23-06-2015, 10:24 AM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
ट्रेन टू पंजाब 1956 में प्रकाशित हुये इस लघु उपन्यास का मूल नाम ‘मनो माजरा’ था. भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित यह गाँव 1947 के विभाजन की विभीषिका में एक पात्र है जो साम्प्रदायिक दंगों का साक्षी रहा. शताब्दियों से यहाँ हिन्दू मुसलमान शांति से रह रहे थे. विभाजन ने उनके सौहार्दपूर्ण सम्बन्धों की जड़ों को हिला डाला था. परम्परागत रमणीक वातावरण को नष्ट कर दिया. बाद के संस्करणों में लेखक ने इस उपन्यास का शीर्षक बदल कर ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ रख दिया. ट्रेन को कथा और प्रतिपाद्य के प्रतीक के रूप में रखा गया.इस पुस्तक को चार भागों में बांटा गया है: डकैती, कलियुग, मनो माजरा, कर्मा. उपशीर्षक पात्र के चरित्र परिस्थिति और ट्रेन के प्रतीक की और संकेत करते हैं. पहले भाग में भल्ली द्वारा डकैती का यथार्थ चित्रण है. महाजन रामलाल मारा जाता है.यह डकैती समाज में अमानवीयता और पुलिस के अन्याय पर से आवरण हटाती है. दूसरे भाग में कलियुग की गहन होती कलह का वर्णन है. जन साधारण पर अँधा पागलपन और विरोध हावी हो जाता है. इस भयानक वातावरण को और भी भयावह बनाती है ‘घोस्ट ट्रेन’ जो गाँव वालों की लाशों से अटी पड़ी है. मारकाट और बढ़ जाती है. इस परिदृश्य में एक सिख लड़का और मुसलमान लड़की दंगों की घृणा में फंस जाते हैं. रोंगटे खड़े कर देने वाली यह पुस्तक लेखक के आँखों देखे अनुभव हैं. सिख परिवारों की उथलपुथल में आतंरिक दृष्टि का परिणाम है यह पुस्तक. यह ‘ग्रोव प्रेस इंडियन फिक्शन’ से पुरस्कृत है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
23-06-2015, 08:28 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
ए हिस्ट्री ऑफ़ सिख्स 1963 में खुशवंत सिंह का सर्वोत्कृष्ट लेखकीय शाहकार “ए हिस्ट्री ऑफ़ सिख्स” प्रकाशित हो कर पाठकों के सामने आया. इसके पीछे लेखक की शोधपूर्ण दृष्टि, समझ व उपलब्ध साक्ष्यों और तथ्यों का गहन अध्ययन की छाप स्पष्ट दिखाई देती है. यही कारण है कि यह पुस्तक सिखों के इतिहास का एक विश्वसनीय दस्तावेज एवम् सन्दर्भ के रूप में सर्वत्र समादृत है. आम आदमी को समझ आने वाली यह पुस्तक दो भागों में प्रकाशित है जिसमें 1469 से ले कर 1839 तक का समय शामिल किया गया है. खुशवंत सिंह की इस पुस्तक ने पंजाब को पहचान दी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
23-06-2015, 08:31 PM | #3 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
आई शैल नॉट हियर द नाईटिंगेल 1959 में छपा खुशवंत सिंह का दूसरा उपन्यास था “आई शैल नॉट हियर द नाईटिंगेल”. इस उपन्यास का घटना स्थल अमृतसर है और इसका पात्र सरदार बूटा सिंह जो फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट है, अंग्रेजों का खैरख्वाह है. इसका समय ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आन्दोलन का है जब भारत अपनी स्वाधीनता के लिये संघर्ष कर रहा था. सरदार बूटा सिंह क्रांतिकारियों के विरुद्ध अंग्रेजों का साथ देता है. उसका पुत्र शेर सिंह पिता को बिना बताये क्रांतिकारियों के उस समूह में शामिल हो जाता है जो बंदूक और पिस्तौल का इस्तेमाल करने तथा हिंसा के रास्ते पर चलने को बुरा नहीं समझता. पास के गाँव के मुखिया के गायब हो जाने के बाद शेरसिंह को गिरफ्तार कर लिया जाता है. इस घटना के बाद उसका पिता उससे सारे संबंध तोड़ लेता है. माँ उसकी सलामती के लिये पूजा पाठ करती है. जिलाधीश शेर सिंह के सामने दो विकल्प रखता है. या तो शेरसिंह अपना रास्ता बदल दे या फाँसी के लिये तैयार रहे. शेरसिंह की पत्नी और बहन क्रांतिकारी मदन के साथ काम करने लगते हैं. इस उपन्यास में तत्कालीन पंजाब के लोगों का संघर्ष, टूटन और विनाश तथा अंग्रेजों व उनके वफ़ादार भारतीयों और क्रांतिकारियों के कारनामों की कहानी है. पुस्तक में जहां कई स्थानों पर त्रासद स्थितियों का वर्णन है वहीँ कई जगह हास्य प्रसंग पढ़ने को मिलते हैं. बहुत से लोगों की राय में यह उपन्यास खुशवंत सिंह का सर्वोत्तम उपन्यास है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
23-06-2015, 08:43 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
देहली (उपन्यास) खुशवंत सिंह की यह औपन्यासिक कृति 1990 में प्रकाशित हुई. इस पुस्तक में 600 वर्षों के इतिहास का फलक लिया गया है. इसकी कथा का सूत्रधार एक भ्रष्ट, अश्लील और अधेड़ व्यक्ति है जो भागमती नामक हिजड़े के साथ दैहिक भोग में संलग्न रहता है. अपनी कालयात्रा के दौरान वह बहुत से शायरों, राजकुमारों, संतों, सम्राटों और हिजड़ों से मिलता चलता है. इनके माध्यम से वह दिल्ली के इतिहास की यात्रा भी करता जाता है. लेखक हर कदम पर पाठक को अपने साथ बांधे रखने में कामयाब हुआ है और पाठक सम्राटों की नगरी की रहस्यमयी दास्तानों को अपने मन मस्तिष्क में संजोता चलता है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 18-11-2015 at 08:29 PM. |
28-06-2015, 11:35 AM | #5 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
ट्रुथ, लव एंड ए लिटिल मैलिस (खुशवंत सिंह की आत्मकथा) काफी विवादों तथा कोर्ट कचेहरी के बाद सन 2002 में खुशवंत सिंह की आत्मकथा “ट्रुथ, लव एंड ए लिटिल मैलिस” (सत्य, प्रेम और थोड़ा द्वेष) प्रकाशित हुई जिसे उन्होंने 1995 में लिख लिया था. जैसा कि सुविज्ञ पाठकों को पता है, आत्मकथा लेखन बड़ा कठिन काम है. जीवन के भिन्न भिन्न पडावों में लेखक जिन जिन लोगों के संपर्क में आया, उनके बारे में, राजनैतिक घटनाओं के बारे में या अपने पारिवारिक संबंधों के बारे में बड़ी ईमानदारी से वर्णन किया गया है. पुस्तक के ज़रिये पाठक को लेखक की सभी रचनाओं की पृष्ठभूमि को जानने में भी मदद मिलती है. पुस्तक में लेखक की बेबाकी सर्वत्र दिखाई दे जाती है. उन्होंने अपनी छवि के मलिन होने की परवाह किये बिना अपनी तथा दूसरों की कमजोरियों का खुलासा किया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 01-09-2015 at 11:09 PM. |
09-07-2015, 07:55 AM | #6 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
सनसेट क्लब खुशवंत सिंह सन 2010 में प्रकाशित हुई इस पुस्तक में लेखक ने अपनी उम्र के अंतिम छोर पर पहुंचे तीन अधेड़ पुरुषों की कहानी बयान की है. दिल्ली में एक साथ बिताये हुए एक वर्ष में वे अपने अतीत की स्मृतियों को खंगालते हैं. इसका मुख्य पात्र बूटा सिंह नाम का व्यक्ति है जिसका खाका स्वयं लेखक से काफी कुछ मिलता जुलता है. पुटक में वर्णित पार्क के एक बैंच का प्रयोग बड़ी कुशलता से किया गया है. बैंच पर बैठे तीन बुज़ुर्ग उस समय की विशेष घटनाओं, अपवादों, निजी प्रेम संबंधों तथा महिलाओं के प्रति अपने आकर्षण पर टिप्पणियाँ करते हैं. कथा के बीच बीच में बूटा सिंह धर्म के बारे में तथा समकालीन समाज पर प्रवचन भी करते चलते हैं. लेखक खुशवंत सिंह के जीवन का काफी बड़ा भाग लोधी गार्डन तथा सुजान सिंह पार्क (जो उनके दादा के नाम पर बसा है) से जुड़ा है. इस प्रकार यह पुस्तक उनकी ओर से इन स्थानों और उनसे जुड़े लोगों को एक उपहार है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 01-09-2015 at 11:07 PM. |
01-09-2015, 11:00 PM | #7 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
गुड, बैड एंड रिडिक्युलस खुशवंत सिंह यह पुस्तक में खुशवंत सिंह के उन निबंधों का संकलन है जिनमे उन्होंने पिछले एक सौ वर्षों में घटित अनेकों प्रशासन से जुड़ी हुई और अन्य घटनाओं का वर्णन किया है जिन्होंने भारत के इतिहास को प्रभावित किया या उसे नयी दिशा दी, इनमे से कितनी ही घटनाओं का लेखक स्वयं प्रत्यक्षदर्शी रहा है. इन राजनैतिक व सामाजिक घटनाओं से जुड़े लोगों का भी अच्छा विश्लेषण किया गया है. अंतर्दृष्टि, निस्संकोच मूल्यांकन तथा रोचकता से भरी इस पुस्तक में शामिल किये गए लोगों में जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी, सोनिया गाँधी, अमृता शेरगिल, फैज़ अहमद फैज़, गोलवलकर, मदर टैरेज़ा तथा भिंडरांवाला आदि शामिल हैं.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 01-09-2015 at 11:12 PM. |
01-09-2015, 11:21 PM | #8 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंतनामा: द लैंस ऑफ़ मय लाइफ खुशवंत सिंह इस पुस्तक में लेखक ने विभिन्न शीर्षों के अंतर्गत जीवन की शिक्षाओं और क्या खोया, क्या पाया का लेखा जोखा पेश किया है. ये शीर्ष हैं – सुदीर्घ व स्वस्थ जीवन का आधार, वाडे कैसे निभाये, धर्म का मतलब, सैक्स का आनंद, राजनीति के खतरे और हंसीं का महत्त्व. खुशवंत सिंह के व्यक्तित्व में परस्पर विरोधाभासी प्रवृत्तियाँ नज़र आती हैं. एक तरफ उनमे एक विद्वान् जैसी गंभीरता और किसी महान पत्रकार जैसी खोजी और साहसिक एप्रोच तथा दूसरी ओर व्यंग्य तथा हास परिहास से भरे चुटकलों की रचना करने वाले विदूषक की विशेषताएं भी विद्यमान थीं. एक और शैतानी सोच दूसरी ओर सघन शोध, एक ओर उत्तेजना दूसरी ओर बौद्धिक उर्वरता का साथ. बड़े से बड़े व्यक्ति की आलोचना करने से भी वह पीछे नहीं हटते थे और अपनी गलतियों को स्वीकार करने में भी उन्हें देर नहीं लगती थी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
01-09-2015, 11:22 PM | #9 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंत सिंह की किताबें> एक परिचय
खुशवंतनामा: द लैंस ऑफ़ मय लाइफ खुशवंत सिंह की दृष्टि में ईश्वर और धर्म के अस्तित्व पर प्रश्न ही प्रश्न हैं. वे कहते है कि आस्तिक को विश्वास है कि “अल्लाह, ब्रह्म, परमेश्वर या वाहेगुरु या जो भी नाम दो, यह सृष्टि उसी की रचना है. यदि यही सच है तो उसे किसने बनाया. किसी के पास कोई उत्तर नहीं है. वास्तव में पृथ्वी पर जीव की सृष्टि नहीं बल्कि उसका विकास हुआ था. ईश्वर ने हमें नहीं बल्कि हमने ईश्वर को बनाया. वे अनीश्वरवादी है. प्रार्था में शक्ति है, वह यह मानते हैं. पर इसे मानने के लिए ईश्वर को मानना जरुरी नहीं है. अपनी दादी के साथ रहते हुए उन्होंने अमृत छका और खालसा भी बने. अपनी प्रार्थनाओं का अर्थ समझने के लिए उन्होंने बहुत श्रम किया और सुविज्ञ विद्वानों से मिल कर जानकारी हासिल करने की कोशिश की. कीर्तन सुनना उन्हें अच्छा लगता था और गुरबाणी सुनने में उन्हें असीम आनंद मिलता था. लेकिन धार्मिक पाखंड, रुढ़िवाद और अंधविश्वास का वे हमेशा पुरजोर खंडन करते रहे. उन्होंने विभिन्न धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया और अनेक विदेशी विश्वविद्यालयों में इस विषय को पढाया भी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
खुशवंत सिंह, delhi, history of sikhs, i shall not.. nightingale, khushwant singh books, sunset club, train to punjab, truth love and malice |
|
|