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02-12-2010, 07:45 AM | #1 |
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देशभक्ति गीत
देशभक्ति गीत मुझे याद आती है -२ ( अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू मुझे याद आती है ) -२ ( कभी बहलाती है कभी टड़पाती है ) -२ मुझे याद आती है, हो अपने देस की मिट्टी अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू मुझे याद आती है बीते पल छूने लगे हैं दिल को ऐसे दोस्त रखे हाथ कंधे पे जैसे कैसी ये किरणें सी छन रही हैं कैसी तस्वीरें सी बन रही हैं कितने मौसम याद में हैं आते जाते बारिश आई खुल गये हैं काले छाते दिन हैं अलसाये हुये जो आई गर्मी सर्दियों की धूप में है कैसी नर्मी पल पल इक समय की नदिया है जो बहती जाती है अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू मुझे याद आती है पिघले तन्हाइयों के हैं जो अंधेरे जगमगाने से लगे हैं कितने चेहरे एक लोरी है, इक लाल बिंदिया लौत आई है मेरे बचपन की निंदिया वो कोई इकतारे पे कब से गा रहा है कोई आँचल जाने क्यूँ लहरा रहा है हर घड़ी नई बात इक याद आ रही है दिल में पगडंडी सी जैसे बन गई है ये पगडंडी मेरे दिल से मेरे देस जाती है ( अपने देस की मिट्टी की ख़ुश्बू मुझे याद आती है ) -२
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02-12-2010, 07:55 AM | #2 |
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Re: देशभक्ति गीत
दिल से निकलेगी ना मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुश्बू-ए-वतन आयेगी देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू -२ देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू -२ सुनाई थी जो बचपन में वो ही लोरी सुना दे माँ तू अपनी गोद में अब चैन से मुझ को सुला दे माँ तेरे चरणों में सब कुछ हम लुटाने से नहीं डरते देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू -२ देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू -२ मिटाने से नहीं मिटते डराने से नहीं डरते वतन के नाम पे हम सर कटाने से नहीं डरते हज़ारों ख़्वाब रोशन हैं सुलगती सी निगाहों में क़फ़न हम बाँध के निकले हैं आज़ादी की राहों में निशाने पे जो रहते हैं निशाने से नहीं डरते हमारी एक मन्ज़िल है हमारा एक नारा है धरम से जात से ज्यादा हमें ये मुल्क़ प्यारा है हम इस पे ज़िन्दगी अपनी लुटाने से नहीं डरते क़सम तुम को वतन वालों कभी मायूस मत होना मनाना जश्न-ए-आज़ादी न मेरे वास्ते रोना निगाहें मौत से भी हम मिलाने से नहीं डरते
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02-12-2010, 08:16 AM | #3 |
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Re: देशभक्ति गीत
देस नूँ चल्लो
देस नूँ चल्लो देस माँगता है क़ुर्बानियाँ कानूं परदेसां विच रोलिये जवानियाँ ओय देस नूं चल्लो ... मातृभूमि ने हमें बुलाया है अब जाना होगा ज़ंजीरों में क़ैद है वो उसे छुड़ाना होगा अब ना सहेंगे हम गैरों की गुलामियाँ देस नूं चल्लो ... अपने हाथों से हम लिखेंगे अपनी तक़दीरें हमें बदलनी होंगी इन हाथों की सभी लकीरें ओ चक्क ले बंदूकां पैजा टूटके ओ हाणियाँ ओय देस नूं चल्लो ... जहाँ पे दी गुरु गोविन्द सिंघ नें बेटों की क़ुर्बानी मिट गई देश की खातिर जहाँ पे झाँसी वाली रानी चलो वहाँ लिख दें आज़ादी की कहानियाँ ओय देस नूं चल्लो ...
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02-12-2010, 08:17 AM | #4 |
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Re: देशभक्ति गीत
Mere Desh Ki Dharti - Desh Bhakti Geet - Proud to be Indian
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22-10-2012, 05:06 PM | #5 |
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Re: देशभक्ति गीत
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02-12-2010, 08:18 AM | #6 |
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Re: देशभक्ति गीत
बहुत खुब ...
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
02-12-2010, 08:27 AM | #8 |
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Re: देशभक्ति गीत
देस परदेस,
अरे खुशियाँ, यहीं पे, मिलेंगी हाँ मेरे अपना है अपना, ये देस परदेस वही पुराने हैं वही पुराने हैं, सारे फसाने, नया है लेकिन जहाँ अरे रस्ते नये हैं, ये मन्ज़िल नई है, लेकिन वही आसमाँ तेरा ना मेरा, अपना है अपना ये देस परदेस अकेला नहीं हूँ मैं अकेला नहीं हूँ मैं, तेरे बिना, संग मेरे तेरी याद है मिलकर खिलें फूल हर रंग के, बस यही मेरी फरियाद है सपना है सपना ये देस परदेस...
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04-08-2011, 05:08 PM | #9 |
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Re: देशभक्ति गीत
दिल से निकलेगी ना मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुश्बू-ए-वतन आयेगी देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू -२ देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू -२ सुनाई थी जो बचपन में वो ही लोरी सुना दे माँ तू अपनी गोद में अब चैन से मुझ को सुला दे माँ तेरे चरणों में सब कुछ हम लुटाने से नहीं डरते देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू -२ देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू -२ मिटाने से नहीं मिटते डराने से नहीं डरते वतन के नाम पे हम सर कटाने से नहीं डरते हज़ारों ख़्वाब रोशन हैं सुलगती सी निगाहों में क़फ़न हम बाँध के निकले हैं आज़ादी की राहों में निशाने पे जो रहते हैं निशाने से नहीं डरते हमारी एक मन्ज़िल है हमारा एक नारा है धरम से जात से ज्यादा हमें ये मुल्क़ प्यारा है हम इस पे ज़िन्दगी अपनी लुटाने से नहीं डरते क़सम तुम को वतन वालों कभी मायूस मत होना मनाना जश्न-ए-आज़ादी न मेरे वास्ते रोना निगाहें मौत से भी हम मिलाने से नहीं डरते[/quote] |
31-03-2012, 06:00 PM | #10 |
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Re: देशभक्ति गीत
हम करें राष्ट्र आराधन तन से मन से धन से तन मन धन जीवनसे हम करें राष्ट्र आराधन।। अन्तर से मुख से कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से श्रद्धा से मस्तक नत से हम करें राष्ट्र अभिवादन। १ अपने हंसते शैशव से अपने खिलते यौवन से प्रौढता पूर्ण जीवन से हम करें राष्ट्र का अर्चन।२ अपने अतीत को पढकर अपना इतिहास उलटकर अपना भवितव्य समझकर हम करें राष्ट्र का चिंतन…।।३ है याद हमें युग युग की जलती अनेक घटनायें जो मां के सेवा पथ पर आई बनकर विपदायें हमने अभिषेक किया था जननी का अरिशोणित से हमने शृंगार किया था माता का अरिमुंडो से हमने ही ऊसे दिया था सांस्कृतिक उच्च सिंहासन मां जिस पर बैठी सुख से करती थी जग का शासन अब काल चक्र की गति से वह टूट गया सिंहासन अपना तन मन धन देकर हम करें पुन: संस्थापन………………।४
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