05-04-2011, 04:20 PM | #91 |
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Re: " कबीर के दोहे "
सुरती चूना तलख तंबाखू मातापिता नहीं पावे ॥
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05-04-2011, 04:21 PM | #92 |
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Re: " कबीर के दोहे "
श्याम शलोना पलंग बिछाना जोरूकू सुलावे ।
तूटी खाट पुरानी ताट मातापिता नहीं पावे ॥
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05-04-2011, 04:21 PM | #93 |
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Re: " कबीर के दोहे "
कहत कबीर सून भाई साधु येही जगतकी रीत ।
साचा बोले भूखा मरे झूटन पावे चित प्रीत ॥
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05-04-2011, 04:23 PM | #95 |
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Re: " कबीर के दोहे "
नरतनु जावे फेर नहीं आवे । बहुत जनमका फेरा है ।
किटक पक्षी जनम होके । व्हो राम काहांसे मिलता है ॥
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05-04-2011, 04:24 PM | #96 |
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Re: " कबीर के दोहे "
मा बाप तो साथी आपने । जनम जनम बहते हैं ।
नरतनु बीगर रामतनु नहीं मिले । काहेकू गोता खाता है ॥
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05-04-2011, 04:26 PM | #97 |
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Re: " कबीर के दोहे "
जब रामनाम शिवजी गावे । जहर उनोका बुझा है ।
कहत कबीरा सुनो भाई साधु । राम भजन तो अच्छा है ॥
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05-04-2011, 04:30 PM | #99 |
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Re: " कबीर के दोहे "
उंच नीचा मंदर छोडे माय भय सबर घोडी ।
कुलीवंत एक खास छोडी छोडी पुतकी जोडी ॥
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05-04-2011, 04:32 PM | #100 |
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Re: " कबीर के दोहे "
सीर पकड तेरा भय्या रोवे हात पकड वाको मयोर ।
गोड पकड वाके स्त्रिया रोवे सेवे जैसी सारथ जोडीरे ॥
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