16-10-2014, 03:50 PM | #1 |
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आराम । ( गज़लनुमा गीत ) aaram-gazalmuma geet.
AARAM-GAZALMUMA GEET. चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें । Chal zindagi tuz ko naya ek nam de. इस रूह को अब जरा आराम दें । Es ruh ko jara aaram de. १. रितुओं की तरह, आते - जाते रहे..! Rituo ki tarah aate-jaate rahe. उन ज़ख़मों को, अहम इनाम दें । Un zakhmo ko enaam de. चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें । २. तुझ से बिछड़ना ? ग़म तो है, मगर..! Tuz se bichhadana Gam to hai par. चंद पल हमें, तनहा, गुमनाम दें । Cand pal hame tanaha gumnaam de. चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें । ३. इस भीड़ में, मिले न कभी, हम से हम..! Es bhid me mile na kabhi ham se ham. ऐसे रिश्ते को सरपट अन्जाम दें । Aise riste ko sarapat anjam de. चल ज़िंदगी,तुझ को नया इक नाम दें । सरपट = तेज़, ४. रुकती ये धड़कन, थमती ये सांसें..! Rukati ye dhadakan,thamati ye sansen. इस जश्*न को, अनवर कलाम दें । Es jashn ko anavar kalaam de. चल ज़िंदगी, तुझ को नया इक नाम दें । अनवर = श्रेष्ठ, कलाम = जुमला, मार्कण्ड दवे । दि नां क - १५-१०-२०१४. https://www.youtube.com/watch?v=q5K1...ature=youtu.be |
18-10-2014, 04:24 PM | #2 |
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Re: आराम । ( गज़लनुमा गीत ) aaram-gazalmuma geet.
बहुत सुन्दर. आपकी कविता भी सुन्दर है और आपकी आवाज़ भी. बहुत बहुत बधाई. कविता में कहीं कहीं भाव स्पष्ट नहीं हो पाते हैं. ऐसा क्यों है, मैं नहीं जानता.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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