08-11-2017, 05:48 PM | #25 |
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Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (7 November)
बहादुर शाह ज़फर / Bahadurshah Zafar Born: 24 Oct 1775 / Died: 7 Nov 1862 --------------------------------------------------------- ग़ज़ल (1) सूफ़ियों में हूँ न रिन्दों में, न मयख़्वारों में हूँ, ऐ बुतो, बन्दा ख़ुदा का हूँ, गुनहगारों में हूँ! मेरी मिल्लत है मुहब्बत, मेरा मज़हब इश्क़ है ख़्वाह हूँ मैं क़ाफ़िरों में, ख़्वाह दीं-दारों में हूँ नै मेरा मूनिस है कोई, और न कोई ग़म-गुसार ग़म मेरा ग़मख़्वार है, मैं ग़म के ग़मख़्वारों में हूँ जो मुझे लेता है, फिर वह फेर देता है मुझे मैं अजब इक जिन्स नाकारा ख़रीदारों में हूँ ऐ ज़फ़र मैं क्या बताऊँ तुझको, जो कुछ हूँ सो हूँ लेकिन अपने फ़ख़्रे-दीं के कफ़स बरदारों में हूँ ग़ज़ल (2) किस की बनी है आलम-ए-नापायेदार में कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में उम्र-ए-दराज़ माँग कर लाये थे चार दिन दो आरज़ू में कट गये दो इन्तज़ार में कितना है बदनसीब "ज़फ़र" दफ़्न के लिये दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 08-11-2017 at 06:10 PM. |
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