17-09-2015, 02:07 AM | #1 |
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दर्दे दिल की दास्ताँ
तकते रहे राहें हम उम्र के हर मोड़ पर उम्मीद का छोड़ा न दामन क़यामत की दस्तक होने तक मुस्कान सजाये होठों पर हम जीते गए अंतिम आह तक सोचा कभी मिल जाय शायद कहीं खुशियों का आशियाँ हमें भी पर थे नादान हम कि न समझ सके बेवफा ज़माने के सितम आज तक अंतिम मोड़ पर पता चला कोई नहीं अपना यहाँ हम तो इक मेहमान थे सबके लिए बस आज तक कितने नादाँ थे न समझ सके अपनों की फ़ितरत को कितने नादाँ थे न समझ सके बेगानों की मतलब परस्ती को हर पल का मुस्कुराना पड़ गया भारी यहाँ सबने भुला दिया ये कहकर कि हम तो अकेले में भी मुस्कुरा लेते हैं दर्दे दिल की दास्ताँ न सुना ए दिल! किसी को ये बस्ती है जहाँ इंसा के दिल पत्थर के होते हैं. Last edited by rajnish manga; 17-09-2015 at 07:25 PM. |
17-09-2015, 07:38 PM | #2 | |
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Re: दर्दे दिल की दास्ताँ
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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20-09-2015, 03:24 PM | #3 | |
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Re: दर्दे दिल की दास्ताँ
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20-09-2015, 04:36 PM | #4 | |
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Re: दर्दे दिल की दास्ताँ
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और एक बात और अगर पत्थर ना होते मतलब कठोरता बिलकुल ना होती तो शायद हमारी दुनिया भी ऐसी ना होती .. क्युकी कठोरता ही आधार होता है हर ऊँची बन्ने वाली चीज का .. वैसे दिल को छूने वाली नज्म ... धन्यवाद
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
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22-09-2015, 01:47 AM | #5 | |
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Re: दर्दे दिल की दास्ताँ
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क्या है न देवराज जी . की सबकी लाइफ एक सी नहीं हुआ करती न , किसी के लिएजीवन की राहों में सिर्फ और सिर्फ फूल होते हैं तो किसी के जीवन में कांटे और किसी का जीवन दोनों से मिलकर बना होता है. और कहते हैं न जहाँ न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवी कहीं दुखी इंसान दिखाई दिए तो एईसी कविता लिख डाली कहीं खुशिया देखि तो उस समयानुसार कविता बन गई बस मन में भावना , विचार का आगमन हुआ नहीं की शब्द आते चले गए और लिखते चले जाते हैं .सराहना के लिए हार्दिक आभार सह धन्यवाद |
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