21-10-2011, 12:04 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
21-10-2011, 12:17 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
शुरुआत मैं ही करता हूं ! आप कभी जयपुर आए, तो नाहरगढ़ भ्रमण के लिए जाएंगे ही ! नाहरगढ़ रोड पर एक जगह है बून्सली की टूंटी ! यहां ज़रा ठहरें और आबाल-वृद्ध किसी से भी पूछें - भैया / बाबा / बेटी/ बहनजी / माताजी ! यह बूस्या की दुकान किधर है ! आपको ठीक-ठीक उत्तर तुरंत मिल जाएगा ! अब आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि श्रीमान बूस्या हलबाई हैं ! सिर्फ नमकीन बनाते हैं और इनका माल कढ़ाई से उतारते ही हाथों-हाथ बिक जाता है यानी कुछ खरीदने के लिए लाइन भी लगानी होती है ! बूस्या का अर्थ जानते हैं आप ? अर्थ है बुसा हुआ अर्थात बासी ! इनका यह नाम किसने रखा, क्यों रखा - पता नहीं, लेकिन ऐसा नाम होने के बावजूद ऎसी लोकप्रियता आश्चर्यचकित ही करती है !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
21-10-2011, 12:29 PM | #3 | |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 43 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
Quote:
ये तो बिलकुल मेरे पडौस में ही है ............ |
|
21-10-2011, 12:34 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 183 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
नहीं, बन्धु ! वह कोई और है ! सड़क वही है ! यदि आप मुख्य सड़क पर चांदपोल की ओर मुंह करके खड़े होंगे तो हरिश्चंद्र मार्ग बाईं ओर है, और नाहरगढ़ रोड दाईं तरफ ! इसी पर एक चौराहा है बून्सली की टूंटी !
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
21-10-2011, 12:40 PM | #5 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 43 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
वैसे रात को मैं भी पोलो विक्ट्री गया था ,वहां अनायास ही मेरी नजर एक बोर्ड पर पड़ी,और मैं हंसे बिना नही रह सका !
पोलो विक्ट्री के पीछे जमीदार ट्रावेल्स है और उसके ऊपर एक हकीम की दुकान और बगल में बूट की दूकान ! हाकिम जी का बोर्ड काफी बड़ा था जिसमे लिखा था शादी से पहले,ठीक उसके निचे जमीदार ट्रावेल्स , बाद में लिखा था शादी के बाद और ठीक उसके निचे शब्द था बूट यानी शादी से पहले जमीदार ट्रावेल्स और शादी के बाद बूट ........ |
21-10-2011, 12:40 PM | #6 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 1,519
Rep Power: 22 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
कानपुर में भी एक प्रतिष्ठान है ऐसा... काफी सारे लोग परिचित होंगे शायद इस नाम से "ठग्गू के लड्डू" इनकी दूकान पर ही लिखा है "ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं"
इसके अलावा इन्ही की कुल्फी भी बिकती है जिसे "बदनाम कुल्फी" के नाम से बेचते है | कानपुर वासी जानते ही होंगे की अकेली कुल्फी जहां शुद्ध दूध की कुल्फी मिलती है और वो भी तौल में ना की कप और कोन के अनुसार | |
21-10-2011, 12:40 PM | #7 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 43 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
|
21-10-2011, 12:42 PM | #8 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 1,519
Rep Power: 22 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
|
21-10-2011, 03:38 PM | #9 |
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
चलो भाई, मै भी कुछ जानकारी फेक रहा हूँ।
विख्यात नाटककार शेक्सपियर ने भले ही कहा हो कि 'नाम में क्या रखा है' लेकिन झारखण्ड के गिरिडीह जिले में तो नाम में ही सब कुछ रखा है क्योंकि एक शब्द 'बेवकूफ' ने न केवल यहां के कई लोगों की किस्मत चमकाई है बल्कि अब यह शब्द यहां सफलता की गारंटी बनता जा रहा है। गिरिडीह में कोर्ट रोड पर 20 मीटर के दायरे में छह होटलों के नाम 'बेवकूफ होटल' हैं।कोई बेवकूफ बादशाह है कोई श्री बेवकूफ। या फिर महा बेवकूफ या बेवकूफ नम्बर वन। शहर में कोई अन्य होटल बेवकूफ नाम की होटलों से ज्यादा कारोबार नहीं कर रहा है। हालात ये हैं कि जिस भी होटल का नाम बेबकूफ रखा जाता है वही चल निकलता है। इन होटलों के यह नाम आमिर खान की फिल्म 3 इडियट बनने से कहीं पहले से हैं। 'थ्री इडियट' ने बेशुमार सफलता प्राप्त की और इडियट शब्द को ही पसंद किया जाने लगा। बेवकूफ शब्द ने कैसे यहां कई लोगों की किस्मत बदली। इस बारे में बताते हुए एक होटल मालिक सुनील अग्रवाल ने कहा, "हमारे होटल का नाम पहले वैष्णवी था लेकिन कारोबार चल नहीं रहा था। जब हमने एक और होटल खोला तब उसका नाम बेवकूफ बादशाह रखा जिसने बेहतरीन कारोबार किया।" बेवकूफ बादशाह यहां बेवकूफ नाम की होटलों की श्रंखला की सबसे ताजा कड़ी है। इससे पहले कई होटलों के नाम बेवकूफ रखे जा चुके थे। गिरिडीह के ही ग्रामीण इलाकों ईसरी और राजधनवार में दो होटलों के नाम बेवकूफ पर रखे गए। बेवकूफ नाम रखने की यह शुरुआत 1971 से हुई। सबसे पुराने बेवकूफ होटल के मालिक बीरबल प्रसाद हैं। प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "मेरे चाचा गोपी राम ने एक ढाबा शुरू किया था। यह ढाबा नहीं चला और हम गंभीर आर्थिक संकट में आ गए। तब हमने बेहद सस्ते दामों पर खाना देना शुरू किया इसलिए ग्राहकों ने हमें बेवकूफ कहना शुरू कर दिया। हमें बेवकूफ कहने के बावजूद भी वे हमारे ही होटल पर आते थे।" उन्होंने कहा, "ग्राहक हमारे होटल को बेवकूफ होटल कहने लगे थे इसलिए जब हमने इस नई जगह पर होटल को स्थानांतरित किया तो इसका नाम बेवकूफ होटल रख दिया।" बेवकूफ नाम की दूसरी होटल 1993 में खुली। इसके मालिक गोपी राम के भतीजे किरण भडानी हैं। भडानी ने इस होटल का नाम श्री बेवकूफ रखा। भडानी ने कहा, "चाचा के साथ होटल चलाने के समय मैनें देखा कि किसी और होटल की बिक्री उनके बराबर नहीं है। इसलिए मैनें इस नाम की नकल की। मेरे चाचा इससे खुश नहीं थे लेकिन वह मुझे रोक नहीं सके।" इसके बाद बेवकूफ नाम से होटल खोलने का सिलसिला चल निकला। |
21-10-2011, 03:47 PM | #10 |
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 |
Re: अपने शहर को ज़रा इस नज़र से देखो !
जरा कुछ बेवकूफ होटेलों के दीदार भी कर ले -
|
Bookmarks |
Tags |
hindi forum, indian cities, my city, north india, your city |
|
|