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Old 27-12-2012, 01:50 PM   #1
Dark Saint Alaick
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Default 2012 : क्या खोया, क्या पाया

2012 : क्या खोया, क्या पाया

मित्रो ! गत वर्ष मैंने एक सूत्र बनाया था '2011 : क्या खोया, क्या पाया', इसमें मैंने आपके लिए वर्षभर का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया था। उसी तर्ज़ पर इस बार भी हाज़िर है, यह वार्षिक लेखा-जोखा, लेकिन इस बार मैंने इसे दो हिस्सों में बांट दिया है। एक - 'मेरी डायरी में 2012', यह सूत्र वर्ष की समस्त अच्छी-बुरी घटनाओं को महीने के हिसाब से तिथिवार पेश करेगा और दूसरा '2012 : क्या खोया, क्या पाया', यह सूत्र प्रत्येक क्षेत्र की उपलब्धियों और हानियों को वर्षवार प्रस्तुत करेगा अर्थात इस वर्ष ने हमें क्या खुशियां अता कीं और किन दुखों-पीड़ाओं के रू-ब-रू कराया। मेरा प्रयास रहेगा कि सूत्र आपको प्रत्येक क्षेत्र के घटनाक्रम से अवगत कराए। यदि आपको कुछ छूटता महसूस हो, तो कृपया मेरा ध्यानाकर्षण अवश्य कराएं, ताकि मैं उस कमी को पूर्ण कर सकूं। धन्यवाद।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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Old 27-12-2012, 01:58 PM   #2
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

भारतीय फुटबाल टीम के लिए मिश्रित सफलता वाला रहा बीता साल



जीत से लेकर हार तक भारतीय फुटबाल ने बीते साल अच्छे, बुरे और खराब सारे पल देखे लेकिन इस साल की सबसे बड़ी सुर्खी जर्मनी के बावारियन क्षेत्र से एक मशहूर क्लब का भारत दौरा रही । भारत ने इस साल अपनी सरजमीं पर नेहरू कप में खिताबी जीत की हैट्रिक पूरी की । इसके बाद नेपाल में एएफसी चैलेंज कप में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा । ईस्ट बंगाल और मोहन बागान के बीच आई लीग के मैच में हुई हिंसा भी बीते साल भारतीय फुटबाल की शर्मनाक घटनाओं में से रही । इसके कारण मैच रद्द करना पड़ा जब मोहन बागान ने सुरक्षा कारणों से दूसरे हाफ में मैदान पर उतरने से इनकार कर दिया । मोहन बागान पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है लेकिन इस पर फैसला अभी नहीं लिया गया है । भारत की अंडर 22 टीम के एएफसी चैम्पियनशिप क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में प्रदर्शन को देखकर भविष्य उज्ज्वल लग रहा है । भारतीय टीम ने लेबनान और तुर्कमेनिस्तान को हराया जबकि संयुक्त अरब अमीरात से ड्रा खेला । सीनियर टीम के लिये शुरूआत अच्छी नहीं रही क्योंकि एएफसी टूर्नामेंट में उसने सारे मैच गंवाये । फीफा के अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना मैचों की कमी से भारत रैंकिंग में खिसककर 169वें स्थान पर पहुंच गया । अब भारतीय फुटबाल प्रशासकों को फीफा की तारीखों के भीतर अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने पर जोर देना चाहिये ताकि रैंकिंग में सुधार हो सके। नेहरू कप में मिली जीत प्रशंसनीय थी लेकिन इससे रैंकिंग में सुधार नहीं हुआ । मैच फीफा की तारीखों पर नहीं हुए थे और कैमरून ने दोयम दर्जे की टीम भेजी थी । खिलाडियों में सुनील छेत्री और सैयद रहीम नबी ने पूरे साल अच्छा प्रदर्शन किया । छेत्री ने पुर्तगाली क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन के साथ करार किया । इसी क्लब ने लुई फिगो, क्रिस्टियानो रोनाल्डो और नैनी जैसे खिलाड़ी दिये हैं। नबी को इस साल एआईएफएफ का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया । करीब एक साल बाद टीम में लौटे गोलकीपर सुब्रत पाल ने नेहरू कप में अच्छा प्रदर्शन किया । हालैंड के किम कोवेरमांस को कोच बनाना भी साल की बड़ी खबर रही । वह बाब हाटन के जाने के एक साल बाद भारतीय फुटबाल टीम के कोच बने हैं । फीफा ने भारत में फुटबाल को बढावा देने के लिये अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ के साथ करार किया जो एक सकारात्मक कदम रहा । एफआईएफएफ ने 2017 में अंडर 17 विश्व कप की मेजबानी की दावेदारी भी की । बायर्न म्युनिख टीम का भारत आना लंबे समय तक चर्चा का विषय रहा । जर्मनी का यह क्लब भारत के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया का आखिरी मैच खेलने जनवरी में भारत आया था ।
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Old 27-12-2012, 02:05 PM   #3
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

खुदरा क्षेत्र के लिए घटनाओं और विवाद से भरा रहा यह साल



देश में खुदरा व्यवसाय का क्षेत्र इस साल खूब चर्चा में रहा। बहु-ब्रांड कारोबार में विदेशी कंपनियों को प्रवेश देने के सरकार फैसले का खिलाफ की ओर से डट कर विरोध किए जाने से यह विषय एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया और इस पर संसद में मतदान तक कराया गया । भारत में बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में कदम रखने से पहले ही इस क्षेत्र की सबसे चर्चित और बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी वाल-मार्ट कई तरह के विवाद में उलझ गई है। इसमें एक विवाद यह है कि उसने अपने लिए भारत का बाजार खोलवाने के उद्येश्य से अमेरिकी सांसदों के बीच लाबिंग करने पर करोड़ो डालर खर्च किए। साल के दौरान इन घटनाक्रमों में स्वीडेन की फर्निचर श्रृंखला आईकिया का नाम भी जुड़ गया। कंपनी ने भारत में 10,500 करोड़ रुपए के निवेश के साथ यहां विभिन्न स्थानों पर अपने स्टोर स्थापित करने की योजना की घोषणा की । यह एकल ब्रांड खुदरा बाजार में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश होगा। इस बीच रीबॉक इंडिया के दो शीर्ष कार्यकारियों पर हिसाब किताब में 870 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी किए जाने का मामला भी सामने आया। कंपनी खिलाड़ियों के लिए जूते बनाती है। खुदरा क्षेत्र के लिए साल की शुरूआत फीकी रही क्योंकि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई मानदंडों में ढील देने का मामला 2011 में लटक गया था। कड़े राजनैतिक विरोध के बीच सरकार ने इस साल सितंबर में बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी लेकिन दुकानें खोलने की अनुमति देने के संंबंध में फैसला करने का अधिकार राज्यों पर छोड़ दिया। सरकार ने एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में निवेश 51 फीसद से बढाकर 100 फीसद करने की भी अनुमति दी। एकल ब्रांड कारोबार में स्थानीय इकाइयों उत्पाद खरीद की सीमा में भी हेर-फेर किया गया। 50 फीसद से अधिक एफडीआई के मद्देनजर उस नियम में भी बदलाव किया गया जिसके तहत विदेशी निवेशकों को अपनी 30 प्रतिशत खरीदारी स्थानीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) से करना अनिवार्य है। जो विदेशी निवेशक इस 30 प्रतिशत स्थानीय खरीदारी की शर्त से छूट चाहते हैं उन्हें भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित करना होगा। बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति हालांकि विपक्षी दलों और संप्रग के पूर्व सहयोगी तृणमूल को पसंद नहीं आई। तृणमूल ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई और डीजल की कीमत में बढोतरी के फैसले के बाद सरकार से समर्थन वापस ले लिया। बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही तब तक थमी रही जब तक सरकार इस मुद्दे पर मतदान के लिए सहमत नहीं हुई हालांकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के मतदान के बहिष्कार के कारण सरकार अपनी कोशिश में सफल रही। सरकार का जब लगा कि यह मामला निपट गया तो वाल-मार्ट का यह खुलासा सामने आया कि उसने अमेरिका में भारतीय बाजार में अपने बहुत बढाने के संबंध में पिछले चार वर्षों में करोड़ों डालर खर्च किये है । इसके कारख फिर गरमाए इस मुद्दे पर विपक्ष ने कई दिन संसद में हंगामा किया। वाल-मार्ट ने स्पष्टीकरण दिया है कि उसने भारत में किसी को रिश्वत नहीं दी है।
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

राजस्थान भाजपा के मतभेद सड़कों पर
कांग्रेस घर में ही उलझी रही




राजनीतिक गलियारों में आम तौर पर शान्ति प्रिय माने जाने वाले राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के आन्तरिक मतभेद खुलकर सड़कों पर नजर आये वहीं कांग्रेस में ‘नाराजगी भरे शब्दबाण’ घर में ही चले। अन्य राजनीतिक दलों में मनमुटाव सुनायी नहीं दिया। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरूण चतुर्वेदी और नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे के बीच चल रही कशमकश, पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया की यात्रा को लेकर राजे समर्थक विधायकों का शक्ति प्रदर्शन लक्ष्मण रेखा लांघकर कई दिनों तक सड़कों पर नजर आया। कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर अन्य विपक्षी दलों माकपा समेत अन्य दल जनता दल यू, बहुजन समाज पार्टी में पार्टी स्तर पर आरोप-प्रत्यारोप या नाराजगी के मुद्दे सुनाई नहीं दिये। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा ‘किसी विषय को लेकर एक दूसरे के बीच वैचारिक मतभेद हो सकते हैं वह भी बाहर नहीं जाने चाहिए। बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, पर यह प्रक्रिया समाप्त सी हो गई है। मतभेद सड़क पर आने से पार्टी का ही नुकसान होता है।’ पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया की मेवाड़ अंचल में प्रस्तावित यात्रा को रद्द करवाने के लिए नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों की चेतावनी से जनसंघ के जमाने से जुडे नेता और आलाकमान सकते में आ गये थे। भाजपा के दिग्गजों के हस्तक्षेप के बाद कटारिया ने पार्टी हित में अपनी प्रस्तावित यात्रा रदद् करने की घोषणा की। हांलाकि इस मुद्दे को लेकर पहले से दो खेमों में बंटी नजर आ रहीं पार्टी के दोनों धडे अलग अलग अवसरों पर एक दूसरे को ताल ठोंकते नजर आए। भाजपा का एक गुट आलाकमान से नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे को आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर चुनाव लड़ने की घोषणा और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने व्यक्ति को बैठाने को लेकर दवाब बनाए हुए है। दूसरी ओर पार्टी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडे पार्टीजन इसके विरोध में बताये जाते है। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में मुख्य सरकारी सचेतक डॉ. रघु शर्मा और सार्वजनिक निर्माण मंत्री भरत सिंह के बीच मनरेगा को लेकर आरोप प्रत्यारोप, विधायक कर्नल सोनाराम की पूरे समय अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी, प्रतिनिधि सम्मेलन में पूर्व विधायक संयम लोढा का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कथित आरोप, संसदीय सचिव राजेन्द्र सिंह विधूड़ी और कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों द्वारा दिल्ली दरबार में दौरे चर्चा में रहे। कांग्रेस के कुछ नाराज विधायक इच्छानुसार स्थानान्तरण नहीं होने, पार्टी में बाहर से आये विधायकों को लाल बत्ती देने को लेकर लामबंदी में व्यस्त हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक देखकर अपने पांव पीछे खीच लिए है। पार्टी के एक प्रदेश पदाधिकारी ने विधायकों की किसी तरह की नाराजगी से इंकार करते हुए कहा जिनके काम हो रहे हैं वे बोलते नहीं हैं। यदि किसी की शिकायत है तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। घर में ही लोग अपनी बात कह रहे हैं और सुझाव दे रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती जयपुर नगर निगम की महापौर ज्योति खंडेलवाल सरकार और संगठन के लिए परेशानी बनी रहीं। महापौर ने निगम के कार्यकारी अधिकारी एवं कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर हटाने की मांग को लेकर धरना तक दिया। महापौर ने कथित भ्रष्ट अधिकारियों की सूची उच्चतम न्यायालय भेजने का ऐलान कर संगठन और सरकार को सकते में डाल दिया।
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Old 27-12-2012, 02:59 PM   #5
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

प्राकृतिक आपदाओं ने नहीं बख्शा दुनिया के किसी भी हिस्से को



जाता हुआ वर्ष दुनियाभर में प्राकृतिक आपदाओं की सूरत में हजारों लोगों को उम्र भर रिसने वाला जख्म दे गया। 2012 के बारह महीनों में प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया के लगभग हर हिस्से में तबाही मचाई। कहीं धरती डोल गई तो कहीं बादल फटे। कुछ देशों ने भीषण तूफानों का प्रलंयकारी वेग झेला। खुद को महाशक्ति कहने वाले देश प्रकृति की एक करवट के सामने बेबस और बौने नजर आए। अमेरिका इस साल भीषण चक्रवाती तूफान सैंडी से दहल गया जिसने उसके पूर्वी तट पर जम कर कहर ढाया और 80 से अधिक लोगों की जान ले ली। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के पूर्वी तट पर यह सबसे भीषण तूफान था। तटीय क्षेत्रों में 13 फुट उंची लहरें उठी। अक्तूबर के आखिरी सप्ताह में आए इस तूफान की वजह से राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वन्द्वी मिट रोमनी को अपना चुनाव प्रचार रोकना पड़ा। तूफान के कारण अमेरिका में दो दिन शेयर बाजार बंद रहा। 1888 के बाद पहली बार न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज लगातार दो दिन बंद रहा। देश के 12 से ज्यादा राज्यों में आपात स्थिति की घोषणा कर दी गयी। नार्थ कैरोलीना और न्यू हैंपशायर से लेकर समूचे पूर्वी तट के करीब पांच करोड़ लोग प्रभावित हुए और 100 से अधिक की मौत हो गई।
'पायरेट्स आफ द कैरेबियन: डेड मैन चेस्ट' जैसी हालीवुड फिल्मों में दिखा प्रसिद्ध जहाज एचएमएस बाउंटी उत्तरी कैरोलिना तट पर आये भीषण तूफान सैंडी से उठी विशाल लहरों की भेंट चढ गया। एक ओर अमेरिका के पूर्वी तटों पर सैंडी का प्रकोप था वहीं अर्जेन्टीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में भी तूफान आया। इसी दौरान वियतनाम के उत्तरी हिस्से में तूफान 'सोन तिन' का असर एक सप्ताह तक रहा और 32 से अधिक लोगों की जान गई। दक्षिणी चीन तक इस तूफान ने असर दिखाया। श्रीलंका में तूफान की वजह से भारी वर्षा हुई और तेज हवा चली तथा 50 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हो गए। हैती भी सैंडी तूफान के कहर से नहीं बच पाया और कैरेबियाई क्षेत्र में करीब 71 लोगों की जान चली गई। यहां भी कई लोग लापता हुए। दिसंबर के पहले सप्ताह में फिलीपीन में तूफान 'बोफा' के कहर से करीब 500 से अधिक लोगों की मौत हो गई जबकि दक्षिणी फिलीपीन में चालीस हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। जुलाई के आखिर में और पूरे अगस्त फिलीपीन बाढ से जूझता रहा और बाढ की जद में राजधानी मनीला का आधा हिस्सा आ गया। फिलिपीन अगस्त में भी बाढ से दो चार हुआ और 23 लोगों की जान गई। अगस्त के शुरू में पूर्वी चीन के तटीय इलाकों में आए दो भीषण तूफानों और बारिश के कारण दस लाख से भी ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। भारी बारिश में चीन की महान दीवार का एक हिस्सा ढह गया।
वर्ष 2005 के बाद से आये अब तक के सबसे भयानक हैकू तूफान के कारण चीन के पूर्वी हिस्से में लाखों लोग विस्थापित हो गए। उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान में मार्च के शुरू में एक पूरा गांव हिमस्खलन के कारण बर्फ में दब गया और 47 लोगों की मौत हो गई। मार्च के ही शुरूआती सप्ताह में आॅस्ट्रेलिया के न्यूसाउथ वेल्स में बाढ ने तबाही मचाई। लगातार बारिश की वजह से पूर्वी राज्यों क्वींसलैंड, न्यू साउथवेल्स और विक्टोरिया में नदियों में बाढ आ गई। अमेरिका के पांच राज्यों ... अलबामा, जाजिर्या, इंडियाना, केंटकी और ओहायो में मार्च के पहले सप्ताह में तूफान आया और करीब 38 लोगों की मौत हो गई। जुलाई के आखिर तथा अगस्त के शुरू में उत्तर कोरिया के विभिन्न हिस्सों में आई बाढ में 169 लोगों की जान चली गई। मध्य सितंबर में दक्षिण अमेरिका के मध्यवर्ती क्षेत्र असनसियान में जबर्दस्त तूफान आने से पराग्वे में पांच लोगों की मृत्यु हो गई। एक ओर जहां प्राकृतिक आपदाएं विभिन्न देशों में कहर ढाती रहीं वहीं दूसरी ओर मौसम विज्ञानियों ने अमेरिका के कैलिफोनिर्या स्थित 'डेथ वैली' को विश्व के सबसे गर्म स्थान का दर्जा दे दिया। डेथ वैली में 10 जुलाई 1913 को 56.7 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था।
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

बिहार सरकार के लिए सिरदर्द बने रहे अनुबंधित शिक्षक, हिंसक प्रदर्शन



बिहार में जाते वर्ष में स्कूलों में नामांकन घोटाले के उजागर होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में विवादास्पद शुरुआत हुई और साल के उत्तरार्द्ध में मुख्यमंत्री की जनसभाओं के दौरान अनुबंधित शिक्षकों के हिंसक प्रदर्शन राज्य सरकार का सिरदर्द बने रहे, जबकि उच्चतर शिक्षा जगत में सूबे के लिए दो दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों का रास्ता साफ हुआ। पंचायत स्तर के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के अनुबंधित शिक्षकों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए आंदोलन की राह पकड़ी। अनुबंधित शिक्षकों ने खगड़िया और बेगूसराय में हिंसक प्रदर्शन किये, जबकि बेतिया, मधेपुरा, नवादा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिला स्तरीय अधिकार सम्मेलनों में काले झंडे दिखाये गए। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए चार नवंबर को पटना में अधिकार रैली से पूर्व इन शिक्षकों ने घेरा डाल दिया, जिसे पुलिस हस्तक्षेप के बाद समाप्त कराया जा सका। खगड़िया में शिक्षकों ने हिंसा और तोड़फोड़ की। मुख्यमंत्री ने जहां अनुबंधित शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों को समान वेतनमान देने में असमथर्ता जताई वहीं इसे राजनीतिक मुद्दे के रूप में हथियाते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपनी सरकार बनने पर शिक्षकों के स्थायीकरण और नियमित वेतनमान के आश्वासन का झुनझुना थमाया। शिक्षा विभाग के समीक्षा कार्यक्रम के तहत सरकारी, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में साढे तीन लाख से अधिक फर्जी नामांकन पकड़े गये। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर काफी हंगामा किया। वर्ष के मध्य में नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय अंतिम स्वरूप लेता नजर आया। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को विश्वविद्यालय का पहला कुलाधिपति नियुक्त किया गया। सेन ने कहा कि 2014 से विश्वविद्यालय के दो विद्यापीठों में पढाई शुरू होगी। जाते हुए वर्ष में मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी होती रही। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि गया में बिहार का केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित होगा। बाद में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने गया और मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी दे दी। किशनगंज में अलीगढ मुस्लिम केंद्रीय विश्वविद्यालय के अध्ययन केंद्र की स्थापना को लेकर बिहार सरकार द्वारा जमीन आवंटन के बावजूद अध्ययन केंद्र की स्थापना में जाते हुए वर्ष में कोई प्रगति नहीं दिखी। बिहार सरकार ने विश्वविद्यालय प्रशासन को दिसंबर 2011 में 224 एकड़ जमीन किशनगंज में हस्तांतरित की थी। बिहार सरकार ने राज्य के 2012-13 के 78686 करोड़ रुपये के बजट में शिक्षा के विकास के लिए 15054.24 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर कुलाधिपति कार्यालय और राज्य सरकार के बीच जाते हुए वर्ष में टकराव कम नहीं हुआ। वर्ष 2012 में कुलाधिपति सह राज्यपाल देवानंद कुंवर द्वारा नियुक्त आठ कुलपतियों की नियुक्तियां पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दी। विभिन्न जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के उल्लंघन के मामले में अदालत ने पहले दो और बाद में छह कुलपतियों की नियुक्तियों को निरस्त कर दिया। अदालत ने चार प्रति कुलपतियों की नियुक्तियां भी रद्द कर दीं। वर्ष के अंत में दिसंबर में बिहार के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक पटना विश्वविद्यालय में 28 वर्ष के अंतराल के बाद छात्रसंघ चुनाव हुए। 1984 के बाद पहली बार छात्रों के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए कालेज कैंपस में वोट डाले गये। लिंग्दोह समिति की सिफारिशों के आधार पर चुनाव कराकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इतिहास रचा। इससे राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में भी छात्र संघ चुनाव का रास्ता साफ हो गया।
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

किसी न किसी कारण से बरस भर होती रही असम की चर्चा



अंत के करीब पहुंच चुके वर्ष 2012 में असम में मूलनिवासी बोडो और प्रवासी अल्पसंख्यकों के बीच हुई भीषण हिंसा और छेड़छाड़ का एक मामला जहां राष्ट्रीय सुखिर्यां बना वहीं जानलेवा बाढ और नौका हादसे में 100 लोगों की मौत राज्य के लिए गहरा घाव बन गई। मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के लिए उनके कायर्काल का दूसरा वर्ष बहुत मुश्किल भरा रहा। जुलाई के आखिरी सप्ताह से चार बोडोलैंड भूभागीय प्रशासित जिलों (बीटीएडी) और धुबरी में हिंसा फैली। बोडो और अल्पसंख्यक प्रवासियों के बीच टकराव में करीब 110 लोगों की जान गई, सैकड़ों लोग विस्थापित हो गए और अगस्त तक चली हिंसा में 4.85 लाख से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में शरण लेना पड़ा। टकराव जमीन संबंधी मुद्दों को लेकर शुरू हुआ। बोडो लोगों ने कहा कि वह उस भूमि के मूल निवासी हैं और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी उनकी जमीन पर कब्जा कर बस गए। अल्पसंख्यकों ने दावा किया कि टकराव के पीछे, विघटित हो चुके बोडो लिबरेशन टाइगर्स के कैडरों का हाथ था।
जुलाई महीने में शहर की व्यस्ततम जी एस रोड पर स्थित एक बार के बाहर भीड़ ने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ की और टीवी के एक पत्रकार ने इसकी फिल्म बनाकर यू ट्यूब पर डाल दी जिससे खासा विवाद हुआ। घटना के सिलसिले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमें मुख्य आरोपी अमरज्योति कलीता और पत्रकार गौरवज्योति नियोग भी थे। कलीता और 10 अन्य को स्थानीय अदालत ने दोषी ठहराया और नियोग तथा तीन अन्य को बरी कर दिया। इस घटना के चलते कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का तबादला हुआ और टीवी चैनल के प्रधान संपादक तथा नियोग को संस्थान से इस्तीफा देना पड़ा। चैनल गोगोई मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री की पत्नी का था इसलिए मंत्री ने भी इस्तीफा दिया पर मुद्दा सुलझा लिया गया। राज्य में इस साल सर्वाधिक भीषण बाढ आई जिसमें 150 से अधिक लोगों की जान गई और 27 जिलों में से 25 जिलों की करीब 50 लाख की आबादी प्रभावित हुई। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों ने राज्य में तबाही मचा दी जिससे कई इलाके डूबे और फसल खराब हुई। बाढ का कहर इस साल तीन बार टूटा और दुनिया का सबसे बड़ा रिहायशी नदी द्वीप माजुली भी नहीं बच पाया। न केवल द्वीप पानी में डूबा बल्कि व्यापक स्तर पर भूमि का क्षरण भी हुआ।
काजीरंगा नेशनल पार्क का 90 फीसदी भाग बाढ के पानी में डूबा और यहां के रिकॉर्ड 631 पशु इस तबाही की भेंट चढ गए। एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रख्यात काजीरंगा नेशनल पार्क में शिकारियों ने इस साल 20 से अधिक हाथियों को उनके दांतों के लिए मार डाला। बाजार में हाथी दांत की कीमत 80 लाख रूपये से एक करोड़ रूपये तक है। गैंडों के शिकार के लिए राज्य के वन विभाग की खासी आलोचना हुई जिसके चलते वन मंत्री रॉकीबुल हुसैन ने पार्क के लिए मुख्य वन संरक्षक की नियुक्ति करने और वन गार्डों को एके 47 रायफलें देने सहित कई उपायों की घोषणा की। तीस अप्रैल को राज्य में करीब 300 यात्रियों को लेकर जा रही एक नौका तूफान में फंस कर बांग्लादेश की सीमा से लगे धुबरी जिले में ब्रह्मपुत्र नदी में डूब गई। तलाशी अभियान कई सप्ताह चला। इस आशंका के चलते बांग्लादेश सरकार से मदद मांगी गई कि शव पानी की धारा में बह कर पड़ोसी देश चले गए होंगे। लेकिन केवल 42 शव ही मिल सके। करीब 200 लोगों का पता नहीं चल पाया। तीन दशक से राज्य में चल रहा उग्रवाद इस साल धीमा रहा और उल्फा तथा एनडीएफबी के साथ वार्ता प्रक्रिया शुरू हुई। यह बात अलग है कि वार्ता में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो पाई।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

अपराध महाराष्ट्र : कसाब की फांसी और जंदल का प्रत्यर्पण 2012 की प्रमुख घटना रहीं



मुंबई आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को फांसी, उसके आका अबु जंदल का सउदी अरब से प्रत्यर्पण, पुणे में विस्फोट, फेसबुक पर डाली गई टिप्पणी को लेकर दो लड़कियों की गिरफ्तारी और आजाद मैदान में 11 अगस्त को हुयी हिंसा जैसी घटनाएं इस साल महाराष्ट्र में सुखिर्यों में रही। लश्कर ए तैय्यबा के आतंकवादी कसाब को पुणे में अत्यधिक सुरक्षा वाली यरवदा जेल में 21 नवंबर को गोपनीय तरीके से फांसी दे दी गयी। आजादी के बाद कसाब पहला विदेशी अभियुक्त है जिसे देश में फांसी दी गयी। कसाब को फांसी के पहले 26/11 मामले में एक बड़ी कामयाबी उस समय मिली थी जब सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जंदल को दिल्ली पुलिस द्वारा जून में प्रत्यर्पित किया गया। जंदल ने कसाब और अन्य हमलावरों को हिंदी सिखायी थी और उन्हें निशाना बनाए जाने वाले स्थानों की भौगोलिक स्थिति की जानकारी दी थी। जंदल के खिलाफ मामले को मजबूत बनाने वाले एक कदम में मुंबई की अपराध शाखा ने अगस्त में उसे आर्थर रोड जेल में कसाब के सामने बिठाकर पूछताछ की थी। कसाब ने जंदल की पूरे मामले के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पहचान की थी।
आतंकवाद से जुड़ी ही एक अन्य घटना में एक अगस्त को पुणे में कम तीव्रता वाले चार विस्फोट हुए। उस घटना में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के चार लोगों को पकड़ते हुए दावा किया कि इसी आतंकवादी गुट ने विस्फोटों की योजना बनायी थी। एक अन्य घटना में मुंबई पुलिस पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का 'दमन' करने का आरोप लगा जब दो लड़कियों को शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के निधन पर आयोजित बंद की आलोचना करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। शिवसेना के एक स्थानीय नेता ने लड़कियों के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद 19 नवंबर को दोनों लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस गिरफ्तारी की व्यापक आलोचना हुयी थी। इस मामले में जांच का आदेश दिया गया और दो पुलिस अधिकारियों ठाणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक रवीन्द्र सेनगांवकर तथा पालघर के वरिष्ठ पुलिस इन्स्पेक्टर श्रीकांत पिंगले को निलंबित कर दिया गया। दोनों लड़कियों पर लगाए गए आरोप हटा दिए गए। एक अन्य विवादास्पद घटना 11 अगस्त को हुयी जब असम और म्यामां में मुस्लिमों पर हमले के विरोध में आजाद मैदान में एक रैली आयोजित की गयी। लेकिन रैली में हिंसा हुई, पुलिस पर हमला किया गया और मीडियाकमिर्यों तथा वाहनों को निशाना बनाया गया। हिंसा में दो लोगों की मौत हो गयी।
इस घटना के बाद मुंबई पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक का तबादला कर दिया गया। उन पर आरोप था कि वह आजाद मैदान की घटना से सही तरीके से निबटने में नाकाम रहे। उसके बाद प्रोन्नति देते हुए उन्हें महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम का महानिदेशक बना दिया गया। इस मामले में रैली के आयोजक एवं मदीना-तुल-इल्म के मौलाना अहमद रजा सहित 64 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनमें से एक किशोर था। पांच को निर्दोष पाए जाने के बाद रिहा कर दिया गया। 45 लोगों को जमानत मिल गयी। पुलिस ने फरवरी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुंबई कांग्रेस के पूर्व प्रमुख कृपाशंकर सिंह के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के आरोप में एक मामला दर्ज किया। एक अन्य बड़े मामले में पुलिस ने मई में जुहू में एक होटल में छापा मारा और 90 लोगों को हिरासत में लिया। इनमें आईपीएल के दो खिलाडी दक्षिण अफ्रीका के वायने पारनेल और राहुल शर्मा भी थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि पार्टी में ड्रग का इस्तेमाल किया जा रहा था। उनके मूत्र और रक्त के नमूने लिए जाने के बाद उन्हें छोड दिया गया था। प्रख्यात गायिका आशा भोसले की पुत्री वर्षा भोंसले की आत्महत्या का मामला भी इस साल सुखिर्यों में रहा। 56 साल की वर्षा का शव घर में ही सोफे पर मिला और सर पर गोली का घाव था। पुलिस के अनुसार, आत्महत्या के लिए जिस पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया वह उनकी मां आशा भोंसले की थी और करीब तीन दशक पहले ही वह खो गयी थी।
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

विश्व मंच ने इस साल भी माना भारतीय मेधा का लोहा



वैश्विक विकास में भारतीयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस साल भी दुनिया के अलग अलग हिस्सों में भारतीयों ने अपनी मेधा का परचम लहराया। भारत की ओर से नामित न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी अप्रैल में भारी बहुमत से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के न्यायाधीश के तौर पर निर्वाचित किए गए। संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद दोनों स्थानों पर 64 वर्षीय न्यायमूर्ति भंडारी ने फिलीपीन के फलोरेंतिनो फेलिसिआनो को मात दी। महासभा में उन्होंने 122 और सुरक्षा परिषद में 15 में से 13 मत हासिल किए। इसी माह भारतीय मूल के उद्यमी और शिक्षाविद सनी वर्के को संयुक्त राष्ट्र की शैक्षिक एवं सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को का सद्भावना दूत नियुक्त किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में वर्के के अहम योगदान के मद्देनजर उन्हें यूनेस्को का सद्भावना दूत नियुक्त किया गया। भारतीय प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बिनाय जॉब को मार्च में वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम ने ‘यंग ग्लोबल लीडर’ पुरस्कार प्रदान किया। सामाजिक बदलाव में मीडिया के इस्तेमाल में बिनाय की भूमिका को देखते हुए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। पंजाब विधान सभा के अध्यक्ष डा. चरणजीत अटवाल को अपने राज्य में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिये एशियन गिल्ड्स के ‘विशेष अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ’ से सम्मानित किया गया। एशियन गिल्ड के अध्यक्ष लार्ड तरसेम किंग ने लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष अटवाल को नवंबर के पहले सप्ताह में लंदन स्थित हाउस आफ लार्ड्स में एशियन गिल्ड एन्युअल अवार्ड्स डिनर 2012 में सम्मानित किया।
नवंबर के ही पहले सप्ताह में उपन्यासकार किरण नागरकर और उद्योगपति बाबासाहब कल्याणी को भारत-जर्मनी के रिश्तों में उनके योगदान के लिए जर्मनी के ‘क्रॉस आफ द आर्डर आफ मेरिट’ के प्रतिष्ठित ‘बुंदेस्वरदीनस्तक्रूज’ पुरस्कार से नवाजा गया। बाबासाहब कल्याणी भारत के सफल उद्यमी हैं जिनका जर्मनी से गहरा रिश्ता रहा है वहीं नागरकर जर्मनी में भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय लेखक हैं। गरीब बच्चों को आईआईटी जेईई की तैयारी कराने वाले गणितज्ञ आनंद कुमार द्वारा स्थापित संस्था सुपर 30 की ख्याति सुनकर लंदन की प्रख्यात फोटोग्राफर ओलिविया आर्थर नवंबर के दूसरे सप्ताह में पटना पहुंचीं और संस्थान तथा उसके विद्यार्थियों के जीवन के विविध रंगों को अपने कैमरे में कैद किया। लंदन के रॉयल फोटोग्राफिक सोसायटी के ओडेन पुरस्कार और पेरिस की सोसाइटी से सम्मानित ओलिविया ने इससे पहले भी भारत के विषयों के अलावा सउदी अरब की परदा नशीं महिलाओं सहित अन्य विषयों के चित्र उतारे हैं। सुपर 30 में उन्होंने गरीब और मेधा के सशक्तिकरण का एक सफल प्रयोग देखा। अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अपनी तस्वीर लगाने वाली ओलिविया की प्रदर्शनी का अगला विषय सुपर 30 है। भारतीय मूल के जीव वैज्ञानिक डॉक्टर कमल बावा को वैश्विक सतत विकास की दिशा में विज्ञान के क्षेत्र में किए गए उनके श्रेष्ठ कार्य के लिए रॉयल नार्वियन सोसायटी आफ साइंसेज एंड लेटर्स (डीकेएनवीएस) की ओर से 17 अप्रैल को ‘जनरस सस्टेनेबिलिटी अवार्ड’ दिया गया। ‘जनरस सस्टेनेबिलिटी अवार्ड’ विज्ञान के क्षेत्र में दिया जाने वाला पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है।
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में एशिया के योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रवासी भारतीय कारोबारी तेज लालवानी को 2012 के ‘युवा उद्यमी पुरस्कार’ के लिए चुना गया। लालवानी वीटाबायोटिक्स के वैश्विक परिचालन के उपाध्यक्ष हैं और उन्होंने अपने पिता कर्तार लालवानी की उपलब्धियों में चार चांद लगाया। कभी मलिन बस्ती में रहने वाले और अब चेन्नई में खाद्यान्न उद्योग संभालने वाले सरत बाबू इलूमलाई उन तीन युवाओं में शामिल थे जिन्हें विश्वबैंक के वार्षिक कार्यक्रम ग्लोबल यूथ कांफे्रेंस के लिये विश्वभर से आमंत्रित किया गया। सम्मेलन की विषयवस्तु ‘यूथ अनएंप्लायमेंट : एंपावरिंग सोल्यूशन थ्रू इनोवेशन एंड इन्क्लूजन’ थी। अमेरिका में रहने वाले भारतीय शेफ विकास खन्ना की रसोई पर लिखी किताब ‘फ्लेवर्स फर्स्ट : एन इंडियन शेफ्स कुजीनरी जर्नी’ को महत्वपूर्ण बेंजामिन फ्रेंकलिन पुरस्कार प्रदान किया गया। ‘फ्लेवर फर्स्ट’ में खन्ना के शेफ बनने की दास्तान है और इसमें हाथ से बनी रोटी, विभिन्न किस्म की चटनी, ठंडे पेय पदार्थ आदि भारतीय व्यंजनों का जिक्र है। रंगभेद की नीति का विरोध करने वाले भारतीय मूल के अहमद कर्थडा को जोहान्सबर्ग शहर के सर्वोच्च सम्मान ‘फ्रीडम आफ द सिटी’ से नवाजा गया। सालों तक जेल में कैद रहे अहमद कर्थडा नेल्सन मंडेला के बाद पांचवे व्यक्ति हैं जिन्हें यह सम्मान दिया गया है। भारतीय अर्थशास्त्री तथा 1998 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक अ*ोबामा ने फरवरी में व्हाइट हाउस में एक शानदार समारोह में ‘नेशनल मेडल्स आफ आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज’ पुरस्कार से सम्मानित किया।
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Old 27-12-2012, 03:35 PM   #10
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Default Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया

राजस्थान में इस वर्ष भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसा
लेकिन लोकायुक्त की खाली कुर्सी ने सरकार की नीयत पर खड़े किए सवाल



राजस्थान सरकार ने भ्रष्ट तरीकों से सम्पति अर्जित करने वालों की सम्पति कुर्क कर उसको सार्वजनिक कार्यों के उपयोग में लेने और जनप्रतिनिधियों व आला अधिकारियों की सम्पति की घोषणा का फैसला कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की अच्छी पहल की, लेकिन राज्य का लोकायुक्त का पद छह महीने से अधिक समय से रिक्त होने के कारण शिकायतों की फाइलें बढती जा रही हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुसार राजस्थान विशेष न्यायालय विधेयक 2012 को राष्ट्रपति की अनुमति मिलने से भ्रष्ट तरीके से सम्पति अर्जित करने वाले लोकसेवकों की जांच के लिए विशेष न्यायालय सुनवाई कर तय समय में फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि आय से अधिक सम्पति के आरोप साबित होने पर लोकसेवकों की सम्पति कुर्क कर उस सम्पति का उपयोग अस्पताल, स्कूल आदि खोलने में किया जा सकेगा। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य के अनेक मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप है इनमें से कुछ ने पद छोड़ दिए हैं। न्यायालय ने भी प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर समय समय पर प्रतिकूल टिप्पणी की है। सरकार को जवाब देना चाहिए। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा चन्द्रभान ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा ै पूर्व वंसुधरा राजे सरकार के कायर्काल में हुआ भ्रष्टाचार प्रदेशवासियों की जुबान पर है, आमेर की हवेलियां, राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी के कार्यकलापों पर निगाह डालें तो उनको खुद ब खुद जवाब मिल जाएगा।
राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिरीक्षक उमेश मिश्रा के अनुसार, 'राज्य में भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कारर्वाई करते हुए अगस्त 2012 तक तीन सौ 84 मामले दर्ज किये गये हैं। यह मामले पिछले वर्षो में दर्ज मुकदमों से अधिक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में चार सौ सात और वर्ष 2011 में पांच सौ सोलह मुकदमे दर्ज किए गये, जो पूरे भारत में दर्ज भ्रष्टाचार के प्रकरणों में सर्वाधिक हैं।' उन्होंने कहा, 'संस्थागत स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार पर नकेल कसते हुए ब्यूरो ने बिना पूर्ण प्रशिक्षण के व्यावसायिक पायलट लाइसेंस देने के मामले का पर्दाफाश कर फर्जी उड़ान के आंकडे तैयार करने के आरोप में राजस्थान पायलट स्कूल के मुख्य प्रशिक्षक समेत कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया। इसके उपरान्त दिल्ली पुलिस द्वारा की गई कायर्वाही में कई फर्जी पायलट पकडे गए।' राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के वरिष्ठतम अधिकारी ने कहा, 'ब्यूरो ने केवल कमर्चारियों एवं अधिकारियों को ही नहीं बल्कि भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारियों को भी रिश्वत लेते हुए गिरफतार किया है।'
अधिकारी ने कहा कि ब्यूरो ने अगस्त 2012 तक तीन आईएएस और तीन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक सम्पति के मामले दर्ज किए। उन्होंने बताया कि राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ अगस्त 2012 तक एक सौ चार मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं जबकि वर्ष 2010 में इस तरह के एक सौ इक्यावन और वर्ष 2011 में दो सौ छब्बीस मुकदमे दर्ज हुए थे। भ्रष्ट तरीके से सम्पति अर्जित करने वाले लोकसेवकों के खिलाफ राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो लगातार कायर्वाही कर रहा है। लेकिन राजस्थान लोकायुक्त कार्यालय पिछले पांच महीने से निस्तेज पड़ा है। लोकायुक्त कार्यालय इन दिनों सूना पड़ा है। लोकायुक्त, सचिव, उप सचिव सभी पद रिक्त है। इंतहा तो यह है कि लोकायुक्त कार्यालय के बारे में अधिकारिक तौर पर उत्तर देने वाला कोई नहीं है। लोकायुक्त कार्यालय के अनुसार, हर रोज पांच से छह शिकायते आ रही है, लेकिन इनका निस्तारण करने वाला कोई नहीं है क्योंकि अधिकांश पद खाली पड़े हैं। जब उनसे कुल शिकायतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई कुछ नहीं बता सकता क्योंकि अधिकांश पद रिक्त हैं।
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