My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > Blogs

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 19-03-2016, 10:17 PM   #1
Aadil
Junior Member
 
Join Date: Mar 2016
Posts: 3
Rep Power: 0
Aadil is on a distinguished road
Default हमारे शब्द- बच्चों का व्यक्तित्व

हमारे शब्द/व्यव्हार - बच्चों का व्यक्तित्व/भविष्य निर्माण:
आपने जरूर कहीं ना कहीं ये पढ़ा या सुना होगा कि हम जो या जिस तरह के शब्द सुनकर पले - बड़े होते हैं उनका हमारे व्यक्तित्व पर बहुत असर पड़ता है। जिस तरह के विचार और माहौल हमारे आस-पास होता है, यही हमारा व्यक्तित्व निर्माण करता है।

अब मैंने अपने बचपन में क्या सुना होगा वो तो मुझे याद नहीं इसलिए वो अनुभव शेयर करना भी मुश्किल होगा। पर मेरे अपने बच्चों के साथ हुए अनुभव को मैं यहाँ साझा कर रहा हूँ जिससे आप ये समझ सके कि हमारे द्वारा बोले गए शब्द, हमारा व्यव्हार कैसे हमारे बच्चों का व्यक्तित्व बदल सकते हैं ?

मेरी बड़ी बेटी अलीशा जिसकी उम्र छः साल होने वाली है और छोटी बेटी आलिया जिसकी उम्र तीन साल होने वाली है। दोनों के व्यक्तित्व में बहुत अंतर है और ये बहुत normal सी बात है क्योंकि एक ही परिवार में पले-बड़े हुए भाई-बहिन अलग-अलग सोच, विचार और व्यव्हार वाले होते हैं। और ऐसे ही ये दोनों भी अलग-अलग व्यक्तित्व के साथ बड़ी हो रही है। पर इनके व्यव्हार का एक बड़ा अंतर जो हम माँ-बाप के शब्दों और व्यव्हार के कारण अलग हो गया जिसका अफ़सोस मुझे हमेशा रहेगा।

मेरी छोटी बेटी आलिया बड़ी बेटी अलीशा से बहादुर है। सुनने में अजीब है कि एक ही परिवार, एक ही माहौल में बड़े हो रहे बच्चों में से छोटी बच्ची बड़ी से बहादुर है पर ये सच है। अलीशा हम सभी लोगों के घर में होते हुए भी एक कमरे से दूसरे कमरे में अकेले नहीं जा सकती। घर में कोई आ जाये तो उनसे बात नहीं कर सकती। अपनी उम्र के बच्चों के साथ भी जल्दी से घुल-मिल नहीं पाती। जबकि आलिया बे-रोकटोक पूरे घर में घूमती है। यहाँ तक कि कमरों में रोशनी ना हो तो भी तुरंत पहुँच कर लाइट जलाएगी और अपना काम करके आ जाएगी। हर किसी के साथ ऐसे बात करेगी जैसे उसको पहले से जानती हो। और शरारती इतनी है कि अगर अलीशा अपने किसी काम के लिए उसे अपने साथ दूसरे कमरे में लेकर गयी तो उसके साथ जाएगी और जब अलीशा अपना काम करने में लग जाएगी तो पीछे से चिल्लाएगी भूत आ गया और अलीशा को वही छोड़कर हँसते हुए हमारे पास दौड़ के आ जाएगी और अलीशा उसके पीछे-पीछे रोते-चिल्लाते हुए हमारे पास आएगी।

अब उनकी ऐसी शरारते देखकर अच्छा तो जरूर लगता है पर साथ ही यह अफ़सोस भी सामने आ जाता है कि अलीशा के इस डर के पीछे कोई और नहीं बल्कि उसके माँ-बाप यानि हम ही हैं। अब मैं आपको बताता हूँ कि आखिर कैसे अलीशा और आलिया के व्यक्तित्व में ये अंतर पैदा हो गया ?

अलीशा हमारी पहली बच्ची थी और हर माँ-बाप कि तरह हम भी उसे हर ख़ुशी, भरपूर प्यार दे रहे थे। जैसे -जैसे वो बड़ी हो रही थी हम महसूस कर रहे थे कि अलीशा अपने आप नहीं सो रही है। उसे सोने के लिए किसी न किसी की गोद चाहिए थी जो उसे थपकी देता रहे, तभी वो सोती थी। और ये आदत भी जरूर हमने ही अनजाने में उसमे डाल दी होगी। अब कई-कई देर तक हम में से कोई एक उसको गोद में लेकर थपकी देता रहता तो ही अलीशा सोती। जब वो 9-10 महीने की हुई तो मेरी अर्धांग्नी यानि कि अलीशा कि माँ ने उसे guard जो कि रात में सीटी बजाता हुआ घर के बाहर 2-3 चक्कर लगा लेता था, उससे डराना शरू कर दिया। जैसे कि वो उससे कहती कि बाहर से अजीब आवाजे आ रही है, बाहर भूत है जो ऐसी आवाज़े निकाल रहा है और वो सोई नहीं तो वो भूत उसे उठा कर ले जायेगा। दरवाजा खोलकर वो उसे अँधेरा दिखाती कि देख सोई नहीं तो अँधेरे से भूत निकल कर आ जायेगा जो बच्चो को उठाकर ले जाता है। कभी guard नहीं आता तो हम कुछ दूसरी तरह की आवाज़े सुनाकर उसे डराने कि कोशिश करते।

शुरू-शुरू में मैंने अपनी wife को ये सब करने के लिए मना भी किया। लेकिन जब मैंने देखा कि इन सब चीजों का अलीशा पर असर हो रहा है तो मैं खुद भी अलीशा को डराने वाली गतिविधियों में उसकी माँ के साथ शामिल हो गया। क्योंकि ऐसा करने से वो जल्दी सो जाती थी तो हमें लगने लगा कि चलो ऐसा करने से वो कम-से-कम आसानी से सो तो जाती है। पर उस समय ये ख्याल नहीं आया कि इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे? इसके परिणाम हमें तब समझ में आये जब अलीशा 2-2.5 साल की हो जाने के बाद भी अकेले घर में भी कहीं नहीं जाती और ना ही पड़ोस में किसी के घर जाती। घर के पास garden में ले जाते तो अपने हम-उम्र बच्चो तक के साथ खेल-कूद नहीं करती, हमारे साथ ही चिपकी रहती।

मेरे ये बात समझ में आ गयी थी कि हमारी सहूलियत उसके व्यक्तित्व की एक बहुत बड़ी कमजोरी के रूप में हमारे सामने आ खड़ी हुई है। अलीशा के तीन साल का होने पर हमारे घर आलिया का जन्म हुआ। जब मेरी wife ने आलिया को भी सुलाने के लिए अपनी पुरानी trick इस्तेमाल की तो मैंने तुरंत उसे टोक कर समझाया कि अलीशा अगर आज इतनी डरपोक है तो उसके पीछे का कारण हम, हमारा व्यव्हार और हमारे वो शब्द हैं जिसने हमें तो जरूर सहूलियत दे दी लेकिन उसे डरपोक बना दिया। उसे मेरी बात समझ में आ गयी और डरा कर सुलाने की आसान trick फिर कभी हमने नहीं अपनाई। जिसका परिणाम है आलिया का भूत और डर से दूर-दूर तक कोई लेना-देना है। बल्कि वो तो खुद दूसरों को डराती फिरती है।

अलीशा के मन से डर निकालने की हम पिछले 3 साल से कोशिश कर रहे हैं पर ज्यादा कुछ फ़ायदा नहीं हुआ। उसे आलिया का भी example देते हैं कि वो छोटी होकर भी अँधेरे में चली जाती है उसे भूत नहीं मिलता तो तुम्हे कैसे मिलेगा। उसके साथ जाते हैं, उसे समझाते हैं पर उसके मन से डर अभी तक नहीं निकल पाए हैं। इसका असर school में भी नज़र आ रहा है। जहाँ individual activities होती हैं वहां तो अलीशा अच्छा स्कोर करती है पर सबके साथ मिलकर करने वाले कामो में, stage performance में वो पीछे रह जाती है।

मैं ये सब चीजे सिर्फ इसलिए बता रहा हूँ ताकि मेरी जैसी गलती कोई अगर कर रहा हो या करने वाला हो तो वो परिणाम पर पहले ही विचार करले। मुझ पर तो गुजर रही है, मैंने इन परिणामो के बारे में पहले से बिलकुल भी नहीं सोचा था और ना ही किसी ने मुझे इस बारे में आगाह ही किया।

पर मैं आपको आगाह कर रहा हूँ। जो गलती मुझसे हुई है, मैं नहीं चाहता वही गलती आप करे और बाद में अफ़सोस करें। इसलिए पहले से ही चेत जाए। अपने बच्चों के सामने अच्छा व्यव्हार करें, उनके सामने अच्छी बातें करें, उन्हें अच्छा बोले। उन्हें हमेशा एक अच्छे और positive वातावरण में रखें, क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम ना सिर्फ बच्चो के लिए अच्छे होंगे बल्कि हमें भी सुकून देंगे।

Last edited by rajnish manga; 20-03-2016 at 11:42 AM.
Aadil is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
बचपन, बच्चे, व्यक्तित्व

Thread Tools
Display Modes

Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 04:54 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.