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08-07-2012, 03:35 AM | #1 |
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Re: मीडिया स्कैन
दुनिया का सरदर्द
समुद्री लूट रोकने को लेकर दुनिया की नजर सोमालिया की बरबादी और अराजकता की ओर नहीं जाती। आखिरी तानाशाह मोहम्मद सैयद के पतन के दो दशक बाद यह मुल्क समुद्री लुटेरों का गढ़ बन चुका है और इसने कई मायने में दुनिया को चुनौती दी है। इसके नौजवान भटक गए हैं। दरअसल उनके सामने रोजगार संकट है। लाखों सोमालियाई अकाल की भेंट चढ़ चुके हैं। कुछ महीनों में समुद्री लूट की घटनाएं कम हुई हैं। इसके लिए यूरोपीय यूनियन नेवल फोर्स व नाटो के नौसैनिक शुक्रिया के हकदार हैं पर इस अफ्रीकी मुल्क की दशा नहीं बदली। यहां कहने भर को हुकूमत काम करती है। संगठन अल शहबाब के बागियों को अलकायदा का समर्थन हासिल है। वे खुलेआम हिंसा फैलाते हैं। जब मर्जी हो गोलियां बरसाते हैं। जो बचे हैं वे समुद्री लूट के पेशे में शामिल हैं। साफ है सोमालियाई समुद्री दस्यु समस्या का स्थायी हल जरूरी है क्योंकि यह मुसीबत विश्व अर्थव्यवस्था का सात अरब डॉलर हड़प लेती है। पिछले साल शिपिंग इंडस्ट्री को135 मिलियन डॉलर फिरौती के रूप में चुकानी पड़ी थी। -खलीज टाइम्स दुबई का प्रमुख अखबार
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08-07-2012, 04:56 AM | #2 |
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Re: मीडिया स्कैन
शर्मनाक खुलासे पर गौर करना होगा
विदेश मंत्रालय व विदेशी रोजगार विभाग के ताजा सर्वेक्षण के जो नतीजे आए हैं वे बेहद शर्मनाक हैं। लगभग 25 से 30 नेपाली हर रोज सऊदी अरब में मारे जा रहे हैं। इस वक्त लगभग पांच लाख नेपाली सऊदी अरब में हैं और उनमें से ज्यादातर नौकर का काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर दुघर्टना, कार्य स्थल पर हादसे, खुदकुशी, हत्या और ज्यादा गरमी की भेंट चढ़ रहे हैं। वैसे चश्मदीदों और दूतावास अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर नेपाली घरेलू शराब के सेवन से मरते हैं लेकिन चूंकि सऊदी अरब में शराबखोरी पर पाबंदी है इसलिए वहां की सरकार इन मौतों को किसी और वजह के खाते में डाल देती है। इनमें से अनेक जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। यदि हम विदेश जाने से पहले अपने लोगों को संबंधित देशों के कानून, तौर-तरीके, ट्रैफिक आदि के बारे में अच्छी तरह से अवगत करा दें तो यह उनकी काफी बड़ी मदद होगी। नेपाल सरकार का यह फर्ज बनता है कि वह अपने उन लोगों की सुरक्षा में सुनिश्चित करे। जो कमियां हैं उन्हें जल्दी से जल्दी दुरुस्त किया ही जाना चाहिए। -द काठमांडू पोस्ट नेपाल का प्रमुख अखबार
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08-07-2012, 05:46 AM | #3 |
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Re: मीडिया स्कैन
अनसुनी कर रहा है पाकिस्तान
वर्षों से पाकिस्तान ओबामा प्रशासन की दलीलों-शिकायतों को अनसुना करता आया है। अमेरिका यह कहता रहा है कि आतंकवादी पाकिस्तान से अफगानिस्तान में घुसकर अमेरिकी फौज पर हमला करते हैं इसलिए पाकिस्तान उनका सफाया करे। हाल ही में तालिबान आतंकियों ने सीमा पार करते वक्त पाकिस्तानी जवानों को गोलियों से छलनी कर डाला। अब तो उसे अमेरिकी शिकायतों को गंभीरता से लेने की बात समझ में आ जानी चाहिए। आतंकियों के खिलाफ जंग दोनों देशों का मूल मकसद होना चाहिए पर पाकिस्तानी फौज के कर्ता-धर्ता यह नहीं समझते। वे हक्कानी व दूसरे आतंकी संगठनों के साथ नाता तोड़ना नहीं चाहते। पाकिस्तान का राजनीतिक तंत्र भी काम नहीं कर रहा जबकि सरहद पर अराजकता दूर करने की जरूरत है। इन्हीं कारणों से अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कह डाला था कि हम अपने धैर्य की सीमा तक पहुंच गए हैं। अमेरिका हाथ पर हाथ धरे नहीं रह सकता। अमेरिका को पाकिस्तान में ड्रोन हमले करते रहने होंगे तभी आतंकियों का सफाया हो सकेगा। -द न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका का प्रमुख अखबार
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11-07-2012, 04:46 PM | #4 |
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Re: मीडिया स्कैन
अराफात की मौत हुई या हत्या
यासिर अराफात फलस्तीनी संघर्ष के अगुवा के तौर पर जाने जाते थे, लेकिन 2004 में उनकी मौत को लेकर एक खबर आई है। अलजजीरा चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक अराफात की हत्या हुई और वह भी अजीबोगरीब तरीके से। चैनल पर रिपोर्ट दिखाई गई कि कैसे अलजजीरा ने आखिरी समय में अराफात के पहने कपड़े और उनकी मेडिकल फाइलें उनकी विधवा सुहा अराफात से हासिल की थीं। स्विट्जरलैंड में जो हाई-टेक टेस्ट हुए, उनसे खुलासा हुआ है कि उनके कपड़ों पर पोलोनियम 210 के कण मौजूद थे, जो एक शक्तिशाली रेडियोएक्टिव तत्व है। यह विषैला होता है। फिलहाल जितनी मात्रा मिली है, वह बहुत कम है, लेकिन उस वक्त यह मात्रा ज्यादा रही होगी, क्योंकि इस समस्थानिक की आधी आयु महज 138 दिनों की होती है, जबकि जो नमूने मिले हैं, वे सात साल से भी ज्यादा पुराने हैं। वैसे पोलोनियम कत्ल करने का अजीबोगरीब हथियार है। इसे इस्तेमाल में लाना काफी मुश्किल होता है तथा इसे पाना और भी पेचीदा। अराफात के मामले में जवाब से ज्यादा सवाल ही हैं। -द नेशनल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का प्रमुख अखबार
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11-07-2012, 04:49 PM | #5 |
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Re: मीडिया स्कैन
अब महसूस नहीं होगा वह माहौल
बेंजामिन फ्रेंकलिन ने कभी बड़े गर्व के साथ घोषणा की थी कि मैं ब्रिटिश हूं। एक ऐसे शख्स के मुंह से निकले इन शब्दों से यदि आप कुछ अचंभित हैं, जिसका चेहरा सौ डॉलर की अमेरिकी मुद्रा पर दर्ज है और जो संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापकों में से एक है, तो आप जरा उस दौर को समझने की कोशिश कीजिए। फ्रेंकलिन ने 1763 में यह घोषणा की थी। तब ग्रेट ब्रिटेन ने उत्तरी अमेरिका पर फ्रांसीसी आधिपत्य की लंबी लड़ाई जीती थी। इस जीत के बारे में इतिहासकार जॉन फर्लिंग ने लिखा, एक ऐसे महान तथा कुलीन साम्राज्य का हिस्सा बनना गर्व की बात है, जो अद्भुत सहिष्णुता और विशाल क्षमताओं के लिए विश्वविख्यात है, लेकिन13 साल बाद ही फ्रेंकलिन व उनके हमवतनों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बगावत कर दी और उसके बाद उन्होंने कभी खुद को ब्रिटिश नहीं कहा। वे अमेरिकी हो गए। उस दौर में आक्रोश का जो माहौल था, उसे आज महसूस करना वाकई मुश्किल हो सकता है। ये हैं जीवन, स्वाधीनता एवं खुशी पाने के अधिकार। -द वाशिंगटन पोस्ट अमेरिका का प्रमुख अखबार
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12-07-2012, 02:48 AM | #6 |
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Re: मीडिया स्कैन
ईश निंदा के नाम पर कैसी बर्बरता
बहावलपुर में एक शख्स को जिंदा जलाने की वारदात का सीधा सा मतलब यही है कि पाकिस्तानी समाज बर्बर हो चुका है। खासकर जब उसकी जानकारी में तथाकथित ईश निंदा के मामले आते हैं, वह असहिष्णु हो जाता है। ताजा वाकये में मारा गया शख्स दिमागी रूप से बीमार था। यह घटना इस बात की तस्दीक करती है कि ईश निंदा कानून का मुल्क में बेहद निर्मम दुरुपयोग हो रहा है और बगैर सबूत व वजह के सजाएं थोपी जा रही हैं। घटना यह भी साफ करती है कि ईश निंदा के आरोप के आगे मुल्क का पूरा कानूनी तंत्र बेबस हो चुका है। भीड़ ने पुलिस थाने से आरोपी को खींचकर बाहर निकाला और उसे आग के हवाले कर दिया। ठीक इसी तरह की दो अन्य घटनाएं जून महीने में घट चुकी हैं, जब क्वेटा और कराची में भीड़ ने पुलिस चौकी पर हमला कर ईश निंदा कानून के आरोपियों को सौंपने की मांग की, जबकि उनमें से एक आरोपी नशेड़ी था और दूसरा दिमागी तौर पर बीमार। ये घटनाएं बताती हैं कि लोगों में सब्र और सहानुभूति की कमी तो है ही, यह एक जालिम हरकत भी है। -द डॉन पाकिस्तान का प्रमुख अखबार
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14-07-2012, 07:05 AM | #7 |
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Re: मीडिया स्कैन
लीबिया में कामयाब हुआ लोकतंत्र
अरब क्रांति की कामयाबी देखनी है, तो इसकी बारीकियों में न जाएं। ऐसा इसलिए, चूंकि गुजरे साल में आजादी के जो बीज बोए गए; उनमें से कुछ ही अंकुरित हो सके हैं। ज्यादातर तानाशाहों, फौज और मजहबी चरमपंथियों की ज्यादतियों से मुरझा गए। जो गौर करने लायक और प्रशंसनीय तथ्य है, वह है लीबिया में हुआ मतदान। यह चुनाव अरब क्रांति को नकारने वालों को चुनौती देता है। आधी सदी में पहली बार हुए इस स्वतंत्र चुनाव में करीब दो तिहाई नागरिकों ने वोट डाले। साफ है कि मतदान प्रतिशत काफी ऊंचा रहा। चुनाव पूर्व हिंसा और मतदान संबंधी गड़बड़ियां न के बराबर हुईं। इससे पुष्टि होती है कि चुनाव काफी हद तक भयरहित हुए। ये तथ्य उस आधारशिला की तरह हैं, जिन पर लीबिया के 60 लाख लोगों के भविष्य का निर्माण होना है। ट्यूनीशिया व मिस्र में इस लक्ष्य की प्राप्ति हो चुकी है। इन मिसालों के जरिए सीरिया, बहरीन और मध्य-पूर्व के दूसरे हिस्सों में भी लोकतंत्र की मांग को पहचान मिल रही है। यही वह राह है, जो कबीलों में बंटे लीबिया को एकजुट कर सकती है। -द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर अमेरिका का प्रमुख अखबार
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16-07-2012, 09:53 AM | #8 |
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Re: मीडिया स्कैन
एक बंधक देश की त्रासदी
अरब के आसमान में 65 वर्षों से फिलस्तीनियों की त्रासदी काले बादल की तरह घुमड़ रही है। यह हमारी सोच से परे है कि कैसे इंसानों को जानवरों की तरह घेरकर रखा जा सकता है, वह भी उनके अपने मुल्क में। हमारे पड़ोस का मुल्क यह सब कर रहा है। वह परमाणु हथियारों से लैस है और उसे सुपर पावर का समर्थन हासिल है। यह मुल्क इजरायल है, जो फिलस्तीनियों के साथ बुरा सलूक करता है। हाल ही में आक्सफेम संस्था की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें इजरायलियों की दुस्साहसी करतूतों का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक फिलस्तीनियों को जमीन और पानी के इस्तेमाल से वंचित रखने के लिए उन पर पाबंदियां लगाई जाती हैं। करीब पांच लाख यहूदी सौ अलग-अलग बस्तियों में रह रहे हैं। वेस्ट बैंक व पूर्वी येरूशलम के इलाकों पर इनका कब्जा है, जो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। साजिश हो रही है कि अपने मुल्क के लिए लड़ने वालों को वहां से हटा दिया जाए और अपने दम पर टिके रहने वाले फिलस्तीनियों की उम्मीदें हमेशा के लिए खत्म कर दी जाएं। -अरब न्यूज सऊदी अरब का प्रमुख अखबार
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17-07-2012, 01:09 AM | #9 |
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Re: मीडिया स्कैन
नैतिकता के ठेकेदार
हर शख्स नैतिकता का ठेकेदार है। प्रकाश दहल मामले पर जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, उनसे तो यही लगता है। प्रकाश शादीशुदा और एक बच्चे के पिता हैं। वह साथी कॉमरेड बीना मागर के साथ फरार हैं। बीना भी शादीशुदा हैं। इस तरह की घटनाएं अक्सर पहले पन्ने की सुर्खियां नहीं बनतीं, लेकिन दहल यूपीसीएन (माओ) के मुखिया पुष्प कमल के बेटे हैं। खबर में तीखी और निजी प्रतिक्रियाएं भी हैं और लापरवाही के साथ लोगों की नाराजगी दिखाई गई है। जूनियर दहल को काफी कोसा गया है। उन्हें सत्ता के नशे में धुत बताया गया। उनकी पहचान एक ऐसे बिगड़ैल के तौर पर की गई है, जो जिसे चाहता है, उसे पाकर दम लेता है। एक ने तो सोशल नेट्वर्किंग साइट पर टिप्पणी कर चिंता जताई है कि दहल की करतूत से दुनिया में नेपाल की छवि बिगड़ेगी। इस प्रकरण में एक पेच है। मागर के पति उस माओवादी पार्टी में हैं, जो यूपीसीएन से अलग होकर बनी है, जबकि प्रकाश मूल पार्टी के मुखिया के बेटे हैं। ऐसे में कुछ इस मामले को निजी बताते हैं, तो बाकी किसी न किसी की तरफदारी में जुटे हैं। -द काठमांडू पोस्ट नेपाल का प्रमुख अखबार
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17-07-2012, 10:12 PM | #10 |
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Re: मीडिया स्कैन
सीरिया में शांति की उम्मीद टूटी
सीरिया रसातल में पहुंच गया है। पिछले दिनों हमा शहर के त्रेमसेह गांव में सीरियाई फौज की गोलीबारी में 220 लोग मारे गए। पहले हवाई हमले हुए फिर जातीय सेना ने बेगुनाहों पर बेरहमी से धावा बोला। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इसे नरसंहार कहा है। सीरिया में सुनियोजित तरीके से खास समुदाय के लोगों की हत्याएं की जा रही हैं। सरकारी फौज और अलावेते समुदाय के लड़ाकों के दस्ते दोनों सुन्नी बहुल इलाकों पर हमले कर रहे हैं। सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद अलावेते समुदाय के हैं। वैसे तो यह समुदाय अल्पसंख्यक है, पर असद की सत्ता को इसी ने मजबूती दी है। इसी के बूते असद ने दुनिया की उस अपील को ठुकरा दिया, जिसमें बागियों की निर्मम हत्या को बंद करने की मांग की गई थी। इसमें कोई दोराय नहीं कि रूस असद को बचा रहा है। रूस ने अमेरिका और दूसरे देशों को समर्थन देने से मना कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत कोफी अन्नान ने सीरिया में संघर्ष विराम की योजना बनाई थी। वह शांतिपूर्ण तरीके से राजनीतिक बदलाव चाहते थे, पर नरसंहार से उनकी उम्मीदें टूट गई हैं। - द वाशिंगटन पोस्ट अमेरिका का प्रमुख अखबार
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