04-07-2013, 03:09 PM | #1 |
Diligent Member
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मेरी पहली धनाक्षरी
मुझको बताएँ जरा कहाँ कहाँ दोष है या कि मैँ हूँ मन्दबुद्धि लिख नहीँ पाता कुछ, सिर पे ये झूठ ही सवार हुआ जोश है मेरी कविता से नुकशान बड़ा गृहिणी का, प्यारे इस छन्द ने कि छीन लिया होश है सफल नहीँ हूँ यदि छन्द लिखने मे कहीँ, लिखूँ कुछ और भाई मुझे परितोष है धनाक्षरी - आकाश महेशपुरी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश |
04-07-2013, 07:11 PM | #2 |
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Re: मेरी पहली धनाक्षरी
कह गए आप सब, बड़ी ही सरलता से
मुझको तो आप लगे, कविता का कोष हैं जीवन 'जय' धन्य हुआ,आप जो पधारे हैं कभी - कभी आते हैं, इस पर ही रोष है
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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