23-06-2011, 04:51 AM | #51 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
अब ना भगत सिंह ना नेता बोस जी रहे, हमारी सोई हुई अनख को जगान के लिए इससे बड़ी बात क्या बताऊँ , मैं अपने भारत देश महान के लिए |
23-06-2011, 04:53 AM | #52 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
छुप छुप बिविओं से हम रोते रहे, रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..! ब्याह करवाके रोज़ हम रोते रहे, रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..! सारा हफ्ता काम, छुटी में कपडे धोते रहते हैं |
23-06-2011, 04:54 AM | #53 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
=>क्यूं पापाजी वोट डाल आये
=>बेटा! पता नहीं वो तेरा कौन सा बाप है जो मेरे जाने से पहले ही मेरा वोट डाल आता है । |
23-06-2011, 04:55 AM | #54 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
=>फिलहाल मैं अपने आप को प्रधानमंत्री पद के लायक नहीं समझता । अगर प्रधानमंत्री पद के लिए पेशकश की गई तो ठुकरा दूंगा ।
=>राहुल बाबा पहले तो अगले चुनाव में यूपीए को ही बहुमत नहीं मिलने जा रहा है । फिर खुद यूपीए में ही दो दर्जन प्रधानमंत्री पद के दावेदार लार टपकाते खड़े हैं । लालू, मुलायम, पासवान, शरद पवार के रहते कोई आपको प्रधानमंत्री पद की पेशकश भी करने से रहा । अच्छा किया आपने जो खुद को इस चूहा दौड़ से अलग कर लिया । गरीबी में आदमी उपवास करना सीख ही लेता है । उपवास करने से स्वास्थ्य भी दुरूस्त रहता है और नाक भी बची रहती है । |
23-06-2011, 04:56 AM | #55 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
क्वात्रोची के खिलाफ सी.बी.आई. के पास कोई सबूत नहीं। (व्यंग्य/कार्टून)
<=अबे साले ! तेरे कू इतना भी नहीं पता कि अतिथि देवो भव होते हैं । फिर सरकारी अतिथि पर भौंक कर तू अपनी हड्डी से भी पंजे धो बैठेगा । सरकारी नौकरी में सिर्फ उसी पर भौंका जाता है जिससे सरकार को खतरा हो । |
23-06-2011, 04:57 AM | #56 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
खबर पुरानी जरूर है पर है सदाबहार!
साधो, सियासत के कबूतर खाने में बड़ी गहमा गहमी है । लालू यादव के साले साधु यादव ने बहनोई को खुदा हाफिज कह कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया । अब लालू यादव भुन्नाकर साले को कोस रहे हैं । कोसने के सिवा कुछ कर भी नहीं सकते । ऋषी-मुनि होते तो साधु को शाप देते । उन्हें मलाल सिर्फ यही है कि घर में बसा साला भी साला बगावत कर बैठा । गई वो दीवार जिसमें बन गये आले, गया वो घर जिसमें बस गये साले । |
23-06-2011, 04:58 AM | #57 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
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23-06-2011, 04:58 AM | #58 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
बारी सभी की आती है... पहले 'स्लोगन' प्रसिद्ध हुआ : "खाकी कुत्तों से सावधान" फिर स्लोगन प्रचलन में आया : "नेता से सावधान" और अब आपकी पारखी दृष्टि ने नयी बहती हवा को ठीक पहचाना : "ईमानदारों से सावधान" ......... वाला स्लोगन." |
23-06-2011, 04:59 AM | #59 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
मंत्री को मारने के लिये प्लास्टिक की चप्पल ठीक रहती है. सस्ती और मज़बूत होती है. मारने के बाद संग्रहालय में काफी समय तक रखी भी जा सकती है. अरे हाँ, मारने पर आवाज भी होती है! |
23-06-2011, 05:00 AM | #60 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
चखिए तीखा-तड़का पारा तो चढ़ेगा ही |
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