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29-10-2010, 08:11 AM | #1 |
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हम कभी तुमसे खफा हो नही सकते,
वादा किया है तो बेवफा हो नही सकते, आप भले ही हमे भूलकर सो जाओ, मगर हम आपको याद किए बिना सो नही सकते.. --------------------------------------------------- फूल बनकर मुस्कुराना ज़िंदगी है, मुस्कारके गम भूलना ज़िंदगी है, जीतकर कोई खुशी हो तो क्या हुआ, दिल हारकर खुशिया मनान्ना ज़िंदगी है --------------------------------------------------- भूल से कभी हमे भी याद किया करो, प्यार नही तो शिकायत किया करो, इतना भी गैर ना समझो की बात ही ना किया करो, फोन नही तो sms ही किया करो! ---------------------------------------------------- पत्थर से दोस्ती, जान को ख़तरा. सरदार से दोस्ती, दिमाग़ को ख़तरा. दारू से दोस्ती, लिवर को ख़तरा. हम से दोस्ती, रात बे रात sms का ख़तरा. |
29-10-2010, 08:53 AM | #2 |
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बहुत अच्छे मित्र
जय भैया के फेवरेट हो सकते हैँ हम तो पढने वाले हैँ |
29-10-2010, 12:35 PM | #3 | |
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जब तक आपके कान न पकें, तब तक हम सुनाते रहेंगे / उत्साहवर्धन के लिए आभार /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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29-10-2010, 01:14 PM | #4 |
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31-10-2010, 11:03 PM | #5 | |
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दिमाग को ख़तरा नहीं, अगर सरदार मोना हो लीवर को ख़तरा नहीं, यदि दवा बराबर दारू लें sms का ख़तरा नहीं, जब तीन के बाद सोना हो
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31-10-2010, 11:13 PM | #6 |
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मुझे वह सर्द रात याद है जब तुम मेरे सपनों में आयीं
नयी नयी दुल्हन की तरह शर्माते हुए मेरी बाहों में समायीं मैंने चूमे तुम्हारे रक्तिम कपोल और दोनों गुलाबी अधर सहलाने चाहे तुम्हारे केश, तो हीटर से 'जय' उंगलियाँ जलायीं
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31-10-2010, 11:20 PM | #7 |
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मेरा जन्म दिन मनाईये , शौक से ऐ दुश्मनों !
आखिर मेरी ज़िन्दगी से एक साल कम हुआ है / खुश हो लो 'जय' , शोहरत से मेरी जलने वालों आखिर तुम्हारे नाम से गुमनाम कम हुआ है //
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31-10-2010, 11:28 PM | #8 | |
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जब दोस्त ही दोस्त हों महफ़िल में सिर्फ . हुआ दोस्त जिसका हमारे जैसा... फिर उसे दुश्मनों की क्या कमी है? दादा, प्रणाम.
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो, अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो, अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो, अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो |
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31-10-2010, 11:41 PM | #9 |
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राम राम बीरबल जी / दिन दूना रात चौगुना तरक्की करो !! दीपावली का अवसर है अतः अब रात में भी अपना कारखाना चलाया करो .... तभी तो तरक्की मिलेगी // " वो हथियार ले के चल पड़े, हमारी मौत के लिए / मेरा दोस्त मर मिटा, 'जय' अपने दोस्त के लिए //"
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31-10-2010, 11:48 PM | #10 | |
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मेरी किस्मत में गम गर इतना था दिल भी या रब कई दिए होते
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