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25-09-2011, 09:51 AM | #13 |
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Re: भजन
परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम ।
जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।। सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप । है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।। परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम । तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।। साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार । वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।। मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् । देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।। राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव । देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।। मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम । जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।। यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग । पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।। यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान । है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।। ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान । हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।। आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर । है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।। बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार । नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।। खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव । जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।। राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान । स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।। दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार । ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।। देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप । हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६
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25-09-2011, 09:52 AM | #14 |
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Re: भजन
करती हूं मैं वन्दना, नत शिर बारम्बार ।
तुझे देव परमात्मन्, मंगल शिव शुभकार ।। १ ।। अंजलि पर मस्तक किये, विनय भक्ति के साथ । नमस्कार मेरा तुझे, होवे जग के नाथ ।। २ ।। दोनों कर को जोड़ कर, मस्तक घुटने टेक । तुझ को हो प्रणाम मम, शत शत कोटि अनेक ।। ३ ।। पाप-हरण मंगल-करण, चरण शरण का ध्यान । धार करूँ प्रणाम मैं, तुझ को शक्ति-निधान ।। ४ ।। भक्ति-भाव शुभ-भावना, मन में भर भरपूर । श्रद्धा से तुझ को नमूँ, मेरे राम हजूर ।। ५ ।। ज्योतिर्मय जगदीश हे, तेजोमय अपार । परम पुरुष पावन परम, तुझ को हो नमस्कार ।। ६ ।। सत्यज्ञान आनन्द के, परम धाम श्री राम । पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ।। ७ ।।
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28-09-2011, 02:02 PM | #15 |
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Re: भजन
आओ आओ यशोदा के लाल .
आज मोहे दरशन से कर दो निहाल . आओ आओ, आओ आओ यशोदा के लाल .. नैया हमारी भंवर मे फंसी . कब से अड़ी उबारो हरि . कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल .( २) आओ आओ, आओ आओ यशोदा के लाल .. अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार . भवसागर है अति विशाल . लाखों को तारा है तुमने गोपाल .( २) आओ आओ, आओ आओ यशोदा के लाल .. यमुना के तट पर गौवें चराकर . छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर . हृदय हमारे बसो नन्दलाल . ( २) आओ आओ, आओ आओ यशोदा के लाल ..
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28-09-2011, 02:05 PM | #16 |
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Re: भजन
आराध्य श्रीराम त्रिकुटी में .
प्रियतम सीताराम हृदय में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम रोम रोम में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम जन जन में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम कण कण में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम राम मुख में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम राम मन में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम स्वांस स्वांस में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम राम राम राम .. राम राम राम राम राम राम राम . राम राम राम राम राम राम राम ..
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30-09-2011, 04:04 PM | #17 |
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Re: भजन
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है
जो जागत है सो पावत है, जो सोवत है वो खोवत है खोल नींद से अँखियाँ जरा और अपने प्रभु से ध्यान लगा यह प्रीति करन की रीती नहीं प्रभु जागत है तू सोवत है.... उठ ... जो कल करना है आज करले जो आज करना है अब करले जब चिडियों ने खेत चुग लिया फिर पछताये क्या होवत है... उठ ... नादान भुगत करनी अपनी ऐ पापी पाप में चैन कहाँ जब पाप की गठरी शीश धरी फिर शीश पकड़ क्यों रोवत है... उठ ....
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01-10-2011, 10:06 AM | #18 |
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Re: भजन
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥ कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये। हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े॥ पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते। भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े॥ तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी। तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े॥ ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना। हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े॥
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05-10-2011, 04:35 PM | #19 |
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Re: भजन
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा,
आना पड़ेगा . वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा .. गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा . अरे सांवरे देख आ के ज़रा सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका .. जमुना के पानी में हलचल नहीं . मधुबन में पहला सा जलथल नहीं . वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ . छनकती मगर कोई झान्झर नहीं .
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05-10-2011, 04:36 PM | #20 |
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Re: भजन
कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना....
तुम राम रूप में आना, तुम राम रूप में आना सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना... तुम श्याम रूप में आना, तुम श्याम रूप में आना, राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना... तुम शिव के रूप में आना, तुम शिव के रूप में आना.. गौरा साथ लेके , डमरू हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना... तुम विष्णु रूप में आना, तुम विष्णु रूप में आना, लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके, चले आना प्रभुजी चले आना... तुम गणपति रूप में आना, तुम गणपति रूप में आना रीधी साथ लेके, सीधी साथ लेके , चले आना प्रभुजी चले आना.... कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना...
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