10-06-2015, 09:19 PM | #13 | |
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Re: कुछ तर्क
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आपको जान कर खुशी होगी की हमारे गांव में दहेज प्रथा है ही नहीं। सिर्फ कन्यादान में अगर किसीने एकाद फर्निचर, तीजोरी, स्टील के घडे, दिवार-घडी दे दी तो बहुत हो गया। ईस में भी गांववाले, रिश्तेदारो की मदद होती है। लेकिन जब लोग खेती के अलावा नौकरी करने लगे और अच्छा पैसा कमाने लगे....उन्हों ने खर्चा करना शुरु कर दिया। उनको देख कर अब गरीब लोग भी चाहते है की उनकी बारात ईनोवा कार में जाए, मंहगे कपडे सिलवाए, बडा पंडाल बना कर बुफे डीनर करवाए । साथ साथ दूल्हेवालों के बिना मांगे ज्यादा फर्निचर, गहने आदि देने का चलन बढ गया है। यह वर्तन लडकेपक्ष वालों को चाबी दे रहा है....मांग करने के लिए। मुझे ईस बात से असंतोष है। |
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