12-10-2012, 09:17 AM | #1081 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लंदन। वैज्ञानिकों ने गैस और धूल के एक बादल में पानी की इतनी वाष्प खोजी है जिससे पृथ्वी के समुद्र 2000 गुना से अधिक भर जाएं। यह बादल जल्द ही नए सूर्य जैसे तारे में तब्दील होने वाला है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की नई हरशेल अंतरिक्ष वेधशाला ने पाया है कि लाइन्ड्स 1544 नामक इस बादल की ठंडी प्री स्टेलर कोर में पानी की भाप है। पहली बार किसी ऐसे आणविक बादल में पानी की भाप का पता चला है जो तारा बनने वाला है। यह भाप इतनी अधिक है कि पृथ्वी के 2000 से अधिक समुद्र इससे भर सकते हैं। यह भाप बादल से हो कर गुजरने वाली अत्यधिक ऊर्जा वाली कॉस्मिक किरणों की बर्फीली धूल से अलग हुई है। लीड्स विश्वविद्यालय के पाओला कसेली ने कहा है कि इतनी अधिक मात्रा में वाष्प उत्पन्न करने के लिए बादल में बहुत ज्यादा जलीय बर्फ होना चाहिए। कसेली ने कहा कि पहले यह माना जाता था कि पानी धूल के कणों में इसलिए जम गया है क्योंकि यह बहुत ठंडा है और गैसीय अवस्था में नहीं रह सकता। इसीलिए हम इसे माप भी नहीं सकते। अध्ययन में यह भी पता चला है कि पानी के अणु बादल के मध्य की ओर जा रहे हैं जहां संभवत: नया तारा बनेगा। यह इस बात का संकेत है कि गुरूत्व का पतन शुरू हो गया है। अध्ययन के नतीजे ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स’ में प्रकाशित हुए हैं।
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12-10-2012, 09:20 AM | #1082 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
क्यों होती है नाखूनों से खुरचने की आवाज पर चिढ
लंदन । अगर आप किसी के नाखूनों द्वारा खुरचने की आवाज से परेशान हो जाते हैं, तो इसके पीछे आपके मस्तिष्क का दोष है। न्यूकासल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया है कि नाखूनों की खुरचन की आवाज से चिढ के पीछे मस्तिष्क के ‘एमीगादा’ नामक हिस्से का हाथ है। वैज्ञानिकों के इस दल में एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ सुखबिंदर कुमार भी शामिल है। उन्होंने बताया कि नाखूनों द्वारा खुरचने की आवाज की आवृति बच्चों के रोने की आवृति के बराबर होती है। यह आवाज प्राचीन काल से ही मानव की चिढ का कारण बनी हुयी है। शोध में पाया गया कि जब नाखून खुरचने की आवाज आती है तो दिमाग के एमीगादा हिस्से में ऐसे संकेत पैदा होते हैं जिनसे नकारात्मक प्रतिक्रियायें उत्पन्न होती है।
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12-10-2012, 09:22 AM | #1083 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
फूलगोभी और अंकुरित सब्जी नापसंद करना स्वस्थ होने की निशानी ?
लंदन । जिन लोगों को अंकुरित और फूलगोभी जैसी सब्जियां कड़वी लगती हैं, वे अपनी नाक में रसायन होने के कारण संक्रमणों से बेहतर ढंग से लड़ सकते हैं । डेली मेल के अनुसार पेनसिलवानिया यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि अंकुरित और फूलगोभी जैसी सब्जियों को नापसंद करने वाले लोगों के शरीर में अधिक रिसेप्टर होते हैं जो इन व्यंजनों के जायके को पकड़ लेते हैं...और ये हमलावर जीवाणुओं को लेकर पूर्व चेतावनी प्रणाली के रूप में काम करते हैं । पहले माना जाता था कि ये रिसेप्टर केवल जीभ में हाते हैं, लेकिन अब पता चला है कि ये नाक में भी होते हैं । ये रिसेप्टर आम संक्रमणों के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को सक्रिय करने का काम करते हैं । हालांकि, एक तिहाई आबादी के पास कड़वे स्वाद से संबंधित रिसेप्टर जीन ‘टीएएस2आर38’ नहीं होता जो रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सक्रिय करता है ।
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13-10-2012, 02:11 AM | #1084 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मैसूर के महाराजा की देन है वोटिंग के बाद लगाई जाने वाली स्याही
फर्जी मतदान रोकने में कारगर औजार शिमला। चुनाव के दौरान फर्जी मतदान रोकने में कारगर औजार के रूप में प्रयुक्त हाथ की उंगली के नाखून पर लगाई जाने वाली स्याही सबसे पहले मैसूर के महाराजा नालवाड़ी कृष्णराज वाडियार द्वारा वर्ष 1937 में स्थापित मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड कंपनी ने बनाई थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बन गई। अब इस कंपनी को मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के नाम से जाता है। कर्नाटक सरकार की यह कंपनी अब भी देश में होने वाले प्रत्येक चुनाव के लिए स्याही बनाने का काम करती है और इसका निर्यात भी करती है। चुनाव के दौरान मतदाताओं को लगाई जाने वाली स्याही निर्माण के लिए इस कंपनी का चयन वर्ष 1962 में किया गया था और पहली बार इसका इस्तेमाल देश के तीसरे आम चुनाव किया गया था। इस स्याही को बनाने की निर्माण प्रक्रिया गोपनीय रखी जाती है और इसे ‘नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी आफ इंडिया’ के रासायनिक फार्मूले का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है। यह आम स्याही की तरह नहीं होती और अंगुली पर लगने के 60 सेकंड के भीतर ही सूख जाती है। चुनाव के दौरान यह स्याही बाएं हाथ की तर्जनी अंगुली के नाखून पर लगाई जाती है। एक फरवरी 2006 से पहले तक यह स्याही नाखून और चमड़ी के जोड़ पर लगाई जाती थी। यह स्याही इस बात को सुनिश्चित करती है कि एक मतदाता एक ही वोट डाले। भारत इस स्याही का निर्यात थाईलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका को भी करता है।
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13-10-2012, 05:03 AM | #1085 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
कुत्ते को न करें किस, गिर सकते हैं दांत
लंदन। कुत्तों को हर समय अपने साथ रखने और प्यार से उनको किस करने वाले हो जाएं सावधान। कुत्तों को भले ही इंसान का सबसे वफादार साथी माना जाए, लेकिन आपका यह वफादार साथी भी आपके स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। कुत्तों का चुंबन लेने से आपके दांत भी गिर सकते हैं। जी हां, यह कोई मजाक नहीं। अपने पालतू कुत्तों से प्यार में आकर अपना मुंह चटवाना या उन्हें किस करने की आपको भारी कीमत अदा करनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि पालतू कुत्तों को किस करते समय वह अपने मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया आपके मुंह में छोड़ देते हैं। कुत्तों द्वारा आपके मुंह में छोड़े गए खतरनाक बैक्टीरिया के कारण आप पेरियोडोंटाइटिस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। पेरियोडोंटाइटिस वह बीमारी है, जिससे अधिकतर कुत्ते पीड़ित होते हैं और उन्हें किस करने के दौरान वह इस बीमारी के बैक्टीरिया आपके मुंह में भी छोड़ देते हैं। यह मसूढ़ों की एक बेहद खतरनाक बीमारी है जो उन ऊतकों पर असर डालती है जो मुंह में दांतों को जमाए रखने का काम करते हैं, जिससे मसूढ़ों की बीमारी हो सकती है और दांत भी गिर सकते हैं। जापान में पालतू कुत्तों के दांतों के स्वास्थ्य पर किए गए अध्ययनों के बाद यह चेतावनी जारी की गई है। दांतों को नुकसान पहुंचाने वाले माइक्रोब्स इंसानों में नहीं पाए जाते, लेकिन कुत्तों में पाए जाते हैं। यह पाया गया कि कुत्ते पालने वाले 16 प्रतिशत ऐसे लोगों में यह बीमारी पाई गई जो लोग कुत्तों को अक्सर प्यार में चूमते या कुत्तों से अपना मुंह चटवाते थे। कार्नेल यूनिवर्सिटी के वेटनरी मेडिसिन कॉलेज के डॉ. पॉल माजा ने यह भी कहा कि इस बीमारी का कुत्तों से इंसानों में संक्रमण इंसानों और कुत्तों की ब्रश करने की आदत पर भी निर्भर करता है। फिर भी इस बीमारी के खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों ने कुत्ता पालने के शौकीनों से उन्हें किस करने से बचने की हिदायत दी है।
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13-10-2012, 05:04 AM | #1086 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
स्तन कैंसर का शुरूआती अवस्था में ही पता लगाएगी स्मार्ट ब्रा
वाशिंगटन। एक अमेरिकी कंपनी ने ब्रा में ऐसा हाईटेक उपकरण लगाने का दावा किया है जो स्तन कैंसर का शुरूआती अवस्था में ही पता लगा सकता है। अगर स्तन कैंसर का शुरूआती अवस्था में ही पता चल जाए तो समय रहते इलाज होने की वजह से मरीज को बचाया जा सकता है। अभी तक इस बीमारी का पता लगाने के लिए मैमोग्राम को बेहतर और परंपरागत उपाय माना जाता रहा है, लेकिन यह तथ्य मैमोग्राम पर सवाल उठाता है कि इससे स्तन कैंसर का पता चलने के कम से कम छह साल पहले कैंसर की गांठें बनना शुरू हो चुकी होती हैं। अमेरिकी कंपनी का मानना है कि उनका सेंसर युक्त उपकरण कैंसर की गांठों का शुरूआती अवस्था में ही पता चल सकता है जिसके बाद शीघ्र इलाज भी शुरू किया जा सकता है। कंपनी ने ब्रा के अंदरूनी हिस्से में सेंसर लगाए हैं जो कैंसर की गांठ यानी ट्यूमर के बनने के साथ साथ रक्त वाहिनियों की वृद्धि की वजह से कोशिकाओं के तापमान में होने वाले किसी भी बदलाव को पकड़ सकते हैं। सेंसर में ऐसा सॉफ्टवेयर भी होगा जो स्तन के उतकों में होने वाले परिवर्तन का पता लगा सकेगा। इसे ट्यूमर की मौजूदगी का संकेत मिल सकेगा।
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13-10-2012, 05:09 AM | #1087 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
बालों की परेशानी, पालतू जानवरों का घबराना भी है छुट्टी के बहानों में शुमार
मेलबर्न। क्या आपने कभी इसलिए छुट्टी ली है क्योंकि आपके कुत्ते को घबराहट हो रही है या फिर आपने इसलिए भी छुट्टी ली है क्योंकि आपके बाल घर पर डाई करते समय नारंगी रंग के हो गए? एक रोजगार वेबसाइट के सर्वेक्षण के अनुसार, छुट्टी लेने के लिए कुछ ऐसे ही हास्यास्पद बहाने कर्मचारियों द्वारा अपने बॉस को दिए जाते हैं, लेकिन अपने बॉस को बताने से पहले आप यह जान लें कि न्यूज.कॉम.एयू की रिपोर्ट के अनुसार 17 प्रतिशत मालिक अपने कर्मचारियों को इस तरह के झूठे बहानों के कारण नौकरी से निकाल भी देते हैं। अमेरिका में लगभग 2500 प्रबंधकों और 4000 कर्मचारियों पर किए गए सर्वेक्षण में पता चला कि 29 प्रतिशत मालिक यह पता करते हैं कि उनका कर्मचारी वास्तव में बीमार है या नहीं। जिसके लिए प्राय: वे उन्हें दिन में फोन करते हैं या फिर चिकित्सा प्रमाणपत्र दिखाने के लिए कहते हैं। प्राय: 18 प्रतिशत मालिकों के पास एक कर्मचारी ऐसा होता है जो बीमारी का कारण बताकर छुट्टी लेने वाले व्यक्ति को फोन कर पता लगाता है कि व्यक्ति वास्तव में बीमार है या नहीं। 30 प्रतिशत लोगों ने कई बार छुट्टी के लिए बीमारी को कारण बताया, जबकि वास्तव में वे बीमार नहीं थे। कैरियरबिल्डर ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि कर्मचारियों को जब काम करने की इच्छा नहीं थी अथवा आराम करने की इच्छा थी, तब भी उन्होंने बीमारी का बहाना बनाया। हालांकि इनमें से सबसे हास्यास्पद बहाना यह था कि कर्मचारियों ने इसलिए भी बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी ली क्योंकि वे भूल गए थे कि उन्हें इस काम के लिए रखा गया था। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि उन्होंने कुत्ते की वजह से या फिर दादी की मृत्यु अथवा पुलिस जांच में फंसने का बहाना बनाकर छुट्टी ली। कुछ कर्मचारियों ने तो यह भी कहा कि चिड़िया ने उन पर गंदा गिरा दिया या फिर बहुत ज्यादा पढ़ने के कारण वे बीमार हो गए।
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15-10-2012, 03:25 PM | #1088 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मधुमेह से पीड़ित लोगों को अब उपवास से नहीं होगी परेशानी
नई दिल्ली। नवरात्र पर्व आज से शुरू हो रहा है और मधुमेह तथा हृदय सम्बंधी बीमारियों से पीड़ित एवं स्वास्थ्य के प्रति सतर्क लोगों के लिए नवरात्र में उपवास रखना काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। भारत के बड़े ई-हेल्थ स्टोर ‘हेल्थकार्ट’ ने मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए शुगर फ्री उत्पाद पेश किया है। हेल्थकार्ट की सीनियर आहार विशेषज्ञ मौमिता राय चौधरी ने कहा कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से बनाए गए ये उत्पाद चिकित्सीय रूप से प्रमाणित हैं। ये उत्पाद अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष फ्रैंसिन कॉफमैन द्वारा फॉर्मूलेट किए गए हैं। उन्होंने कहा कि धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को मधुमेह या अन्य बीमारियां हों, फिर भी वे उपवास नहीं छोड़ना चाहते, भले ही डॉक्टर ने उन्हें इसके लिए मना किया हो। ऐसे में ये उत्पाद निश्चित रूप से उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए हेल्थकार्ट कई तरह के मीठे स्नैक बाजार में लेकर आया है, जो मात्र ‘शुगर फ्री स्वीट्स’ और ‘शुगर फ्री बार’ नहीं हैं, बल्कि इन्हें चिकित्सीय रूप से प्रमाणित किया गया है कि ये भूख पर काबू करने में सहायक हैं, इन्हें खाने से ब्लड शुगर बढ़ती नहीं है साथ ही यह ब्लड शुगर नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं। कंपनी ने यह स्टोर मार्च, 2011 में लांच किया था, जो एथलीटों की जरूरतों के लिए भी उत्पाद बना रही है। हाल ही में कंपनी ने हेल्थ एवं फिटनेस एक्सपो में भाग लिया था, जो भारत के सबसे बड़े बॉडीबिल्डिंग टूर्नामेंट शेरू क्लासिक 2012 के अंतर्गत आयोजित किया गया था। चौधरी हेल्थकार्ट से पहले बॉडीकेयर, ग्लोबल लुक्स, रेनोवा हेल्थ एवं वेलनेस में आहार विशेषज्ञ रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि भारत में लोग विशेषकर बॉडीबिल्डर नवरात्र के दिनों में मांसाहारी भोजन नहीं करते, लेकिन उनकी प्रोटीन की जरूरतें पूरी करना जरूरी होता है। वे हमारे प्रोटीन सप्लीमेंट को मांसाहारी भोजन की जगह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उनके शरीर की प्रोटीन की आवश्यकता पूरी हो जाएगी। पोषण के हिसाब से क्या ये पोषक तत्वों के ग्राफ को पूरा करते हैं? इस पर चौधरी ने कहा कि बिलकुल, ये उत्पाद स्वास्थ्य के प्रति सचेत लोगों, मधुमेह व हृदय सम्बंधी रोगों से पीड़ित लोगों और वजन कम करने वालों के लिए अहम हैं। ये करीब नौ घंटे तक शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा ये सभी प्राकृतिक हैं, जिनमें बहुत कम या न के बराबर शुगर है। इनमें कोलेस्ट्रॉल या ‘ट्रांस वसा’ नहीं है। ये प्रोटीन और फाइबर के हिसाब से काफी बढ़िया हैं। ग्लूटन फ्री हैं और प्रत्येक स्नैक से केवल 120-130 कैलोरी मिलती है। कुछ उत्पाद ‘ग्लूटन फ्री’ भी हैं, इस बारे में चौधरी ने कहा कि अनाजों जैसे गेहूं, राई में ग्लूटन पाया जाता है और इसका इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने तथा अन्य कामों के लिए किया जाता है, लेकिन कुछ लोगोें को सेलियैक बीमारी (ग्लूटन से एलर्जी) होती है, उन्हें ग्लूटन फ्री भोजन दिया जाता है। उनके लिए ये स्नैक्स बहुत फायदेमंद हैं। यह पूछने पर कि इसमें मीठा करने के लिए किस तरह का पदार्थ इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि बाजार में सैकरीन और पौधे से निकाला गया ‘स्टीविया’ मौजूद हैं तो उन्होंने कहा कि हम ‘लो कैलोरी स्वीटनिंग एजेंट’ मल्टीटोल का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा मीठा करने के लिए सुक्रालोज (स्प्लेंडा) भी इस्तेमाल करते हैं। आजकल बाजार में कई तरह की शुगर फ्री मिठाइयां प्रचलित हैं तो चौधरी को प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ेगा और वे किस तरह से स्वाद बढ़ाकर या किसी और तरह से बाजार में पैठ बनाना चाहेंगे? इस पर चौधरी ने कहा कि हमारी ज्यादातर उत्पादों की रेंज चिकित्सीय रूप से उच्च स्तर की है और भारत में इस तरह के उत्पाद मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वैसे भी बाजार में जो भी उपलब्ध हैं, वे स्वाद और वैराइटी के रूप में काफी सीमित हैं इसलिए हम स्वाद और उच्च गुणवत्ता दोनों पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं। ये उत्पाद खाने में स्वादिष्ट हैं और कई जायकों में हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी भी हैं।
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17-10-2012, 09:10 AM | #1089 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वैज्ञानिकों ने खोजा चार सूर्यों वाला ग्रह
लंदन। शौकिया खगोल प्रेमियों के एक दल ने एक नया ग्रह खोजा है जो आकार में पृथ्वी से छह गुना बड़ा है और इसके चारों ओर चार सूर्य चक्कर काट रहे हैं। यह अपने आप में एक अजूबा है। पृथ्वी की कक्षा से पांच हजार प्रकाश वर्ष दूर स्थित इस ग्रह के चारों ओर इसके दो सूर्य चक्कर लगा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर यह खुद अपने दो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। इस ग्रह तथा इसके चारों सूर्य को केआईसी 4862625 नाम दिया गया है। दो अमेरिकी खगोलशास्त्रियों ने प्लानेट हंटर्स परियोजना के तहत याले विश्वविद्यालय की टीम की अगुवाई में इस ग्रह को खोजा है। ‘पीएच-1’ नामक यह ग्रह एक विशाल गैस का गोला है जो नेप्च्यून से थोड़ा सा बड़ा है। यह ग्रह अपने दो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में 138 दिन का समय लेता है। ये दोनों सूर्य एक-दूसरे का चक्कर 20 दिन में पूरा करते हैं। डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि दो अन्य सूर्यों और इस ग्रह के बीच की दूरी धरती तथा सूरज के बीच की दूरी से करीब एक हजार गुना अधिक है। बताया गया है कि पीएच-1 नामक इस ग्रह का न्यूनतम तापमान 251 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 340 डिग्री सेल्सियस है जो प्राणी जीवन के हिसाब से किसी भी सूरत में बर्दाश्त करने की सीमा से मीलों दूर है। पीएच-1 की खोज प्लानेट हंटर के सेन फ्रांसिस्को के कियान जेक तथा ऐरिजोना के. राबर्ट गागिलिआनो ने की है। पेशेवर खगोलशास्त्रियों के एक दल ने पीएच-1 की मौजूदगी की पुष्टि की है।
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17-10-2012, 10:42 PM | #1090 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
नजदीकी तारामंडल में सबसे हल्का ग्रह खोजा
लंदन। अंतरिक्ष विज्ञानियों ने धरती के द्रव्यमान से मिलता-जुलता एक एक्जोप्लैनेट (सौरमंडल के बाहर का ग्रह) खोजा है, जो अल्फा सेंटोरी तारामंडल में एक तारे का चक्कर लगा रहा है। सूर्य जैसे तारे का चक्कर लगाने वाला यह अभी तक मिला सबसे हल्का एक्जोप्लैनेट है। इसे चिली स्थित ईएसओ ला सिला वेधशाला से ढंूढा गया है। अल्फा सेंटोरी अंतरिक्ष के दक्षिणी भाग में स्थित सबसे चमकीले तारामंडलों में से एक है और हमारे सौरमंडल का सबसे नजदीकी (सिर्फ 4.3 प्रकाश वर्ष दूर) ग्रह है।
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