04-05-2013, 08:02 PM | #15 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99 |
Re: एक थी तात्री
देश के मातृसत्ता वाले राज्यों का सच
हमारे राष्ट्र के अधिकतर प्रान्तों में कुटुंब का मुखिया पुरुष ही होता है. पुरुष के नाम से ही वंश चलता है. पैतृक संपत्ति पर अधिकतर, परिवार के बेटों का ही कब्जा होता है. बेटियाँ तो दहेज़ की एकमुश्त रकम देकर विदा कर दी जाती हैं. फिर तो उनका पारिवारिक व्यवसाय, जमीन और जायदाद आदि से कोई वास्ता नहीं रह जाता. कहीं कहीं अपवाद भी हो सकते हैं; पर समाज की मानसिकता और प्रतिबद्धता, इसी मान्यता को पुष्ट करती है. आज मैं, देश के दो ऐसे प्रमुख राज्यों की चर्चा करना चाहूंगा जहां ‘कथित’ तौर पर मातृसत्ता का बोलबाला है. ये हैं केरल और मेघालय. पिछले सत्रह सालों से केरल में हूँ. यहाँ का समाज कुछ मामलों में बहुत उन्नत है. लोग अपेक्षाकृत ईमानदार और योजनाबद्ध तरीके से काम करने वाले हैं. जहां तक मातृसत्ता का सवाल है; सामाजिक जीवन के कुछ पहलुओं में यह अवश्य झलकती है. यथा- परिवार में कन्या शिशु का जन्म शुभ माना जाता है, स्त्रियों को शिक्षा एवं विकास के समान अवसर प्रदान किये जाते हैं. दहेज़- हत्याएं अथवा उत्पीडन सुनने में नहीं आते. माता- पिता विवाहित बेटी के घर भी, निःसंकोच होकर रह सकते हैं. पर इस मातृसत्ता की पृष्ठभूमि में, अतीत का एक काला चेहरा भी है, जो कईयों ने नहीं देखा.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
Bookmarks |
|
|