|
21-01-2015, 10:50 AM | #1 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
पाल थरु और नायपॉल होंगे जयपुर साहित्य महोत्सव के आकर्षण
राजस्थान के जयपुर में 21 जनवरी से आयोजित 5 दिवसीय साहित्यिक महाकुंभ में साहित्य प्रेमी एलिजाबेथ गिलबर्ट के साथ 'सेल्फी, द आर्ट ऑफ द मेमोयर' अमीश त्रिपाठी व विवेक ओबरॉय के साथ 'द कनफ्लिक्*ट ऑफ धर्मा इन द महाभारत' जैसे सत्रों का आनंद ले सकेगें। इसके साथ ही एक ऐतिहासिक सत्र का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें साहित्य की दुनिया के दिग्गज पॉल थरू और वी एस नायपॉल एक ही मंच पर साथ नजर आएंगे दुनिया के सबसे लोकप्रिय साहित्य मेलों में से एक जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2015 का बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है। द राइटर एड द वर्ल्ड सत्र में फारूख ढोंढी के साथ हिस्सा लेंगे जबकि पॉल थरू 'ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास' सत्र में हनीफ कुरैशी और अमित चौधरी के साथ हिस्सा लेंगे। 'माई अदर लाइफ, ए नॉवलिस्ट अफेयर विद नॉन फिक्शन' शीर्षक के एकल सत्र में पॉल थरू लेखन शैली बदलने के बारे में बात करेंगे। |
21-01-2015, 05:29 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
बहुत सुंदर प्रयास. समाचार पत्रों में तो हम jlf को फॉलो कर रहे हैं, लेकिन फोरम पर इसकी रिपोर्टिंग देख कर बहुत अच्छा लगा. कृपया अपडेट्स देते रहें. आपक बहुत बहुत धन्यवाद, सोनी जी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
22-01-2015, 05:54 PM | #3 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
ji rajnish ji koshish rahegi updets dete rahne ki ...
|
22-01-2015, 07:53 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य उत्सव 2015 में जावेद अख्तर
हिंदी फिल्मों के बेहतरीन गीतकार जावेद अख्तर की जयपुर साहित्य उत्सव में शिरकत बहुत मजेदार रही. उन्होंने हिंदी फिल्मों में गीत व संगीत के गिरते स्तर पर अपनी चिंता प्रगट की. उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि वे भी इस गिरावट के लिए ज़िम्मेदार हैं. जावेद ने जनता से, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के श्रोताओं से, अपील की कि वे अपने-अपने तरीके से बेहतर गीत और संगीत की मांग को उचित माध्यमों और मंचों से उठाते रहें. जयपुर साहित्य उत्सव को एक गीतात्मक शुरुआत देते हुये जाने माने गीतकार व कहानीकार-स्क्रीन-स्क्रिप्ट लेखक जावेद साहब ने ‘गाता जाये बंजारा- उर्दू, हिंदी, हिन्दुस्तानी के गीत’ सत्र में कहा कि हिंदी फिल्मों में शुरुआत से ही गाने फिल्मों का एक अभिन्न अंग रहे हैं. यहाँ तक कि पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ में भी लगभग 50 गीत शामिल थे. यह पिछली शताब्दी के तीसरे दशक के अंतिम भाग की बात है. फिल्मों से पहले भी लोक मंचों पर रामलीला व कृष्णलीला प्रस्तुत की जाती थी जिसमें गीत संगीत एक प्रमुख अंग होते थे. नाटकों में अन्य नाटकों की तरह ‘हीर रांझा’ नाटक भी इसी शैली का पोषण करता था. पारसी थिएटर के नाटकों में भी गीत संगीत का भरपूर महत्व होता था.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
22-01-2015, 08:01 PM | #5 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव 2015 में जावेद अख्तर
Javed Akhtar & Shabana Azmi at JLF 2015
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
22-01-2015, 08:04 PM | #6 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव 2015 में जावेद अख्तर
इसी के बाद आने वाली फिल्म ‘इन्द्रसभा’ में लगभग 70 गीत रखे गए थे. इस शुरुआती दौर के बाद सिनेमा के रूप व प्रारूप में परिवर्तन आये. गीत और संगीत के स्तर में बदलाव आया और वे लोकप्रियता के मामले में नया इतिहास लिखने लगे. अन्य देशों में बेहतर शायर हो सकते हैं लेकिन गीतों के मामले में हम सर्वश्रेष्ठ हैं. एक रोचक घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार प्रख्यात शायर फैज़ अहमद फैज़ उनके घर किसी कार्यक्रम में आये थे. जब वो अपना कलाम सुना रहे थे तो उनकी आवाज़ में कुछ ढीलापन व सुस्ती थी. एक श्रोता, जिसे मजा न आ रहा था, ऊँची आवाज में कहा, “काश, फैज़ साहब जितना अच्छा लिखते हैं उतना ही अच्छा गा भी सकते.” इस पर फैज़ साहब ने फ़ब्ती कसी, “क्या सभी चीजे मुझे ही करनी पड़ेंगी? भाई, तुम भी तो कुछ करोगे या नहीं?”
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
jaipur litt festival 2015 |
|
|