14-02-2016, 10:03 PM | #1 |
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छायादार वाटिका स्थल
छायादार वाटिका स्थल रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन हिंदी अनुवाद रजनीश मंगा द्वारा उस छायादार वाटिका स्थल में छितराये सब वृक्ष खड़े हैं असामान्य रूप से शांत. यह घाटी न इतनी गहरी पहले लगी कभी, न ही लगी कभी पहाड़ियाँ इतनी ऊँची. अजीबोगरीब सी नीरवता है इक, पूर्णतया विश्राम में डूबी, ओस में भीगे उपवन स्थल में साँस ले रही, सभी कतारें उपवन की हैं शांत खड़ी. चलें समूह में जब घोड़े तो उनकी टापें मैदानों में दूर सुनाई पड़ती हैं, मेरे चिंतन ने जो भी मुझको ज्ञान दिया मेरे मस्तक में आहिस्ता से वह पुलक जगा जाता है. बाजू पर हूँ टिकाये सिर को भावुकता के कारण मैं कुछ सोच नहीं पाता हूँ; क्रुद्ध समुद्र सा हृदय हुआ, जिससे टकराकर सुबह सुबह की नीरवता यह मिट जाती है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-02-2016, 11:29 AM | #2 |
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Re: छायादार वाटिका स्थल
[QUOTE=rajnish manga;557411][SIZE=3]
छायादार वाटिका स्थल रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन हिंदी अनुवाद रजनीश मंगा द्वारा [/COLOR] उस छायादार वाटिका स्थल में छितराये सब वृक्ष खड़े हैं असामान्य रूप से शांत. यह घाटी न इतनी गहरी पहले लगी कभी, न ही लगी कभी पहाड़ियाँ इतनी ऊँची. अजीबोगरीब सी नीरवता है इक, पूर्णतया विश्राम में डूबी, ओस में भीगे उपवन स्थल में साँस ले रही, सभी कतारें उपवन की हैं शांत खड़ी. चलें समूह में जब घोड़े तो उनकी टापें मैदानों में दूर सुनाई पड़ती हैं, मेरे चिंतन ने जो भी मुझको ज्ञान दिया मेरे मस्तक में आहिस्ता से वह पुलक जगा जाता है. बाजू पर हूँ टिकाये सिर को भावुकता के कारण मैं कुछ सोच नहीं पाता हूँ; क्रुद्ध समुद्र सा हृदय हुआ, जिससे टकराकर सुबह सुबह की नीरवता यह मिट जाती है. प्रकृति की निस्तब्धता के साथ मन के भावों का बड़ा सुन्दर मंथन है भाई कविता शेयर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद |
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छायादार वाटिका, sheltered garden |
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