15-07-2011, 07:38 AM | #1 |
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राम नाम भज
भजि ले राम नाम मन ,बीतल जाले उमिरिया| ठठरिया एक दिन माटी में मिली|
जा दिन उड़ीहै छोड़ि के पिजरा मन पंक्षी मस्ताना| धन दौलत कुछ कम न आई नाही माल खजाना| एको कम न आइहै कोठी महल अटरिया| ठठरिया एक दिन ........................................ जब तक प्राण रही ठठरी में तबतक बड़ा झमेला| समझ बूझी चाल चला एहि रहिया में अलबेला| निशि दिन टेवत शीश पे एक दिन कटान लेई कटरिया| ठठरिया एक दिन ........................................ करि प्रपंच बहु माया जोरी तबों न जीव अघाइल| कम क्रोध मद लोभ में पड़ीके लोभी रहा लुभाइल| लोभी पड़ा लोभ में सूझत नाहि डगरिया| ठठरिया एक दिन ........................................ एक से एक जोधा अइलन एक से एक धुरंधर| हिरणकश्यप कुंभकर्ण और मेघनाद दसकंधर| माया छोड़ि के भागें सब नाही संग गइल लसकरिया| ठठरिया एक दिन ........................................ रामचन्द्र बलराम चले गये हनुमान बलकारी| ना रह गये भूप दुर्योधन ना अर्जुन धनुधारी| खाली हाथ गये सब ‘मिश्रा’ लिखलें शायरिया| ठठरिया एक दिन ........................................ |
15-07-2011, 08:11 AM | #2 |
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Re: राम नाम भज
वाह गुरू ...कमाल क लिखले बाड...
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17-07-2011, 04:09 AM | #3 |
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Re: राम नाम भज
वाह बहुत ही बढ़िया रचना है.
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17-07-2011, 09:41 AM | #4 |
Special Member
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Re: राम नाम भज
यह एक प्रचलित लोकगीत है
लोकगीत की इस विधा को निर्गुण कहा जाता है आमतौर पर इसे किसी की मृत्यु के समय गाया जाता है
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
19-07-2011, 03:18 PM | #5 |
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Re: राम नाम भज
बहुत अच्छा लिखा है।
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