26-10-2015, 11:48 PM | #1 |
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स्वच्छ राजनीति
पिछले विधान सभा चुनावों में दिल्ली की जनता ने 'स्वच्छ राजनीति' करने वाले और बेदाग़ नेताओं के हाथों में ज़बरदस्त बहुमत के साथ सत्ता की बागडोर सौंपी थी. नई सरकार बने एक वर्ष भी नहीं हुआ और इस दौरान कई विवाद सामने आये और दिल्ली की जनता को बहुत सी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा. इसमें नवीनतम समस्या है तनख्वाह न मिलने के कारण सफ़ाई कर्मचारियों की दूसरी हड़ताल (एक पहले हो चुकी है). जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं. कई जगह पैदल चलने वालों को भी दिक्कत होती है और स्कूटर, बाइक व कार वालों को भी परेशानी है. गन्दगी के कारण बिमारी फैलने का खतरा अलग है. उपरोक्त हालात में प्रश्न उठता है कि स्वच्छ राजनीति और भ्रष्टाचार मुक्ति का नारा देने वाले राजनेता स्वच्छ प्रशासन देने में क्यों नाकाम हैं? नई और पुरानी सरकार की कार्य पद्धति में क्या अंतर है? समस्याओं का खात्मा कैसे हो सकता है. इस सन्दर्भ में आप के विचार आमंत्रित हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
27-10-2015, 10:24 AM | #2 |
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Re: स्वच्छ राजनीति
मेरे विचार से मिडिया पर छाए रहने वाले नेता, बेदाग नेता, लुच्चे नेता, दबंग नेता वगैरह की वजह से सरकार या देश नहीं चल रहा। कोई भी कार्यप्रणाली में एसे लोग या पुर्जे होतें है जो काम ठीक से नहीं कर पाते। लेकिन देश चलता है तो उन पुर्जों की वजह से जो अपना कार्य करते है। दफ्तर, ओफिस, स्कूलों में आपको एसे ही उदाहरण देखने को मिल जाएंगे।
कचरा और भ्रष्टाचार सरकार नहीं पर जनता ही दुर कर सकती है। |
07-11-2015, 03:25 PM | #3 |
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Re: स्वच्छ राजनीति
मेरा विचार है राजनेता इतने गंदे भी नहीं जितना की मीडिया उन्हें दिखाती है. दरअसल समस्या ये है की मीडिया की प्रतिस्पर्धा मनोरंजन वाले कार्यक्रमों से है, तो यदि वे अपने समाचारों को मनोरंजक नहीं बनाएँगे तो दूरदर्शन का हाल हो जाएगा अब दूरदर्शन को तो सरकारी पैसा मिलता है, प्राइवेट वालो को कहा . ऐसे में उन्हें सामान्य खबरों को भी तोड़ मरोड़ के ऐसे पेश करना ही पड़ता है की भले नेगेटिव हो या पॉजिटिव बस दर्शको को बाँध के रखे. यदि एक छोटे से सरकारी कार्यालय में ऐसी ओछी बाते रोज रोज नहीं होती तो भला राजनीती में कैसे हो सकती है. मीडिया ऐसा रूप देता है, उसकी आदत नहीं चीजों को संन्य तरीके से पेश करने की. जैसा होता है वैसा दिखने लगे तो दूरदर्शन जैसा हाल हो जाएगा, अगर सर्कार नहे तन्खवाह पर रखवाने लगे तब भी ऊँगली उठेगी की सर्कार मीडिया को अपने कब्जे में लाना चाहती है. इसका कोई हल नहीं सिवाए इसके की मिडिया की बातो को तमाशे की तरह ही देखे और सुने. ये जिम्मेदारी नागरिको को ही निभानी पड़ेगी .
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07-11-2015, 10:32 PM | #4 |
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Re: स्वच्छ राजनीति
आप विचारणीय मुद्दे से दूर चले गए हैं, मित्र. आप मीडिया को नाहक बीच में ले आये हैं. हम यह नहीं कह रहे कि नेता अच्छे नहीं हैं. अच्छे नेता चुन कर आ गए. सरकार बन गयी. हम तो उसके बाद की बात कर रहे हैं.पूर्वी दिल्ली जगह जगह मैंने अपनी आँखों से भयंकर कूड़े के ढेर देखे हैं. जिनके ऊपर से गाड़ियों और पैदल चलने वालों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है. यह हालत अब क्यों है? पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ.
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24-01-2016, 08:35 PM | #5 |
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Re: स्वच्छ राजनीति
manishqrt: shayad aapko dilli sarkar se samsya ho, par aise hi kai log khush bhi hai, ye to loktantra me chalta hi rahta hai. aap jo dekhenge wahi dikhega, is baat ko jhuthlaya nahi ja sakta.
Last edited by rajnish manga; 28-01-2016 at 08:00 AM. |
28-01-2016, 08:02 AM | #6 |
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Re: स्वच्छ राजनीति
सरकार कोई हो, सफ़ाई का जिम्मा सरकार का है. यदि आपके मोहल्ले या सड़क पर 10-15 दिन तक कूड़े के ढेर लगे रहेंगे तो आपको कैसा लगेगा? मैं शर्तिया कह सकता हूँ कि आपको अच्छा नहीं लगेगा. जब हम हर प्रकार के टेक्सों का भार सहन करते हैं तो सरकार अपने दायित्वों से कैसे आँख मूँद सकती है?
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