My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 22-03-2015, 08:00 PM   #181
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
कालिया नाग / Kaliya Naag


श्रीमद्भागवत के अनुसार कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं ओर निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं ओर चला गया।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 22-03-2015 at 08:04 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 16-09-2015, 02:37 PM   #182
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

शिवजी के अश्रुओं से बने रुद्राक्ष

विषधारक नीलकंठ रौद्र रूप शिव को संहारक और दुखों से मुक्त करने वाला माना गया है. दूसरे के दुखों को दूर करने वाले देवाधिदेव महादेव दुखों के सागर में डूब जाएं और रोने लगें ऐसा संभव नहीं लगता. पुराणों में ऐसा वर्णित है कि एक बार ऐसा भी हुआ. पर संपूर्ण ब्रह्माण्ड को संकटों से निजात दिलाने वाले शिव को आखिर क्या दुख हुआ कि वह रोने लगे और क्या हुआ जब वे रोए.

देवी भागवत पुराण के अनुसार बहुत शक्तिशाली असुर त्रिपुरासुर को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया और उसने धरती पर उत्पात मचाना शुरू किया. वह देवताओं और ऋषियों को भी सताने लगा. देव या ऋषि कोई भी उसे हराने में कामयाब नहीं हुए तो ब्रह्मा, विष्णु और दूसरे देवता भगवान शिव के पास त्रिपुरासुर के वध की प्रार्थना लेकर गए.

भगवान यह सुनकर बहुत द्रवित हुए और अपनी आंखें योग मुद्रा में बंद कर लीं. थोड़ी देर बाद जब उन्होंने आंखें खोलीं तो उनसे अश्रु बूंद धरती पर टपक पड़े. कहते हैं जहां-जहां शिव के आंसू की बूंदें गिरीं वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए. रुद्र का अर्थ हैशिवऔर अक्ष मतलब आंखजिसका अर्थ है शिव का प्रलयंकारी तीसरा नेत्र. इसलिए इन पेड़ों पर जो फल आए उन्हें रुद्राक्ष मोतीकहा गया. तब शिव ने अपने त्रिशूल से त्रिपुरासुर का वध कर पृथ्वी और देवलोक को उसके अत्याचार से मुक्त कराया.

धरती पर रुद्राक्ष और इसकी माला का बहुत महत्व है. पुराणों के अनुसार इसे धारण करने वालों पर शिव की कृपा होती है. रुद्राक्ष पहनना पवित्रता का प्रतीक और पापों से मुक्तिदायक माना गया है. पुराणों में ही रुद्राक्ष रखा हुआ पानी पीना धरती पर देवत्व की प्राप्ति करना बताया गया है. इसके अनुसार ऐसे मनुष्य का खाना देवताओं के भोजन के समान पवित्र हो जाता है और वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है. इसे पहनना जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त होना बताया गया है अन्यथा मनुष्य लाखों जन्मों तक जीवन चक्र में बंधा हुआ मृत्युलोक में जन्म लेता रहेगा.

रुद्र शिव का नाम है. रुद्र का अर्थ होता है संहारक या दुखों से मुक्त करने वाला. जिस प्रकार शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक किया जाता है उसी प्रकार वृक्षों को भी लगातार पानी की जरूरत होती है. शिव ने अपनी बाजुओं पर इस रुद्राक्ष माला को धारण किया है. संकट और जीवन रक्षा के लिए शिव की आराधना के लिए किए जाने वाला महामृत्युंजय जाप रुद्राक्ष माला के बिना संभव नहीं है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 16-09-2015, 02:43 PM   #183
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

शिवजी के अश्रुओं से बने रुद्राक्ष
<<<



अलग-अलग पुराणों में रुद्राक्ष के जन्म की कई कथाएं वर्णित हैं. शिव महापुराण के अनुसार एक बार हजारों वर्षों तक तपस्या में लीन रहने के बाद भगवान शिव ने जब आंखें खोलीं तो इतने लंबे समय बाद आंखें खुलने के कारण उनकी आंखों से आंसू की कुछ बूंदें टपक पड़ीं जिनसे रुद्राक्ष वृक्ष उग आए और धरतीवासियों के कल्याण के लिए इस वृक्ष के बीजों को धरती पर बांटा गया.

ऐसी ही एक कथा के अनुसार हजारों वर्षों तक तपस्या में लीन शिव ने जब आंखें खोलीं तो धरतीवासियों को असीम दर्द में डूबा देख उनका हृदय द्रवित हो उठा और उनकी आंखों से आंसू निकल गए. दर्द भरे उनके गर्म आंसुओं के धरती पर गिरने से रुद्राक्ष वृक्ष पैदा हुए.

शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण करना मारक शनि के प्रकोप से बचने का भी एक कारगर तरीका बताया गया है. इसे पहनने वाले को झूठ और बुरे कर्मों से दूर रहने की सलाह दी जाती है. मनवांछित फलों की प्राप्ति के लिए रुद्राक्ष धारण करना फलदायक माना गया है.

हालांकि रुद्राक्ष की कथा शिव और उसके भक्तों को रुद्राक्ष से जोड़ती है लेकिन व्यवहारिक जीवन में इसमें जीने का गूढ़ रहस्य छिपा है. भागवत पुराण की त्रिपुरासुर कथा में वर्णित त्रिपुरासुर का अर्थ त्रिपुरों का नगर भी है जो तमस, रजस, सत्व का प्रतीक है. यह तमस रजस और सत्व त्रिपुरामस प्रकृति (स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीरम्) में रहते हैं. इसलिए त्रिपुरासुर को मारने का एक अर्थ यह भी है कि इन तीनों कमजोरियों पर विजय पाकर पवित्रता की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होना !!
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 16-09-2015, 02:52 PM   #184
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

विष्णु जी व पद्मावती का विवाह तथा लक्ष्मी जी की अनबन

विवाहित दंपत्तियों के बीच कहा-सुनी और लड़ाई-झगड़े होना बहुत सामान्य सी बात है. मनुष्य तो मनुष्य आप यकीन नहीं करेंगे, देवता भी विवाह के बाद अपने जीवनसाथी से लड़ने, उनसे रूठने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. आज हम आपको भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी से जुड़ी ऐसी ही एक कहानी बता रहे हैं जिसके बारे में शायद आप ना जानते हों.

भगवान वेंकटेश्वर के गृहनगर तिरुपति को नव विवाहित दंपत्तियों के लिए बहुत खास माना जाता है और ऐसा इसलिए क्योंकि इसी स्थान पर भगवान वेंकटेश्वर और पद्मावती का विवाह संपन्न हुआ था. किसी भी आम विवाह की तरह वेंकटेश्वर और पद्मावती के विवाह में भी परेशानियां आईं, लेकिन आखिरकार उन सभी परेशानियों से जूझने के बाद दोनों ने एक-दूसरे को अपना बना लिया.

पुराणों के अनुसार एक बार अपने पति विष्णु से नाराज होकर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर वास करने आ गईं थीं. पृथ्वी पर वह गोदावरी नदी के किनारे एक आश्रम में रहने लगीं और एक दिन अपनी पत्नी की तलाश करते हुए भगवान विष्णु स्वयं धरती पर आकर शेषाद्रि नदी के समीप पहाड़ी पर रहने लगे. विष्णु और लक्ष्मी के बीच इस अलगाव की वजह से भगवान शिव और ब्रह्मा भी बहुत परेशान थे, इसलिए उन्होंने इस मसले में हस्तक्षेप करने का निश्चय किया. गाय और बछड़े का रूप धरकर वे चोल राजा के यहां रहने लगे.
>>>

__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 16-09-2015, 02:54 PM   #185
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

विष्णु जी व पद्मावती का विवाह तथा लक्ष्मी जी की अनबन
<<<
ग्वाला उन दोनों को रोज शेषाद्रि नदी के किनारे घास चराने ले जाता था, जहां विष्णु बिना किसी जीविका के साधन के वास कर रहे थे. गाय रूपी भगवान ब्रह्मा अपना सारा दूध विष्णु को दे आते थे. ग्वाला यह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसकी गाय का दूध जा कहां रहा है. एक दिन गाय का पीछा करता हुआ शेषाद्रि नदी के समीप पहाड़ी पर पहुंच गया जहां विष्णु का वास था. ये जानने की कोशिश में कि पहाड़ी के भीतर कौन है, उसने अपनी कुल्हाड़ी उस पहाड़ी पर मारी जो विष्णु जी को लग गई.

अपने शरीर से बहते खून को रोकने के लिए भगवान विष्णु जड़ी-बूटियों की खोज में भगवान वराहस्वामी, जो सुअर के रूप में विष्णु के तीसरे अवतार थे, की समाधि के पास पहुंच गए. जहां उन्हें वास करने की आज्ञा मिल गई और वो भी इस शर्त पर कि विष्णु के सभी भक्त उनसे पहले वराहस्वामी की पूजा करेंगे. विष्णु वहीं अपना आश्रम बनाकर रहने लगे और एक दिन वकुलादेवी नाम की महिला उस आश्रम में आई, जिन्होंने एक मां की तरह उनकी देखभाल की. राजा आकाश राजन की अपनी कोई संतान नहीं थी और एक दिन उन्हें बागीचे में एक छोटी बच्ची मिली, जिसे उन्होंने अपनी बेटी बना लिया और नाम रखा पद्मावती. पद्मावती बेहद शालीन और खूबसूरत थी. पद्मावती को ये वरदान प्राप्त था कि उनका विवाह भगवान विष्णु से होगा. वकुलादेवी ने विष्णु का नाम श्रीनिवासन रखा था, एक दिन बहुत प्यास लगने की वजह श्रीनिवासन तालाब के किनारे पानी पीने गए जहां उन्होंने पद्मावती को देखा और उसकी सुंदरता पर मोहित हो गए.

पद्मावती को भी विष्णु भा गए लेकिन लोगों ने उन्हें एक आम शिकारी समझकर वहां से भगा दिया. बाद में विष्णु जी ने वकुलादेवी को अपनी हकीकत बताई और कहा कि वह स्वयं जाकर पद्मावती के पिता राजा आकाश राजन से बात करे. संतों और ज्योतिषाचार्यों से बात कर राजा ने दोनों के विवाह का मुहूर्त वैशाख से तेरहवें दिन का निकलवाया. श्रीनिवासन ने कुबेर से 14 लाख सोने के सिक्के उधार लेकर शादी के इंतजाम किए और पद्मावती के साथ परिणय सूत्र में बंध गए.

लक्ष्मी जी भी श्रीनिवासन के दायित्वों और उनकी प्रतिबद्धता को समझ गईं और दोनों के बीच हस्तक्षेप ना कर उन्होंने सदा सदा के लिए विष्णु जी के दिल में रहने का निश्चय किया!!

<<<=>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 05-08-2016, 05:00 PM   #186
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

ययाति
(ओशो)

ययाति
की बहुत पुरानी कथा है, जिसमें ययाति सौ वर्ष का हो गया। बहुत मीठी, बहुतमधुर कथा है। तथ्य न भी हो, तो भी सच है। और बहुत बार जो तथ्य नहीं होते, वे भी सत्य होते हैं। और बहुत बार जो तथ्य होते हैं, वे भी सत्य नहीं होते।

यह ययाति की कथा तथ्य नहीं है, लेकिन सत्य है। सत्य इसलिए कहता हूं किउसका इंगित सत्य की ओर है। तथ्य नहीं है इसलिए कहता हूं कि ऐसा कभी हुआनहीं होगा। यद्यपि आदमी का मन ऐसा है कि ऐसा रोज ही होना चाहिए।

ययाति सौ वर्ष का हो गया, उसकी मृत्यु आ गई। सम्राट था। सुंदर पत्नियांथीं, धन था, यश था, कीर्ति थी, शक्ति थी, प्रतिष्ठा थी। मौत द्वार पर आकर दस्तक दी। ययाति ने कहा, अभी आ गई? अभी तो मैं कुछ भोग नहीं पाया। अभी तोकुछ शुरू भी नहीं हुआ था! यह तो थोड़ी जल्दी हो गई। सौ वर्ष मुझे और चाहिए।मृत्यु ने कहा, मैं मजबूर हूं। मुझे तो ले जाना ही पड़ेगा। ययाति ने कहा, कोई भी मार्ग खोज। मुझे सौ वर्ष और दे। क्योंकि मैंने तो अभी तक कोई सुखजाना ही नहीं।

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 05-08-2016 at 05:02 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 05-08-2016, 05:03 PM   #187
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

मृत्यु ने कहा, सौ वर्ष आप क्या करते थे? ययाति नेकहा, जिस सुख को जानता था, वही व्यर्थ हो जाता था। तब दूसरे सुख की खोजकरता था। खोजा बहुत, पाया अब तक नहीं। सोचता था, कल की योजना बना रहा था।तेरे आगमन से तो कल का द्वार बंद हो जाएगा। अभी मुझे आशा है। मृत्यु नेकहा, सौ वर्ष में समझ नहीं आई। आशा अभी कायम है? अनुभव नहीं आया? ययाति नेकहा, कौन कह सकता है कि ऐसा कोई सुख न हो, जिससे मैं अपरिचित होऊं, जिसे पालूं तो सुखी हो जाऊं! कौन कह सकता है?

मृत्यु ने कहा, तो फिर एकउपाय है कि तुम्हारे बेटे हैं दस। एक बेटा अपना जीवन दे दे तुम्हारी जगह, तो उसकी उम्र तुम ले लो। मैं लौट जाऊं। पर मुझे एक को ले जाना ही पड़ेगा।

बाप थोड़ा डरा। डर स्वाभाविक था। क्योंकि बाप सौ वर्ष का होकर मरने को राजीन हो, तो कोई बेटा अभी बीस का था, कोई अभी पंद्रह का था, कोई अभी दस काथा। अभी तो उन्होंने और भी कुछ भी नहीं जाना था। लेकिन बाप ने सोचा, शायदकोई उनमें राजी हो जाए। शायद कोई राजी हो जाए। पूछा, बड़े बेटे तो राजी नहुए। उन्होंने कहा, आप कैसी बात करते हैं! आप सौ वर्ष के होकर जाने कोतैयार नहीं। मेरी उम्र तो अभी चालीस ही वर्ष है। अभी तो मैंने जिंदगी कुछभी नहीं देखी। आप किस मुंह से मुझसे कहते हैं?

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 05-08-2016, 05:04 PM   #188
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

सबसे छोटा बेटाराजी हो गया। राजी इसलिए हो गयाजब बाप से उसने कहा कि मैं राजी हूं, तोबाप भी हैरान हुआ। ययाति ने कहा, सब नौ बेटों ने इनकार कर दिया, तू राजीहोता है। क्या तुझे यह खयाल नहीं आता कि मैं सौ वर्ष का होकर भी मरने कोराजी नहीं, तेरी उम्र तो अभी बारह ही वर्ष है!

उस बेटे ने कहा, यहसोचकर राजी होता हूं कि जब सौ वर्ष में भी तुमने कुछ न पाया, तो व्यर्थ कीदौड़ में मैं क्यों पडूं! जब मरना ही है और सौ वर्ष के समय में भी मरकर ऐसीपीड़ा होती है, जैसी तुमको हो रही है, तो मैं बारह वर्ष में ही मर जाऊं।अभी कम से कम विषाद से तो बचा हूं। अभी मैंने दुख तो नहीं जाना। सुख नहींजाना, दुख भी नहीं जाना। मैं जाता हूं।

फिर भी ययाति को बुद्धि नआई। मन का रस ऐसा है कि उसने कल की योजनाएं बना रखी थीं। बेटे को जानेदिया। ययाति और सौ वर्ष जीया। फिर मौत आ गई। ये सौ वर्ष कब बीत गए, पतानहीं। ययाति फिर भूल गया कि मौत आ रही है। कितनी ही बार मौत आ जाए, हम सदाभूल जाते हैं कि मौत आ रही है। हम सब बहुत बार मर चुके हैं। हम सब केद्वारों पर बहुत बार मौत दस्तक दे गई है।

ययाति के द्वार पर दस्तकहुई। ययाति ने कहा, अभी! इतने जल्दी! क्या सौ वर्ष बीत गए? मौत ने कहा, इसे भी जल्दी कहते हैं आप! अब तो आपकी योजनाएं पूरी हो गई होंगी?

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 05-08-2016, 05:06 PM   #189
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

ययाति ने कहा, मैं वहीं का वहीं खड़ा हूं। मौत ने कहा, कहते थे कि कल और मिलजाए, तो मैं सुख पा लूं! ययाति ने कहा, मिला कल भी, लेकिन जिन सुखों कोखोजा उनसे दुख ही पाया। और अभी फिर योजनाएं मन में हैं। क्षमा कर, एक औरमौका! पर मौत ने कहा, फिर वही करना पड़ेगा।

इन सौ वर्षों में ययातिके नए बेटे पैदा हो गए; पुराने बेटे तो मर चुके थे। फिर छोटा बेटा राजी होगया। ऐसे दस बार घटना घटती है। मौत आती है, लौटती है। एक हजार साल ययातिजिंदा रहता है।

मैं कहता हूं, यह तथ्य नहीं है, लेकिन सत्य है।अगर हमको भी यह मौका मिले, तो हम इससे भिन्न न करेंगे। सोचें थोड़ा मन मेंकि मौत दरवाजे पर आए और कहे कि सौ वर्ष का मौका देते हैं, घर में कोई राजीहै? तो आप किसी को राजी करने की कोशिश करेंगे कि नहीं करेंगे! जरूर करेंगे।क्या दुबारा मौत आए, तो आप तब तक समझदार हो चुके होंगे? नहीं, जल्दी से मतकह लेना कि हम समझदार हैं। क्योंकि ययाति कम समझदार नहीं था।

हजार वर्ष के बाद भी जब मौत ने दस्तक दी, तो ययाति वहीं था, जहां पहले सौवर्ष के बाद था। मौत ने कहा, अब क्षमा करो! किसी चीज की सीमा भी होती है।अब मुझसे मत कहना। बहुत हो गया! ययाति ने कहा, कितना ही हुआ हो, लेकिन मनमेरा वहीं है। कल अभी बाकी है, और सोचता हूं कि कोई सुख शायद अनजाना बचाहो, जिसे पा लूं तो सुखी हो जाऊं!
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 05-08-2016, 05:07 PM   #190
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक

अनंत काल तक भी ऐसा ही होता रहता है। तो फिर वैराग्य पैदा नहीं होगा। अगर एक राग व्यर्थ होता है और आप तत्काल दूसरे राग की कामना करने लगते हैं, तो राग की धारा जारी रहेगी। एक राग का विषय टूटेगा, दूसरा राग का निर्मित हो जाएगा। दूसरा टूटेगा, तीसरा निर्मित हो जाएगा। ऐसा अनंत तक चल सकता है। ऐसा अनंत तक चलता है। वैराग्य कब होगा?

वैराग्य उसे होता है, जो एक राग की व्यर्थता में समस्त रागों की व्यर्थता को देखने में समर्थ हो जाता है। जो एक सुख के गिरने में समस्त सुखों के गिरने को देख पाता है। जिसके लिए कोई भी फ्रस्ट्रेशन, कोई भी विषाद अल्टिमेट, आत्यंतिक हो जाता है। जो मन के इस राज को पकड़ लेता है जल्दी ही कि यह धोखा है। क्यों? क्योंकि कल मैंने जिसे सुख कहा था, वह आज दुख हो गया। आज जिसे सुख कह रहा हूं, वह कल दुख हो जाएगा। कल जिसे सुख कहूंगा, वह परसों दुख हो जाएगा। जो इस सत्य को पहचानने में समर्थ हो जाता है, जो इतना इंटेंस देखने में समर्थ है, जो इतना गहरा देख पाता है जीवन में

अब दुबारा जब मन कोई राग का विषय बनाए, तो मन से पूछना कि तेरा अतीत अनुभव क्या है! और मन से पूछना कि फिर तू एक नया उपद्रव निर्मित कर रहा है!
**
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
पौराणिक आख्यान, पौराणिक मिथक, greek mythology, indian mythology, myth, mythology, roman mythology


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 03:45 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.