25-01-2013, 11:04 PM | #221 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: छींटे और बौछार
मुझे लगा तुम आ जाओगी मेरे सिर को सहलाओगी ।। आज अगर तुम यहाँ पे होती मुझको सीने से चिपटाती बैठे बैठे हर पल रोती रह रह कर तुम गले लगाती चारो ओर सगे संबंधी सास ससुर देवर और ननदी कैसे खुद को समझाओगी। मुझे लगा तुम आ जाओगी मेरे सिर को सहलाओगी ।। याद आ रहे मधुरिम पल वो मधुर मिलन के अनुपम क्षण वो प्रणयबद्ध हो मिले थे हम जब रक्तिम-स्वेदज-रज के कण वो मदिर मदिर वो कई महीने ली है बलैया आज सभी ने नन्हा सा 'जय' जन्माओगी। मुझे लगा तुम आ जाओगी मेरे सिर को सहलाओगी ।। नन्हा सा वह रुई का फाहा कम्बल में सोता सा आया उसे दिया मेरी बाहों में निकल पड़ी अंतिम राहों में .~.~.~.~.~.~.~.~.~.~.~.~. ढरक चला नैनों से पानी पूर्ण हो गयी एक कहानी अब जीवन भर तड़पाओगी। मुझे लगा तुम आ जाओगी मेरे सिर को सहलाओगी ।। नन्हा-मुन्ना गोरा चिट्टा आज हो गया हट्टा कट्टा अब विवाह की बात चली है तव-प्रतिरूपा बहू मिली है मुझे तीर्थ अब जाना होगा सारे पाप मिटाना होगा आशा है तुम मिल पाओगी। मुझे लगा तुम आ जाओगी मेरे सिर को सहलाओगी।। तनिक दूर ही मैं चल पाया वाहन थोड़ा डगमगाया फिर गहरी खाई में फिसल गया सब के साथ ही ~.~.~.~.~.~.~.मैं भी मर गया अपने शव के आस पास हूँ थोड़ा विस्मित और उदास हूँ मुझे लगा तुम आ जाओगी। मेरे सिर को सहलाओगी।।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
28-01-2013, 08:36 PM | #222 |
VIP Member
|
Re: छींटे और बौछार
Nice .................
__________________
Disclamer :- All the My Post are Free Available On INTERNET Posted By Somebody Else, I'm Not VIOLATING Any COPYRIGHTED LAW. If Anything Is Against LAW, Please Notify So That It Can Be Removed. |
07-02-2013, 11:30 PM | #223 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: छींटे और बौछार
तुम सुखद सुबह, मैं श्रांत सांझ तुम शीतल जल, मैं निर्झर हूँ तुम वृहद् काव्य, मैं एक गीत तुम झनन झनन, मैं झांझर हूँ मैं नदी का तट, तो लहर हो तुम मैं एक पथिक, तो डगर हो तुम मैं बन्द द्वार, तो घर हो तुम तुम शांत निशा, मैं बासर हूँ तुम झनन झनन, मैं झांझर हूँ मैं तरुवर हूँ, तुम पुष्पलता यदि कवि हूँ मैं तो तुम कविता मैं नील गगन तो तुम चन्दा फूल तो तुम, मैं पाथर हूँ तुम झनन झनन, मैं झांझर हूँ तुम सारथि हो, मैं स्यन्दन हूँ श्वास हो तुम, मैं जीवन हूँ तुम एक उमंग तो मैं मन हूँ तुम आँखें हो, मैं काजर हूँ तुम झनन झनन, मैं झांझर हूँ तुम मधुर छंद, मैं गायक हूँ तुम गीता हो, मैं वाचक हूँ तुम ज्योति हो, मैं दीपक हूँ तुम सरिता हो, मैं सागर हूँ तुम झनन झनन, मैं झांझर हूँ तुम देवी हो, मैं मंदिर हूँ तुम बदली हो, मैं अम्बर हूँ तुम दयावती, मैं निष्ठुर हूँ सुधा हो तुम, 'जय' गागर हूँ तुम झनन झनन, मैं झांझर हूँ श्रांत = थका/थकी हुयी निर्झर = झरना बासर = दिन पाथर = पत्थर स्यन्दन = रथ अम्बर = आसमान सुधा = अमृत (लगभग 25 वर्ष पूर्व 30-03-1988 को रचित पंक्तियाँ)
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
09-02-2013, 09:39 AM | #224 |
Special Member
Join Date: Jun 2010
Location: Jhumri Tillaiya
Posts: 2,429
Rep Power: 21 |
Re: छींटे और बौछार
बहुत बढ़िया जय जी।
|
21-02-2013, 04:47 PM | #226 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: छींटे और बौछार
उत्साहवर्धन के लिए मैं कृतज्ञ हुआ बन्धुओं।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
03-03-2013, 11:41 PM | #227 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: छींटे और बौछार
ऐ बसन्ती वायु! रुक जा, रुक के कुछ आराम ले ले
राह तेरी है कठिन और तुझको जाना है अकेले ।। नहीं मोह पाए हैं तुझको असम के चाय बगान सभी रोक नहीं पाया है तपता, थार का रेगिस्तान कभी बाधक कभी न बन पायी हैं, सर्द हवाएँ जम्मू की तुझे नहीं लौटा पाई हैं, अंधड़ और आँधियाँ लू की हार बैठे हैं तेरे से विश्व के सारे झमेले ...................... ऐ बसन्ती वायु ... बहुमंजिले भवनों में तू तो, ठाठ से घूमी भी होगी लहलहाते खेतों की तू, बालियाँ चूमी तो होंगी सभ्यता देखी भी होगी, आदि से अब तक की तूने ना ही बदला वेग तूने, ना नक़ल ही की है तूने देखे होंगे तूने निश्चित, दुखों और खुशियों के मेले ....... ऐ बसन्ती वायु .... कह रही है वायु तुझसे, जाग रे ऐ मूढ़ मानव! छट रही है रात काली, छा रही है अब प्रभा नव हार मानो मत किसी से, हर कदम चलते रहो एक 'जय' उद्देश्य सबका, बढ़ चलो, बढ़ते रहो सच्चा मानव है वही जो हँस के सुख व् दुःख को झेले ... ऐ बसन्ती वायु ....
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
04-03-2013, 07:30 AM | #228 |
Exclusive Member
|
Re: छींटे और बौछार
अति उत्तम जय भाई जी मंत्र मुग्ध हो गया
ग्रेट
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
04-03-2013, 07:02 PM | #229 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: छींटे और बौछार
धन्यवाद बन्धु, आते रहिये।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
05-03-2013, 06:41 AM | #230 |
Exclusive Member
|
Re: छींटे और बौछार
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
Bookmarks |
Tags |
ghazals, hindi poems, poems, shayaris |
|
|