08-12-2010, 11:48 AM | #1 |
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शायरी का किमा
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08-12-2010, 11:48 AM | #2 |
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Re: शायरी का किमा
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है, मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है ! |
08-12-2010, 11:50 AM | #3 |
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Re: शायरी का किमा
मुहब्बत एक एहसानों की
पावन सी कहानी है कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है ! |
08-12-2010, 11:51 AM | #5 |
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Re: शायरी का किमा
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,चलो
ऐसा करो भूला दो मुझको, तुमसे बिछडु तो मौत आ जायेदिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको | |
08-12-2010, 11:52 AM | #6 |
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Re: शायरी का किमा
सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा फिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा अभी साथ है तो बात कर लिया करो क्या पता कब साथ छूट जायेगा...
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08-12-2010, 11:53 AM | #7 |
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Re: शायरी का किमा
जो आपने न लिया हो, ऐसा कोई इम्तहान न रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहा, है कोई बस्ती, जहा से न उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का, आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान न रहा |
08-12-2010, 11:54 AM | #8 |
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Re: शायरी का किमा
जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान न रहा, जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया, कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान न रहा |
08-12-2010, 11:54 AM | #9 |
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Re: शायरी का किमा
कल फुर्सत न मिली तो क्या होगा! इतनी मोहलत न मिली तो क्या होगा!
रोज़ कहते हो कल मिलेंगे, कल मिलेंगे! कल मेरी आँखे न खुली तो क्या होगा! |
08-12-2010, 11:55 AM | #10 |
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Re: शायरी का किमा
फूल खिलते हैं खिल कर बिखर जाते है! फूल खिलते हैं खिल कर बिखर जाते हैं!
यादे तो दिल में रहती है दोस्त मिल कर बिछड़ जाते है! |
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