27-03-2014, 11:01 AM | #1 |
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क्योँ पूजालय बनेँ अलहदा अलहदा
॰॰॰ राम कहते जिसे हैँ वही तो खुदा आदमी है नहीँ आदमी से जुदा एक है आसमाँ है धरा एक ही क्योँ पूजालय बनेँ अलहदा अलहदा मुक्तक- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश सम्पर्क- 09919080399 aakashmaheshpuri@nokiamail.com |
28-03-2014, 09:09 AM | #2 | |
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Re: क्योँ पूजालय बनेँ अलहदा अलहदा
Quote:
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते, बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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