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Old 14-10-2014, 12:22 AM   #1
soni pushpa
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Default अधिकार और कर्त्तव्य

दोस्तों अब आपके समक्ष एक सूत्र रख रही हूँ क्यूंकि जीवन में कई बार eise मौके आते हैं जब हम खुद भ्रमित हो जाते हैं की किसे अधिकार कहें या किसे कर्त्तव्य कहें.

आप सब आपने अपने मंतव्य देने की कृपा करेंगे ? मै बहुत अभारी रहूंगी आप सबकी आप सब पहले अपने अपने मंतव्य दीजिये और स सूत्र को आगे बढाइये जिससे हर जगह अपना अधिकार समझने वालो को अपने कर्त्तव्य समझ में आये ,
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Old 14-10-2014, 08:41 PM   #2
Rajat Vynar
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Talking Re: अधिकार और कर्त्तव्य

सोनी पुष्पा जी, आपने ‘अधिकार और कर्तव्य’ के बारे में एक बहुत अच्छा सूत्र प्रस्तुत किया है, आपने अधिकार और कर्तव्य- इन दोनों शब्दों को एक दूसरे से अलग समझ लिया, सोनी पुष्पा जी? कुछ लोग अधिकार और कर्तव्य को एक दूसरे से पृथक समझते हैं जबकि ये शब्द एक दूसरे के पूरक हैं. जब आपको कहीं से कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं तो उन अधिकारों का पालन करना ही कर्तव्य होता है. जब आप अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि आपने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया. इसे एक सरल और सुबोध उदाहरण द्वारा समझते हैं- जब एक लड़का और लड़की आपस में प्रेम करते है तो उन्हें इस बात का अधिकार (Rights) मिल जाता है कि एक दूसरे को प्रेम-पत्र लिख सकें, आपस में फोन पर बात कर सकें और एक दूसरे को सन्देश भेज सकें. किन्हीं कारणवश लड़की अपने प्रेमी से सम्बन्ध तोड़ना चाहती है. इन परिस्थितियों में अपने लिखे प्रेम-पत्रों को अपने प्रेमी से वापस पाना उसका अधिकार (Rights) है, क्योंकि वह पत्र उसने ही लिखे थे और जब उसने सम्बन्ध तोड़ दिया तो प्रेमी का उन पत्रों से अधिकार भी समाप्त हो गया. अतः अब प्रेमी का कर्तव्य (Duty) है कि माँगे जाने पर उन पत्रों को अपनी प्रेमिका के हवाले कर दे. अब बात करते हैं अधिकारों के दुरुपयोग की- अधिकारों का दुरुपयोग उसे कहते हैं जब प्रेमी उन पत्रों को वापस न करके अपनी प्रेमिका को ब्लैक मेल करने लगे और यह अत्यन्त निकृष्ट कार्य है. एक निकृष्ट कार्य करने से अच्छा है कि पत्रों को वापस करके एक गीत गाया जाए-
दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये..
दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये..

जाते जाते ये तो बता जा
हम जियेंगे किसके लिये
दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये

चांद भी होगा, तारे भी होंगे
दूर चमन में प्यारे भी होंगे
लेकिन हमारा दिल न लगेगा
भीगेगी जब जब रात सुहानी
आग लगाएगी ऋतु मस्तानी
तू ही बता कोई कैसे जियेगा
दिल के मारों को दिल के मालिक
ठोकर लगा के चल दिये

दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये..
दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये..

रूठे रहेंगे आप जो हमसे
मर जाएंगे हम भी कसम से
सुनले हाथ छुड़ाने से पहले
जान हमारी नाम पे तेरी
जाएगी जिस दिन दिलबर मेरी
सोच समझ ले जाने से पहले
यूं अगर तुम दिल की तमन्ना
को मिटा के चल दिये

दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये..
दिल के टुकड़े टुकड़े करके
मुस्कुराते चल दिये..
अभी-अभी एक लव स्टोरी का हाहाकारी denouement खोपड़ी में घुसा- प्रेमिका प्रेमी से लव लेटर माँगने आती है. इसे प्रेमी अपना अपमान समझता है, क्योंकि प्रेमिका को उसके ऊपर विश्वास नहीं है. वह शर्म के मारे प्रेम-पत्रों के साथ-साथ अपने ऊपर भी पेट्रोल डालकर आग लगाकर मर जाता है. उपन्यास के पाठकों को ऐसा लगेगा जैसे उपन्यासकार ‘रानू’ ने फिर से जिन्दा होकर लिखा और यदि यही फिल्म में आया तो लोग कई हफ्ते तक सुबक-सुबककर रोते रहेंगे! आशा है कि अब आपको अधिकार और कर्तव्य क्या है- भली-भाँति समझ में आ गया होगा. वैसे सोनी पुष्पा जी, इतने कठिन विषय को पाठकों के सम्मुख न रखा करिये. हलके-फुल्के विषय पाठक अधिक पसन्द करते हैं. जैसे- किसी हिंदी फिल्म का गीत लिख दिया और फिल्म का नाम पूछ लिया. अब नीचे लिखे गीत को पढकर फिल्म का नाम बताइए-
‘ओ मारिया, ओ मारिया, ओ मारिया, हो.. हो..
ओ मारिया, ओ मारिया, ओ मारिया, हो.. हो..
अरे जानी जब बोला था तुझसे..
शादी करेगी मुझसे..
कैसे कहा था ये बता..
ओ मारिया, ओ मारिया, ओ मारिया, हो.. हो..
ओ मारिया, ओ मारिया, ओ मारिया, हो.. हो..
शोला सा तन-मन में इक भड़का तो होगा..
जानी की बातों से दिल धड़का तो होगा..
सुन के वो बातें क्या तू चुप हो ली थी..
मम्मी से पूछूंगी क्या ऐसा बोली थी..
ओ मारिया, ओ मारिया, ओ मारिया, हो.. हो..
ओ मारिया, ओ मारिया, ओ मारिया, हो.. हो..’
__________________
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Last edited by Rajat Vynar; 18-10-2014 at 09:04 AM.
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Old 14-10-2014, 10:55 PM   #3
rajnish manga
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Default Re: अधिकार और कर्त्तव्य

सबसे पहले मैं पुष्पा सोनी जी को इस महत्वपूर्ण टॉपिक को फोरम पर विचार विमर्श के लिये प्रस्तुत करने के लिये बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ. यह टॉपिक ऐसा है जो हर व्यक्ति से कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है और कभी न कभी हम परस्पर अपनी बातचीत में कर्तव्य और अधिकार के सन्दर्भ में विचार विमर्श अवश्य करते हैं: सहपाठियों के साथ, मित्रों के साथ या कलीग्स के साथ या घर में. आइये इस बारे में आगे बढ़ते हैं.

समाज में विद्यमान सभी इकाइयों यथा परिवार, कार्यालय, समाज, राज्य आदि के कामकाज को सुचारू रूप से चलाते रहने के लिये उनकी संरचनात्मक मजबूती को बढ़ाने के लिये कुछ नियम बनाए जाते हैं इसी प्रकार हमें समाज तथा संविधान ने कुछ अधिकार प्रदान किये हैं. कुछ अधिकार हमें कानूनन प्राप्त हैं जिनका पालन करना हम सब का कर्तव्य है. कुछ कर्तव्य सामाजिक प्रकृति के होते हैं और कुछ कानूनी. यह कर्तव्य और अधिकार इस लिए प्रदान किये जाते हैं कि कोई व्यक्ति अपने किसी क्रिया कलाप से किसी दूसरे व्यक्ति को चोट या हानि न पहुंचा सके. दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसा कह सकते हैं कि कोई व्यक्ति अपने काम से किसी दूसरे व्यक्ति अथवा समाज की किसी अन्य इकाई के अधिकारों को चोट न पहुंचा सके या उन्हें न छीन सके.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)

Last edited by rajnish manga; 16-10-2014 at 08:49 AM.
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Old 14-10-2014, 10:59 PM   #4
rajnish manga
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Default Re: अधिकार और कर्त्तव्य

मेरे विचार से जहाँ हम कुछ अधिकारों से लैस किये गए हैं वहीँ हम पर कुछ कर्तव्यों की अनुपालना करना भी आवश्यक बना दिया गया है.

सबसे छोटी इकाई ‘घर’ से शुरू करें. हम देखते हैं कि घर में हर छोटे सदस्य का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने से बड़े सदस्य का (मन, वचन व कर्म से) आदर करे. बड़ों (जैसे माता-पिता) का कर्तव्य है कि छोटों की भावनात्मक व शारीरिक सुरक्षा का ध्यान रखें, पालन पोषण व शिक्षा की उचित व्यवस्था प्रदान करें, पड़ौस की बात करें तो हर पड़ौसी का यह कर्तव्य है कि वह दूसरे पड़ौसी का आदर करे और उसको नुक्सान न पहुंचाये. इस प्रकार हम देखते हैं कि एक व्यक्ति का कर्तव्य प्रकारांतर से दूसरे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करना ही है. अतः अधिकार और कर्तव्य वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. लोकतंत्र की सबसे अच्छी बात यह मानी जाती है यहाँ हर व्यक्ति को उन्नति के समान अवसर हासिल हैं मगर शर्त यह है कि आपकी उन्नति से किसी अन्य व्यक्ति या तबके की उन्नति या विकास अवरुद्ध न हो अर्थात अपने अधिकार का उपयोग करते समय आपका कर्तव्य बनता है कि दूसरे व्यक्ति के अधिकार की भी रक्षा करें.

संविधान द्वारा हमें समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध प्रतिकार का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, शिक्षा तथा संस्कृति का अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार आदि अनेकों अधिकार दिये गए है. इसी प्रकार अनुच्छेद 51 (क) द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्तव्य भी तय किये गए हैं जिनका पालन करना राज्य व समाज की बेहतरी के लिए आवश्यक है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
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Last edited by rajnish manga; 14-10-2014 at 11:07 PM.
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Old 14-10-2014, 11:43 PM   #5
Pavitra
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Default Re: अधिकार और कर्त्तव्य

सोनी पुष्पा जी इस रोचक विषय के लिए पहले तो आपको बधाई देती हूँ।

अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे के पूरक हैं , किसी दूसरे का कर्तव्य किसी और का अधिकार हो सकता है। जैसे माता-पिता का कर्तव्य है कि वो अपनी संतान को शिक्षा , प्रेम , सुरक्षा प्रदान करें वहीँ दूसरी ओर प्रत्येक संतान का अधिकार है कि उसको अपने माता-पिता का प्रेम मिले , शिक्षा और सुरक्षा मिले। संतान का कर्तव्य है कि वो अपने माता-पिता की सेवा करे , उनकी वृद्धावस्था में उनका ख्याल रखे , वहीँ दूसरी ओर माता-पिता का अधिकार है कि जिस संतान के लिए उन्होंने इतना किया आज वो संतान उनकी ज़रूरत के समय उनके लिए खड़ी हो।
देश की सरकार का कर्तव्य है कि वो देश की बेहतरी के लिए निर्णय ले और देश हित में कार्य करे वहीँ दूसरी ओर देशवासियों का अधिकार है की सरकार उनके हित के लिए कार्य करे। देशवासियों का कर्तव्य है कि वो सरकार को सहयोग दे , नियमों का पालन करे वहीँ दूसरी ओर सरकार का अधिकार है की उसे जनता का सहयोग मिले , देखिये तभी सरकार नियमों का पालन ना करने पर जुर्माना भी लगाती है , अगर अधिकार न होता तो जुर्माना क्यों लगाती ?
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Old 15-10-2014, 10:03 PM   #6
soni pushpa
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Default Re: अधिकार और कर्त्तव्य

धन्यवाद रजत जी , जी आपकी बात समझ आइ पर कुछ कुछ ... अगर सच कहू तो मेरा अधिकार और कर्त्तव्य का विषय इस टाइप से नही था ,मै समाज के लोगो के बिच के अधिकार और कर्त्तव्य के बारे में जैसे की सरकार और प्रजा के , bhai bhai के , माँ बाप और संतानों के अधिकार और कर्त्तव्य के बारे में बात करना चाहा था किन्तु आपने इसे एक nai दिशा की तरफ मोड़ा जो की ठीक है .. क्यूंकि हरेक इन्सान समाज का ही एक अंग है जिसमे प्रेम करने वाले भी आते है आखिर वो भी इन्सान हैं . ....
और हाँ हरेक बार आप नए गीत लिखते हो जो की फ़िल्मी होते है और एस बारे में आपको बता दूँ मुझे ये फ़िल्मी चर्चा भारी भरकम लगेगी क्यूंकि इस बारे में मेरा ज्ञान बहुत सिमित है .

Last edited by soni pushpa; 15-10-2014 at 11:34 PM.
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Old 15-10-2014, 11:25 PM   #7
soni pushpa
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Default Re: अधिकार और कर्त्तव्य

Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post
मेरे विचार से जहाँ हम कुछ अधिकारों से लैस किये गए हैं वहीँ हम पर कुछ कर्तव्यों की अनुपालना करना भी आवश्यक बना दिया गया है.

सबसे छोटी इकाई ‘घर’ से शुरू करें. हम देखते हैं कि घर में हर छोटे सदस्य का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने से बड़े सदस्य का (मन, वचन व कर्म से) आदर करे. बड़ों (जैसे माता-पिता) का कर्तव्य है कि छोटों की भावनात्मक व शारीरिक सुरक्षा का ध्यान रखें, पालन पोषण व शिक्षा की उचित व्यवस्था प्रदान करें, पड़ौस की बात करें तो हर पड़ौसी का यह कर्तव्य है कि वह दूसरे पड़ौसी का आदर करे और उसको नुक्सान न पहुंचाये. इस प्रकार हम देखते हैं कि एक व्यक्ति का कर्तव्य प्रकारांतर से दूसरे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करना ही है. अतः अधिकार और कर्तव्य वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. लोकतंत्र की सबसे अच्छी बात यह मानी जाती है यहाँ हर व्यक्ति को उन्नति के समान अवसर हासिल हैं मगर शर्त यह है कि आपकी उन्नति से किसी अन्य व्यक्ति या तबके की उन्नति या विकास अवरुद्ध न हो अर्थात अपने अधिकार का उपयोग करते समय आपका कर्तव्य बनता है कि दूसरे व्यक्ति के अधिकार की भी रक्षा करें.

संविधान द्वारा हमें समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध प्रतिकार का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, शिक्षा तथा संस्कृति का अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार आदि अनेकों अधिकार दिये गए है. इसी प्रकार अनुच्छेद 51 (क) द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्तव्य भी तय किये गए हैं जिनका पालन करना राज्य व समाज की बेहतरी के लिए आवश्यक है.
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी , आपने विस्तार पूर्वक हमे अधिकार और कर्तव्यों के बारे में समझाया ... सच बहुत ही सही कहा आपने की हरेक इन्सान कहीं न कहीं इनसे जुड़ा है क्यूंकि जहा अधिकार मिलते हैं वह अपने आप हमरे भी कुछ कर्त्तव्य बन ही जाते है जिसे हमे निभाना चाहिए .
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Old 15-10-2014, 11:30 PM   #8
soni pushpa
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Default Re: अधिकार और कर्त्तव्य

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Originally Posted by Pavitra View Post
सोनी पुष्पा जी इस रोचक विषय के लिए पहले तो आपको बधाई देती हूँ।

अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे के पूरक हैं , किसी दूसरे का कर्तव्य किसी और का अधिकार हो सकता है। जैसे माता-पिता का कर्तव्य है कि वो अपनी संतान को शिक्षा , प्रेम , सुरक्षा प्रदान करें वहीँ दूसरी ओर प्रत्येक संतान का अधिकार है कि उसको अपने माता-पिता का प्रेम मिले , शिक्षा और सुरक्षा मिले। संतान का कर्तव्य है कि वो अपने माता-पिता की सेवा करे , उनकी वृद्धावस्था में उनका ख्याल रखे , वहीँ दूसरी ओर माता-पिता का अधिकार है कि जिस संतान के लिए उन्होंने इतना किया आज वो संतान उनकी ज़रूरत के समय उनके लिए खड़ी हो।
देश की सरकार का कर्तव्य है कि वो देश की बेहतरी के लिए निर्णय ले और देश हित में कार्य करे वहीँ दूसरी ओर देशवासियों का अधिकार है की सरकार उनके हित के लिए कार्य करे। देशवासियों का कर्तव्य है कि वो सरकार को सहयोग दे , नियमों का पालन करे वहीँ दूसरी ओर सरकार का अधिकार है की उसे जनता का सहयोग मिले , देखिये तभी सरकार नियमों का पालन ना करने पर जुर्माना भी लगाती है , अगर अधिकार न होता तो जुर्माना क्यों लगाती ?
बहुत बहुत धन्यवाद पवित्रा जी आपको ये विषय पसंद आया? मुझे तो किसी ने कहा की ये विषय बहुत भारी भरकम है पर चलो आपको पसंद आया याने इतना भी भारी भरकम नही ये विषय ... मै आपके लिखे हरेक शब्द को मानती हूँ क्यूंकि मेरी समझ के अनुसार आपने जो कहा वो सही है ...
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Old 16-10-2014, 10:13 AM   #9
Rajat Vynar
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Talking Re: अधिकार और कर्त्तव्य

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Originally Posted by soni pushpa View Post
में आपको बता दूँ मुझे ये फ़िल्मी चर्चा भारी भरकम लगेगी क्यूंकि इस बारे में मेरा ज्ञान बहुत सिमित है .


ता है, पता है.. आपका और पवित्रा जी का फिल्मी ज्ञान इतना सीमित है कि पवित्रा जी से तो मुझे चिढ़ सी हो गयी है और आपसे तो जिंदगी भर नफरत करने का मन करता है, लेकिन एक आप हैं कि नफरत करने का मौका ही नहीं देतीं. फिल्मी ज्ञान का इतना सीमित होना कोई अच्छी बात नहीं. ‘फिल्मेरिया’ नाम का भयानक वायरस कभी भी पकड़ सकता है. इस बीमारी में इंसान २४ घंटा सिर्फ फिल्म ही देखता रहता है, कल्पनालोक में फिल्मी लोगों से इंटरव्यू लेता रहता है और कल्पनालोक में राष्ट्रपति अवार्ड लेता रहता है. आप दोनों को यह खतरनाक बीमारी पकड़ न ले, इसलिए जब-तब थोडा बहुत फिल्मी ज्ञान बाँटता रहता हूँ. आप दोनों लोगों को तो मुझे धन्यवाद देना चाहिए, क्योंकि मैं आप दोनों को फिल्मी ज्ञान देकर इतनी खतरनाक बीमारी से बचा रहा हूँ!
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Old 16-10-2014, 12:22 PM   #10
Rajat Vynar
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Talking Re: अधिकार और कर्त्तव्य

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Originally Posted by soni pushpa View Post
किसी ने कहा की ये विषय बहुत भारी भरकम है
किसी ने नहीं, मैंने कहा था.. और ये जो चमचमाते हुए पांच सितारे दिख रहे हैं वो भी मैंने ही दिए थे.
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